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CHANDIGARH मेयर चुनाव: शुक्रिया सुप्रीम कोर्ट, लोकतंत्र की हत्या की भाजपाई साजिश में मसीह सिर्फ ‘मोहरा’ है, पीछे मोदी का ‘चेहरा’ है।”

चंडीगढ़ मेयर चुनाव: शुक्रिया सुप्रीम कोर्ट, लोकतंत्र की हत्या की भाजपाई साजिश में मसीह सिर्फ ‘मोहरा’ है, पीछे मोदी का ‘चेहरा’ है।”
Chandigarh Mayor Election: Thank you Supreme Court, Christ is just a ‘pawn’ in the BJP’s conspiracy to murder democracy, behind which is the ‘face’ of Modi.”
BY-मुकुल सरल
चुनावी बांड को रद्द किए जाने के बाद लोकतंत्र को बचाने में सुप्रीम कोर्ट का दूसरा बड़ा फैसला है लेकिन अहम सवाल यही है कि मसीह तो महज़ मोहरा है, लाभार्थी को क्यों छोड़ दिया गया।
चंडीगढ़ मेयर चुनाव (Chandigarh Mayor Election)पर सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) के फैसले के बाद दो सवाल सबसे अहम हो गए हैं
1.    पीठासीन अधिकारी मसीह तो पकड़ा गया लेकिन लाभार्थी को क्यों छोड़ दिया गया।
2.    जब केवल 36 वोटों के चुनाव में सीसीटीवी के सामने इतनी बड़ी धांधली और चोरी कर ली गई तो आने वाले आम चुनाव में क्या होगा। उस चोरी और लूट को कैसे रोका जाएगा।
चंडीगढ़ मेयर चुनाव के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया है। ये चुनावी बांड को रद्द किए जाने के बाद लोकतंत्र को बचाने में सुप्रीम कोर्ट का दूसरा बड़ा फैसला है। कोर्ट ने मेयर चुनाव के पहले वाला नतीजा रद्द करके, बैलेट पेपर को दोबारा गिनवाया और इस तरह आप और कांग्रेस यानी इंडिया एलायंस के प्रत्याशी कुलदीप कुमार विजयी घोषित हुए।
कोर्ट के सामने झूठ बोलने और धांधली करने के लिए पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह के खिलाफ अब मुकदमा भी चलेगा। लेकिन मसीह तो महज़ एक मोहरा है। इसलिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बिल्कुल सही ट्वीट किया है कि-
“लोकतंत्र की हत्या की भाजपाई साजिश में मसीह सिर्फ ‘मोहरा’ है, पीछे मोदी का ‘चेहरा’ है।”
आप नेता अरविंद केजरीवाल ने भी आने वाले आम चुनाव को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि बीजेपी पहले तो चुनाव में धांधली करके जीत जाती है और अगर ये चुनाव हार जाते हैं तो पार्षद, विधायक तोड़ना शुरू कर देते हैं। नोटों की गड्डियां फेंकना शुरू करते हैं, ED पीछे लगाकर सरकार गिरा देते हैं।
यह बिल्कुल वाजिब चिंताएं हैं। सुप्रीम कोर्ट के साथ हम सबको भी चिंता करनी चाहिए कि जब केवल मेयर के चुनाव में ऐसी खुली धांधली की जा सकती है। दोबारा चुनाव होने की संभावना के चलते खुलेआम हॉर्स ट्रेडिंग की जा सकती है तो आने वाले लोकसभा चुनाव में जिसमें करीब 97 करोड़ मतदाता हैं, उसमें क्या होगा।
इसलिए अधिकारी के साथ लाभार्थी को भी सबक दिए जाने की ज़रूरत है क्योंकि एक चुनाव अधिकारी ने ये अपने लिए तो किया नहीं होगा। और इस मामले में लाभार्थी कौन है यह शीशे की तरह साफ़ है। बीजेपी का मेयर (अब पूर्व) मनोज सोनकर और उनके साथ उनकी पूरी पार्टी और पार्टी के सुप्रीमो। न..न जेपी नड्डा नहीं। बीजेपी का आलाकमान एक ही है और वे हैं ख़ुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।
आपको बता दें कि चंडीगढ़ नगर निगम (Chandigarh Municipal Corporation)के मेयर के लिए काफी जद्दोजहद के बाद 30 जनवरी को चुनाव हुए थे। काफ़ी जद्दोजहद इसलिए क्योंकि पहले ये चुनाव 18 जनवरी को होने थे। लेकिन पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह की तबियत अचानक ख़राब हो गई और चुनाव स्थगित कर दिए गए। फिर विपक्ष ने पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका लगाई और कोर्ट ने 30 जनवरी को चुनाव कराने के आदेश दिए।
30 जनवरी को हुए चुनाव में इंडिया गठबंधन यानी आप व कांग्रेस के साझा उम्मीदवार को 20 वोट मिले लेकिन उसमें से 8 वोट अवैध घोषित कर निरस्त कर दिए गए और इस प्रकार कुल 16 वोट पाकर भी बीजेपी के उम्मीदवार मनोज सोनकर को विजयी घोषित कर दिया गया।
चंडीगढ़ नगर निगम में कुल 35 पार्षद हैं और एक स्थानीय सांसद का वोट होता है। यानी कुल 36 वोट होते हैं जिनमें बहुमत का आंकड़ा 19 है।
बीजेपी के पास यहां कुल 14 पार्षद हैं। यहां की स्थानीय सांसद बीजेपी की किरण खेर हैं। इसलिए यह एक और वोट मिल लिया जाए तो भी कुल 15 वोट होते हैं। एक पार्षद अकाली दल का है। कहा जा रहा है कि उसका वोट भी बीजेपी के उम्मीदवार को मिला। इस तरह कुल 16 वोट होते हैं।
दूसरी तरफ़ यहां आम आदमी पार्टी के 13 पार्षद हैं। 7 पार्षद कांग्रेस के हैं। इनका सीधा जोड़ 20 होता है। यानी बहुमत से भी एक ज़्यादा। लेकिन चुनाव में खेला हो गया और इन 20 वोटों में से 8 रद्द कर दिए गए। इस तरह आप और कांग्रेस के साझा उम्मीदवार कुलदीप कुमार के खाते में कुल 12 वोट गिने गए और वे हार गए। 16 वोट पाकर बीजेपी उम्मीदवार जीत गए, क्योंकि 36 में से 8 वोट रद्द होने पर कुल बचे 28 वोटों में बहुमत का आंकड़ा बनता था 15.
यहां चुनाव बैलेट पेपर से हुए थे और इसमें जनता द्वारा सीधा चुनाव भी नहीं होता। पार्षद और स्थानीय सांसद ही वोट डालते हैं। तब भी इतना बड़ा खेला हो गया। बीजेपी की तरफ़ से कहा गया कि आप और कांग्रेस के पार्षदों को वोट डालना नहीं आता, इसलिए उनके वोट रद्द हुए। पीठासीन अधिकारी जो अब दोषी करार हुए हैं उनका भी लगातार यही कहना था कि मतपत्रों को छीनने और खराब करने की कोशिश की थी। इसलिए ही वे उस पर निशान लगा रहे थे।
आप ने इसे सरासर बेईमानी बताया और देशद्रोह की संज्ञा देते हुए पहले इसे पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी लेकिन हाईकोर्ट ने चुनाव परिणाम पर तत्काल रोक लगाने से इंकार कर दिया जिसके बाद आप प्रत्याशी कुलदीप कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
5 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए, बेहद कड़ी टिप्पणियां कीं। इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई में जस्टिस जेबी परदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की तीन सदस्यीय पीठ ने की।
वीडियो का संदर्भ देते हुए, सीजेआई ने पीठासीन अधिकारी को फटकार लगाई और कहा कि “क्या वह इसी तरह से चुनाव आयोजित कराते हैं? यह लोकतंत्र का मजाक है। यह लोकतंत्र की हत्या है। इस आदमी पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए।”Christ is just a ‘front’, behind which is the ‘face’ of Modi.”
कोर्ट ने उसी दिन मेयर चुनाव के पूरे रिकॉर्ड को जब्त करने और उसे पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल के पास रखे जाने का आदेश दिया। साथ ही मतपत्रों और वीडियोग्राफी को भी संरक्षित करने का आदेश दिया।
अदालत ने यह भी आदेश दिया कि चंडीगढ़ नगर निगम की आगामी बैठक, जो 7 फरवरी 2024 को होनी है, इस अदालत के अगले आदेश तक स्थगित रहेगी।
उसी दिन साफ हो गया था कि अब यह चुनाव रद्द हो सकता है। लेकिन यह साफ नहीं था कि नतीजा रद्द कर उन्हीं वोटों की दोबारा गिनती कराई जाएगी या दोबारा चुनाव कराए जाएंगे। दोबारा चुनाव की संभावना देखते हुए बीजेपी के मेयर मनोज सोनकर ने इस्तीफा दे दिया और ऑपरेशन लोटस शुरू कर दिया और आम आदमी पार्टी के तीन पार्षद तोड़कर अपनी पार्टी में शामिल कर लिए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की निगाह में भी इसे लाया गया और उसने हॉर्स ट्रेडिंग पर गहरी चिंता जताई।
सोमवार, 19 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान, चुनाव के पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह ने व्यक्तिगत रूप से स्वीकार किया कि उन्होंने आठ डाले गए मतपत्रों पर एक निशान जोड़ा था जिसे उन्होंने बाद में अवैध घोषित कर दिया था। हालांकि, उन्होंने यह कहकर अपने कृत्य को उचित ठहराया कि उन्होंने केवल उन मतपत्रों पर ‘X’ निशान लगाए, जिन्हें मतदान प्रक्रिया के दौरान पार्षदों द्वारा पहले ही विरूपित कर दिया गया था।
हालांकि आम समझ वाला व्यक्ति भी बता सकता है कि जिस दल को अपनी जीत का पूरा भरोसा हो, क्योंकि बहुमत का आंकड़ा सीधे सीधे उसके पक्ष में हो वो क्यों मतपत्र खराब करने की कोशिश करेगा।
ख़ैर अनिल मसीह की यह दलील सुप्रीम कोर्ट के सामने नहीं चली। आज लगातार दूसरे दिन मंगलवार, 20 फ़रवरी को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पुराना नतीजा रद्द करते हुए और अवैध घोषित किए आठ वोट को वैध घोषित करते हुए बैलेट पेपर की दोबारा गिनती करवाई। इस तरह आप व कांग्रेस के संयुक्त प्रत्याशी के पक्ष में 20 वोट मिले। और उन्हें विजयी घोषित कर दिया गया।
कोर्ट ने चुनाव अधिकारी को नोटिस जारी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि उन्होंने अदालत में झूठ बोला।
तो कुल मिलाकर चंडीगढ़ मेयर चुनाव का यही सबक है कि बीजेपी चुनाव जीतने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट के साथ आम जनता को भी अपने वोट की निगहबानी और चौकीदारी करनी होगी।
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