0 रुपये का नोट भी छापा गया था
Zero Rupee Notes : 100, 50 या 500 का नोट तो आपने बहुत देखी और खर्च की गई होगी. लेकिन, क्या आपको पता है कि देश में एक बार शून्य वैल्यू वाले नोट भी छापे गए. आखिर इस तरह के नोट छापने की जरूरत क्यों पड़ी और किसने इसे छापा था.
नई दिल्ली. भारतीय करेंसी यानी नोट तो हर आदमी के पास है. आपने भी 1 रुपये से लेकर 2,000 रुपये तक का नोट देखा और इस्तेमाल किया होगा. लेकिन, क्या आपको पता है कि देश में एक बार 0 रुपये का नोट (Zero Rupee Notes) भी छापा गया. जी बिलकुल सही पढ़ा आपने, जीरो रुपये का नोट जिसका कोई मूल्य नहीं था. इतना ही नहीं इस नोट को न सिर्फ छापा गया, बल्कि लोगों में बांटा भी गया. हम आपको बताते हैं कि आखिर शून्य वैल्यू वाले नोट को छापने की जरूरत क्यों पड़ी और इसे कब-किसने छापा था.
https://x.com/WorldBank/status/1209671385490034689?s=20
Zero Rupee Notesक्यों पड़ी इस नोट की जरूरत
दरअसल, देश के सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार इस कदर बढ़ गया था कि लोग काफी परेशान हो गए थे. हर काम के लिए घूस और पैसे खिलाने की प्रथा जैसी चल पड़ी थी, जिसके खिलाफ 5 पिलर एनजीओ ने एक अभियान चलाया. इस अभियान के तहत ही शून्य रुपये का नोट छापकर रेलवे स्टेशनों, बस स्टेशन और बाजारों में बांटा गया. एनजीओ ने लोगों को भ्रष्टाचार और घूस के खिलाफ जागरुक किया और उन्हें अधिकारों के बारे में सचेत किया.
एनजीओ ने शादी समारोहों में जाकर लोगों को जागरुक करने वाली बुकलेट और जीरो मूल्य वाले नोट बांटे. इतना ही नहीं छात्रों और जनता ने 30 फीट लंबे व 15 फीट चौड़े शून्य वैल्यू वाले नोट का बैनर भी लहराया. इस बैनर के साथ करीब 1,200 स्कूलों, कॉलेजों और जनसभाओं में जाकर भ्रष्टाचार के खिलाफ युवाओं को जागरुक किया गया. यह अभियान पूरे 5 साल तक चलता रहा और इस दौरान 5 लाख से ज्यादा नागरिकों से जीरो करप्शन के खिलाफ खड़े होने को लेकर हस्ताक्षर भी कराए गए.Zero Rupee Notes
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A 0 rupee note was also printed
Zero Rupee Notes दरअसल, साल 2007 में चेन्नई के एक गैर सरकारी संगठन (NGO) 5 पिलर (5th Pillar) ने शून्य रुपये का नोट छापा था. इस नोट पर सरकार या रिजर्व बैंक की ओर से कोई गारंटी नहीं दी गई थी और न ही इसे चलन में लाया गया था. बावजूद इसके नोट को हजारों लोगों तक पहुंचाकर एनजीओ ने जनता में एक खास संदेश दिया था. यह नोट हिंदी, तमिल, कन्नड़, मलियालम और तेलुगु में छापा गया था.
कैसा था यह नोट A 0 rupee note was also printed
शून्य रुपये के नोट का रंग-रूप बिलकुल 50 रुपये की तरह था. इस पर सामने की तरफ नीचे एक शपथ लिखी थी, ‘मैं कभी घूस न लूंगा, न दूंगा.’ एनजीओ ने सबसे पहले ऐसे 25 हजार नोट छापकर चेन्नई में बांटे. बाद में इस अभियान को 2014 तक चलाया गया और इस दौरान एनजीओ ने देशभर में करीब 25 लाख नोट शून्य रुपये वाले बांटे. इसका मकसद था कि घूस मांगने पर जनता इसी पैसे का इस्तेमाल करे.