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Joshimath: लोगों को चिंता लोगों में चिंता है सोच रहे हैं क्या होगा, कहां जाएंगे

जोशीमठ: लोगों को चिंता लोगों में चिंता है सोच रहे हैं क्या होगा, कहां जाएंगे

प्राकृतिक आपदा,भारत,राजनीति

कहीं भी आप चले जाइए सिर्फ़ यही एकमात्र मुद्दा है जिस पर चर्चा हो रही है। चौराहों पर, दुकानों पर, कहीं भी दो-चार लोग इकट्ठा हो रहे हैं उनका सवाल यही है कि क्या होगा हमारा भविष्य?

Joshimath: People are worried. People are worried, wondering what will happen, where will they go.

BY-नाज़मा ख़ान | 31 Jan 2024

सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CBRI) सर्वे के दौरान 14 हाई रिस्क जोन चिह्नित किए गए। क़रीब ढ़ाई हज़ार भवनों में से 1200 इमारतों को हाई रिस्क में रखा गया है।

”कहीं भी आप चले जाइए सिर्फ़ यही एकमात्र मुद्दा है जिस पर चर्चा हो रही है,। चौराहों पर, दुकानों पर, कहीं भी दो-चार लोग इकट्ठा हो रहे हैं उनका सवाल यही है कि क्या होगा हमारा भविष्य?’’

ये कहना है ‘जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति’ के संयोजक अतुल सती का, उत्तराखंड के जोशीमठ में एक बार फिर से हलचल बढ़ गई है जिसकी वजह से लोगों की चिंताएं बढ़ गई है लेकिन इस बार चिंता पहले से कुछ ज़्यादा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रुड़की स्थित सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ( CBRI) के मुख्य वैज्ञानिक अजय चौरसिया ने कहा कि ”हमने शहरभर में 14 स्थानों को उच्च जोखिम वाले क्षेत्र में रखा है। जोशीमठ के मारवाड़ी, सिंहधार, मनोहर बाग जैसे क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित वॉर्डों में शामिल हैं।”

20 जनवरी को आपदा प्रबंधन के सचिव रणजीत सिन्हा ने जोशीमठ में कुछ जनप्रतिनिधियों के साथ एक जनसुनवाई की जिसमें उन्होंने रिपोर्ट के बारे में बताया। ‘नवभारत टाइम्स’ पर छपी ख़बर के मुताबिक उन्होंने बताया कि जोशीमठ का 35 प्रतिशत हिस्सा हाई रिस्क ज़ोन में शामिल है। इस हिस्से को खाली करना ज़रूरी है। इसी ख़बर के मुताबिक CBRI के वैज्ञानिकों ने दरारों के आधार पर ख़तरे का आकलन किया था।

Joshimath: People are worried. People are worried, wondering what will happen, where will they go. सर्वे के दौरान 14 हाई रिस्क जोन चिह्नित किए गए। क़रीब ढ़ाई हज़ार भवनों में से 1200 इमारतों को हाई रिस्क में रखा गया है। CBRI ने हाई रिस्क ज़ोन में आ रही इन भवनों का नक्शा तैयार किया है और यहां रहने वालों के लिए पुनर्वास की सिफारिश की है।
Joshimath: People are worried. People are worried, wondering what will happen, where will they go. जोशीमठ को बचाने के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे ‘जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति’ के संयोजक अतुल सती से हमने फोन पर बातचीत की और मौजूदा हालात और रिपोर्ट के बारे में बातचीत की ।

सवाल: अभी जोशीमठ में क्या हालात हैं?

जवाब: ”लोगों में चिंता है, आशंकाएं हैं, सोच रहे हैं क्या होगा, कहां जाएंगे, उनके रोज़गार का व्यवसाय का क्या होगा इसको लेकर चिंता का माहौल है, भले ही मैप में ऐसा कहा जा रहा है कि 35% जोशीमठ है लेकिन उसे अगर हम ज़मीन पर देखें तो 50 से 60 % तक आबादी उसमें आ रही है। लोगों का अनुमान तो उससे ज़्यादा का है। लोग यहां पीढ़ियों से रह रहे हैं उनकी रातों की नींद गायब हो चुकी है। लोग टेंशन में हैं। सरकार की तरफ से कोई प्लान तो है नहीं वो हवा-हवाई प्लान है उसमें कोई लिखित ड्राफ्ट नहीं है। केवल उन्होंने आकर मौखिक तौर पर बताया है।”

सवाल: पुनर्वास और विस्थापन की मांग तो आप लोग भी कर रहे थे और सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CBRI) रिपोर्ट के आने के बाद भी विस्थापन और पुनर्वास की सिफारिश की बात सामने आ रही है । तो इन दोनों सिफारिशों में कितना अंतर है?

जवाब: ‘दोनों में ज़मीन-आसमान का अंतर है, हम लोगों की भी यही डिमांड थी कि जोशीमठ में लोगों का विस्थापन पुनर्वास किया जाए, लेकिन अगर आप हमारे ज्ञापन को देखेंगे तो उसमें हमारी मांग में स्पष्ट लिखा हुआ है कि भारत सरकार की विस्थापन पुनर्वास को लेकर एक नीति है जो पूरे देश में लागू है और जिसका 2007 का ड्राफ्ट है, जो रिवाइज़ हुआ है 2013 में और उसमें विस्थापन, पुनर्वास को लेकर एक ड्राफ्ट बना हुआ है, तो हमने ये मांग की कि जोशीमठ में भी इसी को आधार बनाते हुए उसमें जोशीमठ की व्यावसायिक और यहां की जो भौगोलिक स्थिति है यानी कि जोशीमठ एक पर्यटन नगर है, तीर्थाटन वाला नगर है जहां अधिकांश लोगों की आबादी पर्यटन और तीर्थाटन से होती है उसको इसमें समाहित कर एक नीति लेकर आइए। और उस नीति पर फिर हम अपनी बात करेंगे, फिर आप हमसे सुझाव, सलाह मशविरा कीजिए, लेकिन सरकार ने अभी जो प्रपोज किया है ये अभी लिखित में तो कुछ नहीं है ये मौखिक ही दिख रहा है, लोगों के व्यवसाय का क्या होगा, रोज़गार का क्या होगा, शिक्षा का क्या होगा, बाकी चीजों का क्या होगा कुछ भी नहीं सिर्फ तीन लाइन चार लाइन में उन्होंने कहा कि आपको
– घर के बदले घर
-या घर के बदले पैसा
-या भूमि के बदले भूमि
-या भूमि के बदले पैसा दे दिया जाएगा
और आपको फलां-फलां जगह पर ये मिल जाएगा, जोशीमठ से 100 किलोमीटर दूर, बमोथ गांव में, तो इसमें कोई नीति नहीं है, कोई योजना नहीं है, कोई प्लानिंग नहीं है।”

” दूसरी बात, हमसे जब सुझाव मांगा गया तो हमने कहा कि जोशीमठ के आस-पास इसके दो किलोमीटर, चार किलोमीटर के दायरे में पर्याप्त भूमि है। जोशीमठ के दो-तीन-चार किलोमीटर के दायरे में, वहां हमारे विस्थापन की व्यवस्था कर दें। क्योंकि हम इस कंडीशन में रहने के आदी हैं। यहां बर्फ पड़ती है, ठंड होती है और यहां का मौसम ठंडा है तो हम यहीं पर रहने के आदी हैं और हमारी यहां सामुदायिकता है। हमारी सांस्कृतिक, धार्मिक, आस्था सब यहां से जुड़ा है, ये सब बातें हमने कही लेकिन कहीं भी हमारे सुझावों की झलक इस सरकार के प्रपोज़ प्लान में दिखाई नहीं दी।”

”अब सवाल आता है सुरक्षित- असुरक्षित का। आप ये नक्शा देखिए, जो इन्होने जारी किया है उस नक्शे में जो सुरक्षित-असुरक्षित दिखाई दे रहा है उसमें आप देखिए। जोशीमठ में जो सैन्य इस्टैब्लिशमेंट है, वो कहीं अलग से सैन्य क्षेत्र नहीं है। छावनी नहीं है। यहां कोई कंटोनमेंट एरिया नहीं है यहां ये सिविल क्षेत्र है। उस सिविल क्षेत्र में बिल्कुल आजू-बाजू हमारी बाउंड्री मिलती है। लेकिन जब सुरक्षित-असुरक्षित का नक्शा जारी हुआ, जिसमें हम देख रहे हैं कि सेना वाला पूरा क्षेत्र सुरक्षित मान लिया गया है। सिविल क्षेत्र है वो असुरक्षित है जबकि उनके और हमारे बीच में बाउंड्री के नाम पर एक कांटे की तार है। कांटे की तार के इस तरफ हम रहते हैं और उस तरफ वे रहते हैं। इसमें कहां कोई तार्किकता है, वैज्ञानिकता है, जूलॉजी तो ऐसे काम नहीं करती है ना, वो तो ऊपर के तार नहीं देखती है कि कंटीला तार लगा है। इसलिए उधर सुरक्षित है इधर नहीं, जूलॉजी तो जो होगी, मतलब वो तो कई किलोमीटर के दायरे में एक जैसी होगी। दो मीटर उधर कुछ अलग है दो मीटर इधर कुछ अलग है तो इस आधार पर हम कह रहे हैं कि जहां सेना रह रही है अगर वो सुरक्षित है। अगर मान लिया जाए वो डेंज़र ज़ोन नहीं है तो ठीक है तो सेना आगे जाए। और सेना ने तो हमारी भूमि का मुआवजा तक नहीं दिया।1962 से हमारी ज़मीन पर कब्जा किया हुआ है तो वो अगर वहां सुरक्षित रह रहे हैं वो स्टेबल हैं तो हम वहां क्यों नहीं रह सकते है?’’

” ये जो प्लान हैं इस पर हमको बहुत सारी शंकाएं हैं और इसमें बहुत सारे षड्यंत्र की बू आ रही है, आप देखिए कह रहे हैं कि जोशीमठ के स्टेबलाइज के लिए यानी की इसके स्थिरीकरण के लिए सरकार एक हज़ार करोड़ रुपये ख़र्च करना चाहती है, एक हज़ार करोड़ का बजट रखा गया है।

लेकिन जब उनसे ये पूछा गया सचिव साहब से इसमें कितना समय लग जाएग तो उन्होंने कहा दो-ढ़ाई साल तो मैंने कहा साढ़े-तीन साल मान लें तो उन्होंने कहा नहीं-नहीं तीन में हो जाएगा। तीन साल में जोशीमठ स्टेबलाइज़ हो जाएगा। अब हज़ार करोड़ रुपया खर्च करने के बाद जोशीमठ स्टेबल हो जाएगा तो आप इतनी बड़ी आबादी को यहां से क्यों निकाल रहे हैं तो होना ये चाहिए कि हमें ढाई साल के लिए कहीं शिफ्ट कर दें। आस-पास और जब ये स्टेबल हो जाए तो हम लोग अपनी जगहों पर लौट आएं। लेकिन अगर इसने स्टेबल होना ही नहीं है हमको हटाए जाने का मतलब है हमको सुरक्षित करना। हमेशा के लिए तो जब हम यहां से हमेशा के लिए चले ही जाएंगे तब ये हज़ार करोड़ रुपये आप क्यों खर्च कर रहे हैं। इसमें कोई तार्किकता नज़र नहीं आती और पारदर्शिता नहीं है। सचिव साहब ने जब मिटिंग रखी तो हमने पूछा इसका कहीं कोई लिखित ड्राफ्ट है? इन्होंने जो प्रस्ताव रखा बमोथ भेंज देंगे तो कहां आपने ज़मीन अधिग्रहित कर ली क्या कर लिया क्या नहीं क्या उसका कुछ है। उन्होंने कहा नहीं कुछ लिखित नहीं है तो इस तरह से हवा में जो सारी बात हो रही है लोगों में आशंका पैदा कर रही है।”

सवाल: क्या इस रिपोर्ट पर आप सवाल उठा रहे हैं ?

जवाब: ”मैप और CBRI पर तो हमारा सवाल है, NTPC का पूरा इलाका हम देख कर आए हैं वहां 6 फीट का धंसाव हुआ है। पिछले साल-डेढ़ साल में वो नीचे खिसका है पांच-छह फीट अब वो सुरक्षित कैसे हो सकता है। उसके ऊपर गांव है ठीक उससे लगा हुआ रविग्राम वो पूरा सुरक्षित हो गया। उसमें कोई संगति दिखाई नहीं दे रही है। इसलिए सवालिया निशान है। आम आदमी जो बिल्कुल बिल्कुल भी पढ़ा लिखा नहीं है। सामान्य आदमी है। उसको भी ये बातें समझ में आ रही हैं कि ये कर क्या रहे हैं। क्या करना चाह रहे हैं, पूरा जोशीमठ खाली करवा कर आप किसको देना चाहते हैं, किसके लिए खाली करवा रहे हैं?

सवाल: आप भी कहते आए हैं कि जोशीमठ असुरक्षित है,अगर वो असुरक्षित है तो आपको वहां से हट जाना चाहिए सुरक्षा के लिहाज़ से जो कि आप लोग भी कह रहे हैं लेकिन जब यही बात सरकार भी कह रही है तो दिक्कत क्या है आप उनकी बात क्यों नहीं मान रहे हैं?

जवाब: ”इसको समझने के लिए थोड़ा और ऊपर जाना पड़ेगा, हमारा पूरा आंदोलन देखें, हमारे ज्ञापन देखें जो भी हमने कहा हमने सिर्फ इतना ही तो नहीं कहा कि जोशीमठ असुरक्षित है। सिर्फ एक लाइन तो हमने नहीं कही है। हमने कहा कि जोशीमठ का बहुत सारा इलाका असुरक्षित दिखाई दे रहा है। इन लोगों का जीवन बचाना है। इनको सुरक्षित करना ज़रूरी है। साथ ही जोशीमठ का स्थिरीकरण किया जाना भी ज़रूरी है। हमने तो यहां तक कहा कि नए जोशीमठ का निर्माण भी किया जाना चाहिए बल्कि प्रधानमंत्री को हमने अलग से ज्ञापन दिया और कहा जोशीमठ का इलाका रहने लायक है ही नहीं, तो नए जोशीमठ के निर्माण की तरफ बढ़ें और सेंट्रल गवर्नमेंट इसको अपने हाथ में ले। क्योंकि ये बड़ी योजना है स्टेट गवर्नमेंट के वश की नहीं है। हमने एक लाइन तो कही नहीं, हमने सिर्फ ये भी नहीं कहा कि लोगों का विस्थापन पुनर्वास करो। हमने ये भी कहा कि कैसे करो, कहां होना चाहिए ये सब भी कहा। तो आप हमारी एक लाइन अपनी सुविधा के मुताबिक कोई ना पकड़ोगे जब आप हमारी बात को मानना चाह रहे हैं तो हमारी बाकी बातों को कैसे नज़रअंदाज करेंगे। अगर आपको हमारी चिंता है आपने हमारी बात को स्वीकार किया तो बाकी बातों को आप कैसे नजरअंदाज करेंगे।’’

सवाल: कुछ मीडिया रिपोर्ट ये भी आ रही हैं कि जिस जगह लोगों को शिफ्ट करने की बात हो रही है वहां के लोगों का कहना है कि हम यहां और लोगों को नहीं आने देंगे।

जवाब: ”इससे सरकार की जो प्लानिंग है उसके बारे में पता चलता है, जहां आपका लोगों को बसाने का प्रस्ताव था उस जगह के लोगों को आपने विश्वास में नहीं लिया, न ही उन लोगों से बात की और यहां हवा में लोगों को डरा दिया। जो जगह वो बता रहे हैं कि जोशीमठ के लोगों को देनी है वहां पहले से ही वेलनेस सेंटर बनना है यानी कि एक अस्पताल बनने का पहले से ही पुराना प्रस्ताव है। उसके लिए ये ज़मीन रखी गई है और ये बिल्कुल ज़रूरी चीज़ है। इस पूरे जिले में स्वास्थ्य सेवाएं खत्म हैं। ये बिल्कुल जायज बात है कि जहां आप अस्पताल बनाने वाले थे वहां आप लोगों को कैसे रखेंगे? इससे तो यही पता चल रहा है कि इनकी कोई प्लानिंग तो थी नहीं इन्होंने हवा में एक जुमला उछाल दिया।”

सवाल: पिछले एक-डेढ़ साल में जोशीमठ के लोगों की जिंदगी कितनी बदल गई है?

जवाब- ”जीवन तो बहुत बदला है। यहां की पूरी अर्थव्यवस्था, यहां का सामाजिक ताना-बाना बिखर गया है। पर्यटन पर असर पड़ा, पिछले साल से कोई भी निर्माण कार्य यहां नहीं हो रहा है। निर्माण कार्य बंद है । जिसकी वजह से दिहाड़ी मज़दूरी करने वाले या बाकी जो निर्माण कार्य से जुड़े हुए लोग थे उनके काम पर असर पड़ा। जो लोग खेती-बाड़ी, कृषि पर निर्भर थे उसपर असर पड़ा। क्योंकि जहां-जहां दरार आ गई, धंसाव आ गया लोगों ने वहां के खेतों को छोड़ दिया। बहुत सारे लोग जोशीमठ छोड़ कर चले गए। आर्मी के लोग जो यहां लोगों के घरों में किराए पर रहते थे उन्होंने घर खाली किए। अब मान लें कि हज़ार लोग भी अगर घर खाली कर गए तो लोगों की आमदनी पर असर पड़ा। वो घर खाली हो गए। बहुत सारे तो वैसे ही खाली हैं जिनमें दरारें आ गई थीं।

सवाल: अब आप लोग क्या करेंगे?

जवाब: अभी तो हम जहां-जहां वार्ड हैं वहां जा रहे हैं। लोगों से बात कर रहे हैं। लोगों के विचार जानने की कोशिश कर रहे हैं। उनको आश्वासन दे रहे हैं और उनको कह रहे हैं कि हम लोग लड़ेंगे, सरकार से बात करेंगे। अभी तो यही हमारी कोशिश है कि लोगों में एकता बनें और सरकार जोशीमठ के लिए एक नीति लेकर आए।

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