डीसी कुरुक्षेत्र नेहा सिंह और हरियाणा शुगर किंग रजनीश त्यागी का ये रिश्ता क्या कहलाता है
किंग रजनीश त्यागी (मैसर्ज ओम इंटरप्राइजेज) के ‘साम्राज्य’ को बचाने के लिए डीसी कुरुक्षेत्र नेहा सिंह खुलकर ‘मैदान में
कुरुक्षेत्र डीसी नेहा सिंह और शुगर किंग रजनीश त्यागी के बीच सांठगांठ !
चंडीगढ़/अराल हिन्द/राजकुमार अग्रवाल
हरियाणा की चीनी मिलों के ‘किंग’ माने जाने वाले रजनीश त्यागी (मैसर्ज ओम इंटरप्राइजेज) के ‘साम्राज्य’ को बचाने के लिए डीसी कुरुक्षेत्र नेहा सिंह खुलकर ‘मैदान’ में आ गई हैं। उन्होंने ओम इंटरप्राइजेज को ब्लैकलिस्ट करने व 3 करोड़ 42 लाख रुपये की रिकवरी के आदेश पर ‘मिट्टी डालने’ की शुरुआत कर दी है। बाकायदा इसके लिए शुगरफेड को पत्र लिखा है, जिसमें एमडी शुगर मिल शाहबाद के 23 अप्रैल के आदेश को तुरंत प्रभाव से ‘नल एंड वॉइड’ करने का आग्रह शुगरफेड के एमडी से किया है। अब देखना होगा कि शुगरफेड पहले ही तरह त्यागी की ‘अंगुलियों’ पर ही ‘नाचेगी’ या फिर हरियाणा सरकार को राजस्व का बड़ा नुकसान पहुंचाने वाली ओम इंटरप्राइजेज के खिलाफ ‘फैसला’ लेगी।
डीसी कुरुक्षेत्र नेहा सिंह ने कोई पहली बार रजनीश त्यागी का ‘पक्ष’ नहीं लिया है। इससे पहले वे डीसी पलवल रहते हुए भी शुगरफेड की शर्तों को ‘ताक’ पर रखते हुए रजनीश की फर्म को पलवल चीनी मिल में ऑपरेशन्स एंड मेंटेनेंस का टेंडर दे चुकी हैं। शुगरफेड ने इस पर ‘आपत्ति’ भी जताई, लेकिन रजनीश त्यागी व उनके ‘अघोषित’ पार्टनर दीपक खटोर की ‘जोड़ी’ ने अपनी जादुई ‘कला’ दिखाते हुए परिस्थितियों को अपने ‘पक्ष’ में कर लिया। शाहाबाद चीनी मिल में बिना किसी अनुभव के एथनॉल प्लांट चलाने का टेंडर हथियाने वाले रजनीश त्यागी इस प्लांट को चलाने में फेल साबित हुए। इसी आधार पर उनसे ‘काम’ छीन लिया गया और उनकी फर्म के खिलाफ ‘कार्रवाई’ शुरू कर दी गई। जिसके चलते 23 अप्रैल को ओम इंटरप्राइजेज को ‘ब्लैकलिस्ट’ करने के साथ ही 3.42 करोड़ रुपये की ‘रिकवरी’ के आदेश दिए गए। ध्यान रहे, रजनीश या उनकी फर्म से कोई भी प्रतिनिधि एक बार भी नोटिस के बावजूद अपना पक्ष रखने के लिए शाहाबाद चीनी मिल की कमेटी के सामने प्रस्तुत नहीं हुए।
लेकिन, वे शुरु से ही इस कोशिश में रहे कि मामले की जांच चीनी मिल की बजाए किसी अन्य को चली जाए। इसीलिए डीसी कुरुक्षेत्र नेहा सिंह ने 9 अप्रैल को शाहाबाद चीनी मिल में चल रही जांच को तुरंत प्रभाव से ‘रोकने’ व तमाम जांच एडीसी कुरुक्षेत्र को ‘सौंपने’ का पत्र लिख दिया था, ताकि ओम इंटरप्राइजेज को ब्लैकलिस्ट होने से रोका जा सके। लेकिन, यह ‘दांव’ फेल होने के बाद अब जब रजनीश की फर्म पर पहली बार ‘गाज’ गिर चुकी है तो फिर उसे खुलकर बचाने के लिए डीसी स्वयं आगे आ गई हैं। मिल की चेयरपर्सन होने के नाते उन्होंने शुगरफेड के एमडी को पत्र लिखा है, जिसमें हवाला दिया गया है कि उनके 9 अप्रैल के उस पत्र को नजरअंदाज किया गया, जिसमें जांच रोकने व एडीसी को जांच करने का ‘अधिकार’ देने की बात कही थी। साथ ही यह भी जिक्र किया है कि ब्लैकलिस्ट होने व रिकवरी की मार पड़ने के बाद उक्त फर्म ने उनके पास अपनी ‘प्रेजेंटेशन’ दी। ऐसे में सवाल उठता है कि चीनी मिल से ब्लैकलिस्ट होने, जुर्माना लगाने व रिकवरी आदेश मिलने के बाद अब डीसी के पास ‘प्रेजेंटेशन’ देने के पीछे कोई खास किस्म की ‘खिचड़ी’ तो नहीं ‘पक’ रही?
डीसी कुरुक्षेत्र के पत्र के बाद अब सभी की नजरें शुगरफेड की तरफ टिकी हैं। हालांकि, रजनीश-दीपक की जोड़ी समय-समय पर शुगरफेड को भी अपनी ‘अंगुली’ पर ‘नचाती’ रही है, लेकिन इस बार ये कितनी ‘सफल’ होगी, यह देखनी वाली बात रहेगी। शुगरफेड के एमडी कैप्टन शक्ति सिंह के पास चीनी मिलों के आरसीएस की भी पावर हैं, ऐसे में हरियाणा सरकार को नुकसान पहुंचाने वाली फर्म को वे ‘ब्लैकलिस्ट’ रखते हुए जुर्माना राशि की ‘रिकवरी’ के आदेश को सही ठहराते हैं या फिर डीसी कुरुक्षेत्र की तरह बचाने का कोई ‘खास’ किस्म का ‘रास्ता’ चुनते हैं, यह आने वाले दिनों में पता चल जाएगा।
डीसी कैंप ऑफिस के कैमरों की जांच कराए सरकार
पुख्ता सूत्रों के मुताबिक रजनीश त्यागी व दीपक खटोर का पिछले कुछ दिनों से डीसी कुरुक्षेत्र के कैंप ऑफिस में आना-जाना कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। यहां पर इनकी घंटों-घंटों मौजूदगी चल रही है। बीच-बीच में देर रात तक भी ये यहीं पर देखे गए। ऐसे में प्रदेश सरकार को डीसी कुरुक्षेत्र के कैंप ऑफिस के सीसीटीवी ‘फुटेज’ की जांच करानी चाहिए। साथ ही रजनीश-दीपक की ‘मूवमेंट’ की भी गुप्त जांच करानी चाहिए, ताकि पता चल सके कि खुद को बचाने के लिए ये किस ‘हद’ तक और किस-किस तरह से ‘लॉबिंग’ कर रहे हैं।
शारीरिक शोषण में दीपक खटोर को ‘क्लीन चिट’!
महिला कर्मचारी के शारीरिक शोषण के जिस मामले में सीएओ दीपक खटोर को शाहाबाद चीनी मिल की जांच कमेटी ने दोषी ठहराते हुए पुलिस में एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया था, उस मामले में डीआरओ की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय आंतरिक कमेटी ने क्लीन चिट दे दी है। इसके खिलाफ पीड़िता कर्मी ने एमडी शूगरफेड को शिकायत भेजी है, जिसमें कहा गया है कि पारिवारिक कारणों से जांच में अपनी अनुपस्थिति बारे डीसी ऑफिस को व्हाट्सएप मैसेज भी किया था। डीसी कुरुक्षेत्र पर उन्हें ‘विश्वास’ नहीं है। उन्हें ‘गुमराह’ किया जा रहा है। ऐसे में खटोर द्वारा किए गए शारीरिक शोषण की जांच उच्च स्तर पर करवाई जाए। शिकायत वापस लेने का दबाव बनाने के लिए बार-बार धमकाया जा रहा है।
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