राव इंद्रजीत को “हाशिए” पर डालने का अभियान शुरू
अहिरवाल में राव इंद्रजीत का प्रभाव “खत्म” करने के लिए मुख्यमंत्री का खेमा हुआ सक्रिय
सीएम के कार्यक्रमों के बैनरों से इंद्रजीत का फोटो गायब करके दिया नेताओं को बड़ा संदेश
-अटल हिन्द /राजकुमार अग्रवाल –
महेंद्रगढ़। अहिरवाल की राजनीति में एक बार फिर से “उबाल” आता नजर आ रहा है। कल मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के महेंद्रगढ़ जिले के कार्यक्रमों में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत की “भागीदारी” नहीं होना और इसके सीएम के कार्यक्रमों के बैनरों से उनकी फोटो का “गायब” होना अहिरवाल की राजनीति में नया “तूफान” खड़ा करने का काम कर गया है।
पिछले 7 साल से लगातार मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और राव इंद्रजीत के बीच “खींचातानी” की सियासत चल रही है।
कांग्रेस की भूपेंद्र हुड्डा सरकार की तरह राव इंद्रजीत बीजेपी की सरकार में भी सोतैलेपन का शिकार हो गए। उनका खाड़कू सियासत का अंदाज मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को नहीं भाया।
मंदचों से सरेआम सरकार की “कमियों” का बखान करना और मुख्यमंत्री के सामने सवाल खड़ा करना इंद्रजीत के लिए सियासी तौर पर नुकसानदायक साबित हुआ है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की “गुडबुक” में राव इंद्रजीत कभी भी नहीं रहे। अहीरवाल में इंद्रजीत के मुकाबले का नेता खड़ा करने के लिए मुख्यमंत्री की तरफ से लगातार कोशिशें रही।
पिछली सरकार में राव नरबीर सिंह को पूरी पावर और आजादी देकर आगे बढ़ाने का प्रयास किया गया लेकिन वह गुड़गांव से बाहर अपना रुतबा और प्रभाव बनाने में “नाकाम” रहे।
इस सरकार में भी मुख्यमंत्री ने अभय सिंह यादव को अपने समर्थन की कमान देकर राव इंद्रजीत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। आधा दर्जन इंद्रजीत विरोधी नेताओं को भी मुख्यमंत्री का आशीर्वाद हासिल है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर इंद्रजीत के दोनों मंत्री ओमप्रकाश यादव औश्र बनवारी लाल को हटाकर अपने समर्थकों को मंत्री बनाना चाहते हैं लेकिन राव इंद्रजीत ने अपनी शीटों पावर का इस्तेमाल करके मुख्यमंत्री के अरमानों पर पानी फेर दिया।
अहीरवाल में इंद्रजीत मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को “प्रतिद्वंद्वी” नजर आ रहे हैं इसलिए हर कदम पर उनको सियासी तौर पर काटने और उनका प्रभाव कम करने के लिए कोशिशें लगातार जारी रहती हैं।
वर्तमान सरकार के 600 दिन पूरे होने पर चंडीगढ़ में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में समर्थक दोनों मंत्रियो ने भागीदारी नहीं की थी जिसके चलते दोनों ही नेताओं में रिश्ते और भी तल्ख हो गए।
उसके बाद ही मुख्यमंत्री ने राव समर्थक दोनों मंत्रियों को हटाने का मन बना लिया था लेकिन राव इंद्रजीत के भाजपा हाईकमान के मजबूत रिश्ते के कारण मुख्यमंत्री की योजना सिरे नहीं चढ़ पाई लेकिन मुख्यमंत्री इंद्रजीत को हाशिए पर धकेलने के लिए मन बना चुके हैं।
इसलिए अहीरवाल में नए सिरे से विरोधी नेताओं को ज्यादा पावर और खुली छूट देने का काम शुरू हो गया है।
कल महेंद्रगढ़ में जिस तरह से मुख्यमंत्री ने शक्ति प्रदर्शन करते हुए इंद्रजीत को खुली चुनौती देने का काम किया वह अहीरवाल की राजनीति में नए समीकरणों को जन्म देने का काम करेगा।
मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों में न तो राव इंद्रजीत को बुलाया गया और ना ही बैनरों में उनके फोटो को जगह दी गई जिसके चलते दोनों ही नेताओं के रिश्तो में “तल्खी” और भी बढ़ गई है।
राव इंदरजीत अपने जनाधार और पकड़ के बलबूते पर अहीरवाल में मुख्यमंत्री को खुली चुनौती दे रहे हैं वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री भी उन्हें कमजोर करने का हर मुमकिन प्रयास कर रहे हैं और उनका मजबूत विकल्प तैयार करने की मिशन में जुट गए हैं।
कल महेंद्रगढ़ में मुख्यमंत्री ने अपने समर्थकों के साथ शक्ति प्रदर्शन करके राव इंदरजीत को यह बड़ा संदेश देने का काम किया कि उनके बगैर भी अहीरवाल में काम चल सकता है।
बात यह है कि राव इंदरजीत की बोल्ड पॉलिटिक्स मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को रास नहीं आ रही है। प्रदेश के दूसरे सभी नेता मुख्यमंत्री के सामने सरेंडर कर चुके हैं वहीं राव इंद्रजीत अभी भी अपने बलबूते की पॉलिटिक्स कर रहे हैं और मुख्यमंत्री को आगे नतमस्तक नहीं हुए हैं।
मुख्यमंत्री को सबसे ज्यादा यही बात खटकती है कि राव इंद्रजीतउनके सामने हाजिरी क्योंनहीं मारते हैं।
अहीरवाल की एक दर्जन सीटों पर इंद्रजीत का बड़ा प्रभाव होने के कारण भाजपा हाईकमान जहां उनके लिए यह पोजीटिव है वही मुख्यमंत्री उनको काटने के प्रयासों में रहते हैं।
भूपेंद्र यादव के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद और राव अभय सिंह को मंत्री बनाने की मुख्यमंत्री की कोशिश ने अहीरवाल की राजनीति में बड़ी हलचल पैदा कर दी है। राव इंद्रजीत को खत्म करना आसान बात नहीं है उनके बराबर का चेहरा भी आसानी से तैयार नहीं हो सकता।
ऐसे में मुख्यमंत्री का इंद्रजीत को चुनौती देना भाजपा के अंदर नए सियासी युद्ध को जन्म देने का काम कर गया है।
अब मुख्यमंत्री और इंद्रजीत के बीच अहीरवाल में सरेआम शक्ति प्रदर्शन होते हुए नजर आएंगे।
अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री सत्ता के बलबूते पर इंद्रजीत के सियासी कद को कम करने में कितना सफल हो पाते हैं और अपने खिलाफ चल रही सियासी साजिशों का सामना करते हुए इंद्रजीत किस तरह से अपना वजूद बनाए रखने में सफल हो सकते हैं।
कड़वी बात यही है कि राव इंद्रजीत का मजबूत जनाधार मुख्यमंत्री मनोहर लाल को खटक रहा है और इसीलिए वे उनके विकल्प के लिए सरगर्मी से प्रयास कर रहे हैं।
राव इंदरजीत की खुले ख्याल की पॉलिटिक्स मुख्यमंत्री को “रास” नहीं आ रही है इसलिए अहीरवाल में राव इंदरजीत के “रुतबे” को कम कर करने का अभियान एक बार फिर शुरू किया गया है।
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