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दिल्ली:राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा का विरोध करना महंगा पड़ा ,कॉलोनी छोड़ने को कहा

दिल्ली:राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा का विरोध करना महंगा पड़ा ,कॉलोनी छोड़ने को कहा
दिल्ली:राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा का विरोध करना महंगा पड़ा ,कॉलोनी छोड़ने को कहा
नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी के एक रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) ने पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर और उनकी बेटी सुरन्या अय्यर को पत्र लिखकर अयोध्या में राम मंदिर के खिलाफ उनकी टिप्पणियों पर माफी मांगने या कॉलोनी से निकल जाने को कहा है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के जंगपुरा एक्सटेंशन में आरडब्ल्यूए ने मणिशंकर और सुरन्या अय्यर को एक पत्र भेजा है, जिसमें उन पर ‘तनाव और नफरत पैदा करने’ का आरोप लगाया गया है.
सुरन्या ने कथित तौर पर एक फेसबुक वीडियो में कहा था कि वे 1992 में अयोध्या में ध्वस्त की गई बाबरी मस्जिद की जगह बन रहे राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के विरोध में तीन दिन के अनशन पर रहेंगी. इस पर आरडब्ल्यूए ने आपत्ति जताई है.
ज्ञात हो कि पूरे उत्तर भारत में इस तरह के अधिकतर आरडब्ल्यूए उनके यहां के रहवासियों के साथ 22 जनवरी को मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह मनाने के लिए खासे सक्रिय रहे थे.
सुरन्या ने अखबार को बताया कि यह घर उनके पिता का है और वे वहां नहीं रहती हैं.
सोशल मीडिया पर जारी बयान में उन्होंने कहा कि वे फिलहाल किसी भी तरह के टेलीविजन कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगी और किसी भी मीडिया को बयान नहीं देंगी.
उन्होंने लिखा, ‘मेरा मानना है कि प्रेस किसी भी लोकतंत्र में आवश्यक है. लेकिन दुख की बात है कि इस समय प्रेस और मीडिया सिर्फ भ्रम और जहर फ़ैला रहे हैं. इसीलिए मुझे लगता है कि मीडिया से दूर रहना ही मेरे लिए सबसे अच्छा होगा. और जब तक मेरे पास यह मंच है, मैं यहीं से आपसे बात करती रहूंगी. जय हिंद!’
उन्होंने यह भी जोड़ा, ‘इस समय सार्वजनिक चर्चा बहुत गिरी हुई है, गाली-गलौज और झूठ के अलावा और कुछ नहीं है. …जिसे वे डिबेट कहते हैं, वह वास्तव में डिबेट नहीं है. मुझे लगता है कि भारत में हम सभी को बेहतर तरह की बातचीत और बेहतर संवाद करना चाहिए. …मुझे उम्मीद है कि मेरे साथ जो हो रहा है, इससे हर किसी को यह सोचने का मौका मिलेगा कि हम कहां जा रहे हैं, कैसे जा रहे हैं और क्या हम ऐसा बनना चाहते हैं.’
अख़बार के मुताबिक, आरडब्ल्यूए अध्यक्ष कपिल कक्कड़ के दस्तखत वाले पत्र में एसोसिएशन ने दोनों से कहा है कि ‘कृपया किसी अन्य कॉलोनी में चले जाएं, जहां लोग और आरडब्ल्यूए इस तरह की नफरत से आंखें मूंद सकें.’
आरडब्ल्यूए ने मणिशंकर से अपनी बेटी के ‘कृत्य’ की निंदा करने के लिए भी कहा है और इसे ‘हेट स्पीच’ बताया है.
आरडब्ल्यूए ने यह भी कहा, ‘आप अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ ले सकते हैं, लेकिन यह याद रखें, सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता असीम नहीं हो सकती.’
उधर, भारतीय जनता पार्टी के ‘आईटी-सेल’ के प्रमुख अमित मालवीय ने एक्स (पहले ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा है कि इस ‘छोटे पत्र’ को ‘उन सभी के लिए एक संदेश के तौर पर काम करना चाहिए, जो सोचते हैं कि हिंदू मान्यताओं को अपशब्द बोलना आम बात है.’
कांग्रेस ने आरडब्ल्यूए के कदम की वैधता पर सवाल उठाया
गुरुवार को नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी ने आरडब्ल्यूए के कदम की वैधता पर सवाल उठाया और इसे ‘न्यू इंडिया’ का ‘भयानक’ उदाहरण बताया.
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘अगर यह दुखद नहीं होता तो मैं इसे (घटना को) हंसी में उड़ाकर खारिज कर देता.’
उन्होंने कहा, ‘मैं केवल इसलिए प्रतिक्रिया दे रहा हूं क्योंकि इस तरह की घटनाएं दुखद हैं. मैं सैकड़ों मुद्दों पर आपसे कभी सहमत नहीं होऊंगा. मैं सैकड़ों मुद्दों पर अय्यर साहब या उनकी बेटी से सहमत नहीं हो सकता. लेकिन मुद्दा यह बिल्कुल नहीं है. मैं आपके मुझसेअसहमत होने के अधिकार को कैसे सहन नहीं कर सकता? और उन्हें कॉलोनी से बाहर निकलने के लिए कहने की क्या वैधता है, क्या संवैधानिकता है क्योंकि उनका कहा मुझे पसंद नहीं है? न्यू इंडिया में यह भयावह है. उन्हें असहमत होने का पूरा अधिकार है लेकिन क्या एक पड़ोसी दूसरे को घर से बाहर निकलने के लिए कह सकता है?’
उल्लेखनीय है कि इससे पहले जनवरी महीने में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर) का विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया था, जिसकी अध्यक्ष मणिशंकर की एक और बेटी यामिनी अय्यर हैं. दुनियाभर के शिक्षाविदों और रिसर्चर्स ने केंद्र सरकार के इस कदम की आलोचना की थी.
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