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टर्म इंश्योरेंस क्या समय से पहले खत्म कर सकते हैं? 5 गलतियां कर देती हैं टर्म इंश्‍योरेंस का बेड़ा गर्क

टर्म इंश्योरेंस क्या समय से पहले खत्म कर सकते हैं? 5 गलतियां कर देती हैं टर्म इंश्‍योरेंस का बेड़ा गर्क

पैसा मिलेगा वापस या रह जाएंगे खाली हाथ, क्या है नियम?

होगा बहुत कम फायदा, पल्‍ले पड़ेगा सिर्फ पछतावा

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टर्म इंश्योरेंस क्या समय से पहले खत्म कर सकते हैं? 5 गलतियां कर देती हैं टर्म इंश्‍योरेंस का बेड़ा गर्क

नई दिल्‍ली. जीवन की अनिश्चितताओं को देखते हुए अब हर आदमी के लिए टर्म इंश्योरेंस (Term Insurance) अनिवार्य हो गया है. इसके जरिए काफी कम प्रीमियम में अपने परिवार के वित्तीय भविष्‍य को सुरक्षित किया जा सकता है. टर्म इंश्‍योरेंस तब किसी व्‍यक्ति के परिवार की आर्थिक जरूरतों और वित्तीय लक्ष्‍यों को पूरा करने में सहायक होता है, जब वह दुनिया में नहीं रहता है. टर्म इंश्‍योरेंस लेते वक्‍त काफी सावधानी बरतनी चाहिए. इंश्‍योरेंस कंपनियों के दावों और वादों को अच्‍छे से जांच-परखकर और अपनी वित्‍तीय जरूरतों का विश्‍लेषण करके ही टर्म इंश्‍योरेंस पॉलिसी खरीदनी चाहिए. बहुत से लोग यह बीमा खरीदते वक्‍त कुछ गलतियां कर बैठते हैं. गलतियां बाद में बहुत भारी पड़ती हैं.

अगर आप भी चाहते हैं कि टर्म इंश्‍योरेंस का पूरा लाभ आपके परिवार को मिले तो यह इंश्‍योरेंस लेने से पहले कुछ बातों का ध्‍यान जरूर रखें. आमतौर पर लोग जो कॉमन गलतियां करते हैं, उनसे बचना ज्‍यादा मुश्किल काम नहीं है. आज हम आपको ऐसी ही 5 गलतियों के बारे में बता रहे हैं, जो टर्म इंश्‍योरेंस पॉलिसी का बेड़ा गर्क कर देती हैं.

 

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इंश्योरेंस कई तरह के होते हैं जो जरूरत पड़ने पर आपको कवरेज के जरिए आर्थिक सहायता मुहैया कराते हैं. कई बार लोग लाइफ इंश्योरेंस और टर्म इंश्योरेंस में अंतर नहीं समझ पाते हैं और इन्हें एक ही समझ लेते हैं. वहीं इंश्योरेंस चुनते समय लोगों को यह कंफ्यूजन भी होता है कि टर्म इंश्योरेंस या लाइफ इंश्योरेंस में से किसे लिया जाए और किसे नहीं लेना चाहिए.

क्या आप टर्म इंश्योरेंस को समय से पहले से सरेंडर कर सकते हैं? यह सवाल कई लोगों के मन में आता है. एक आम धारणा यह है कि टर्म इंश्योरेंस को मैच्योरिटी से पहले सरेंडर नहीं किया जा सकता. ऐसा है भी और नहीं भी. टर्म इंश्योरेंस को आप समय से पहले खत्म कर सकते हैं. लेकिन ऐसा करने के बाद आपको कुछ मिलेगा या नहीं यह इस बात पर निर्भर करेगा कि वह प्योर टर्म इंश्योरेंस या फिर रिटर्न ऑन प्रीमियम वाला टर्म इंश्योरेंस.

इंश्योरेंस एक्सपर्ट स्वीटी मनोज जैन बताते हैं कि अधिकांश कंपनियां टर्म इंश्योरेंस पर कोई रिटर्न ऑफर नहीं करती हैं. बकौल जैन, यह प्योर टर्म इंश्योरेंस होता है, इसमें बीमाधारक के परिवार को पैसा तब ही मिलता है जब बीमाधारक का इंश्योरेंस पीरियड के अंदर निधन हो जाए. उन्होंने बताया कि इंश्योरेंस पीरियड अगर 30 साल का है और उसके अंदर बीमाधारक की मौत होती है तो उसके परिवार को बीमा की राशि मिलेगी. अगर व्यक्ति की मृत्यु बीमा पीरियड के बाहर होती तो एक पैसा भी नहीं मिलेगा.

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किस पॉलिसी में मिलता है रिटर्न
ऐसी टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी जिसमें रिटर्न की बात पहले से की गई हो. ऐसी पॉलिसी जिससे कोई इन्वेस्टमेंट कॉम्पोनेन्ट जुड़ा हो. मसनल, यूलिप, एंडाउमेंट या एन्युटी प्लान्स. इनमें एक बीमाधारक को समय से पहले पॉलिसी बंद करने पर सरेंडर वैल्यू मिलती है. सरेंडर वैल्यू 2 तरह की होती है. गारंटीड औ स्पेशल. पॉलिसी लेते वक्त आप इसके बारे में विस्तार से अपने पॉलिसी प्रोवाइडर से पूछ सकते हैं. स्पेशल सरेंडर वैल्यू में बोनस जुड़ जाता है. इन दोनों वैल्यू का कैलकुलेशन अलग-अलग होता है. आइए देखते हैं कि इन्हें कैसे कैलकुलेट किया जाता है.

कैलकुलेशन
पॉलिसी बाजार की वेबसाइट के अनुसार, गारंटीड सरेंडर वैल्यू को कैलकुलेट करने का तरीका बेहद आसान है. मसलन, एलआईसी जीवन बीमा के पॉलिसीधारक ने जो प्रीमियम दिया है उसका 30 परसेंट गारंटीड सरेंडर वैल्यू होगी. उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि आपने 5 साल में 10,000 रुपये प्रति वर्ष के हिसाब से 50,000 का प्रीमियम दिया है. इसका 30 परसेंट यानी 50,000*30/100= 15000 रुपये आपको गारंटीड सरेंडर वैल्यू मिलेगी. गौरतलब है कि यहां जो 30 परसेंट है वह सरेंडर वैल्यू फैक्टर है और यह बीमा प्रोवाइडर द्वारा कम या ज्यादा किया जा सकता है. यह फिक्स नहीं है.

 

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अब आते हैं स्पेशल सरेंडर वैल्यू पर. मान लीजिए कि आपकी पॉलिसी 10 साल की है आप हर साल 10,000 का प्रीमियम दे रहे हैं. आपकी पॉलिसी की मैच्योरिटी वैल्यू 2 लाख रुपये है. आप चौथे साल में पॉलिसी टर्मिनेट करना चाह रहे हैं. इस कैलकुलेशन में ओरिजनल सम एश्योर्ड*(जितने प्रीमियम दिए गए/जितने प्रीमियम कुल दिए जाने थे). यह कुछ ऐसा दिखेगा 2,00,000*(4/10)=80,000 रुपये. यह आपकी पेड-अप वैल्यू है. इसमें बोनस को जोड़ा जाएगा और फिर सरेंडर वैल्यू को फैक्टर किया जाएगा. सरेंडर वैल्यू को 30 फीसदी ही मान लेते हैं. कैलकुलेशन के उद्देश्य से बोनस की वैल्यू 40,000 रुपये मान लेते हैं. अब यह कुछ ऐसा दिखेगा. (80,000+40,000)*30%, 1,20,000*30/100= 36,0000. स्पेशल बोनस आपका 36,000 रुपये होगा.

लाइफ इंश्योरेंस और टर्म इंश्योरेंस में क्या होता है अंतर, आपके लिए कौनसा रहेगा ज्यादा फायदेमंद?

क्या होते हैं लाइफ इंश्योरेंस और टर्म इंश्योरेंस?
लाइफ इंश्योरेंस (Life Insurance)किसी पॉलिसी होल्डर को लाइफ टाइम के लिए सुरक्षा की गारंटी देता है. वहीं पॉलिसी होल्डर की मृत्यु के बाद उसके परिवार या नॉमिनी को आर्थिक मदद देता है. इसमें आपको मैच्योरिटी बैनेफिट्स, सरेंडर बेनेफिट्स, लॉयल्टी एडिशन वगैरह भी मिल सकते हैं जबकि टर्म इंश्योरेंस एक ऐसा फाइनेंशियल प्रॉडक्ट है, जो एक फिक्स्ड टाइम के लिए फिक्स्ड अमाउंट देता है. यह ज्यादा अफॉर्डेबल होता है और आप इसे एक फिक्स्ड पीरियड के लिए खरीद सकते हैं. इसे आप अपनी जरूरतों के मुताबिक कस्टमाइज़ भी कर सकते हैं.

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लाइफ इंश्योरेंस और टर्म इंश्योरेंस में अंतर
टर्म इंश्योरेंस प्लान में व्यक्ति को डेथ बेनेफिट तभी मिलता है जब बीमा करवाने वाले व्यक्ति की मृत्यु टर्म पीरियड के दौरान हुई है. वहीं लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी करवाने वाले व्यक्ति को डेथ बेनेफिट का लाभ पॉलिसी और मैच्योरिटी के बाद भी मिलता है. टर्म इंश्योरेंस प्लान आपको कम प्रीमियम में ज्यादा रिटर्न मिलता है. अगर आप लाइफ इंश्योरेंस प्लान बीच में ही बंद कर देते हैं तो आपको केवल उतनी रकम वापस मिलती है जो आपने प्रीमियम के तौर पर जमा की थी. वहीं टर्म इंश्योरेंस प्लान में अगर आप प्रीमियम भरना छोड़ देते हैं तो आपको उसके बेनेफिट्स मिलना बंद हो जाते हैं और साथ में पॉलिसी भी बंद हो जाती है.

आपके लिए कौन सी पॉलिसी है बेहतर?
(Health Insurance,)लाइफ इंश्योरेंस और टर्म इंश्योरेंस में से आपके लिए क्या बेहतर है यह आपकी फाइनेंशियल जरूरतों पर निर्भर करता है. अगर आप कम समय के लिए कोई पॉलिसी लेना चाहते हैं तो आपके लिए टर्म इंश्योरेंस(Insurance Policy) ज्यादा फायदेमंद हो सकता है. इससे आप प्रीमियम की राशि में काफी बचत कर सकते हैं. वहीं अगर आप लाइफ टाइम कवरेज के साथ कोई ऐसी पॉलिसी लेना चाहते हैं जो आपको कैश वेल्यू भी प्रदान करता है, तो आपके लिए लाइफ इंश्योरेंस बेहतर ऑप्शन हो सकता है.

 

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आज हम आपको ऐसी ही 5 गलतियों के बारे में बता रहे हैं, जो टर्म इंश्‍योरेंस पॉलिसी का बेड़ा गर्क कर देती हैं.
गलत कवर लेना
आमतौर पर लोग कितना टर्म इंश्‍योरेंस लेना चाहिए, इसका फैसला करने में गलती कर देते हैं. वे परिवार के खर्चों, लॉन्‍ग टर्म फाइनेंशियल गोल्‍स, लोन और अन्‍य फाइनेंशियल कमिटमेंट का ध्‍यान रखे बगैर टर्म इंश्‍योरेंस कवर ले लेते हैं. होता यह है कि कई बार टर्म इंश्‍योरेंस कवर से सारी जरूरतें पूरी नहीं होती और परिवार को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. टर्म इंश्‍योरेंस कितनी राशि का लेना चाहिए, इसके लिए एक सर्वमान्‍य नियम है. यह नियम है कि आपको अपनी मौजूदा वार्षिक आय से 20 गुना ज्‍यादा टर्म इंश्‍योरेंस कवर लेना चाहिए.

गलत पे-आउट विकल्‍प चुनना
क्‍लेम पे-आउट प्‍लान वह साधन है जिससे आपके परिवार को बीमा कंपनी पैसा देगी. टर्म इंश्‍योरेंस में एकमुश्‍त पे-आउट, मंथली इनकम पे-आउट ऑप्‍शन और एकमुश्‍त और मंथली इनकम पे-आउट ऑप्‍शन मिलते हैं. ज्‍यादातर लोग पे-आउट प्‍लान चुनने में लापरवाही बरतते हैं. इससे आगे उनके परिवार को क्‍लेम में मिली राशि को संभालने में दिक्‍कत होती है.

राइडर्स की अनदेखी
टर्म इंश्‍योरेंस लेते वक्‍त बहुत से लोग एड-ऑन्‍स जिन्‍हें राइडर्स कहा जाता है. नहीं लेते हैं. राइडर्स कुछ विशिष्‍ट घटनाओं के घटने पर अतिरिक्‍त राशि बीमाधारक को क्‍लेम के रूप में देते हैं. एक्सिडेंटल डिस्‍एबिलिटी राइडर, क्रिटिक्‍ल इलनेस राइडर और एक्सिडेंटल डेथ बेनेफिट राइडर जैसे एड ऑन्‍स बीमा कंपनियां उपलब्‍ध कराती हैं. इनमें से अपनी जरूरत अनुसार राइडर का चुनाव जरूर करना चाहिए.

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गलत कंपनी का चुनाव
बीमा कंपनी का चुनाव आमतौर पर ज्‍यादातर लोग उसके क्‍लेम सेटलमेंट रेश्‍यो को देखकर करते हैं. बीमा कंपनी चुनने का यह तरीका सही नहीं है. जरूरी नहीं की जिस कंपनी का क्‍लेम सेटलमेंट रेश्‍यो अच्‍छा है उसकी सेवा भी अच्‍छी ही हो. कई कंपनियां छोटे क्‍लेम निपटाकर अपना क्‍लेम सेटलमेंट रेश्‍यो तो अच्‍छा कर लेती हैं लेकिन, बड़े सेटलमेंट में इनका रिकॉर्ड खराब होता है.

प्रपोजल फॉर्म को गंभीरता से न लेना
टर्म इंश्‍योरेंस प्रपोजल फॉर्म को अधिकतर लोग गंभीरता से नहीं लेते. वे उसे न तो अच्‍छी तरह पढ़ते हैं और कई बार तो अनजाने में और कभी जानबूझकर गलत जानकारी भर देते हैं. अगर आपने प्रपोजल फॉर्म में गलत जानकारी भरी है या फिर किसी जानकारी को जानबूझकर छिपाया है तो कंपनी आगे आपके परिवार को क्‍लेम देने से इंकार कर सकती है.

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