आम चुनाव 2024: बीजेपी 370 के लिए नहीं 272 पाने की लड़ाई लड़ रही है?
बीजेपी अपनी सीटें 370 तक पहुंचाने के लिए एक-एक राज्य और एक-एक सीट पर काम कर रही है या फिर 272 के बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने के लिए?General Elections Parliament of India 2024: BJP is fighting to get 272 not 370?
Advertisement
BY-अमरेंद्र कुमार राय
आने वाले आम लोकसभा चुनावों 2024 (General Elections 2024)के लिए बीजेपी ने अपने लिए 370 और एनडीए(NDA) के लिए 400 का नारा दिया है। जो बीजेपी के समर्थक हैं वो इसे मुमकिन मानते हैं। जो विरोधी हैं उनका कहना है कि बीजेपी को 272 छूना मुश्किल है।
Advertisement
निष्पक्ष लोगों का बहुत बड़ा तबका मानता है कि यह माहौल बनाने के लिए दिया गया नारा है। आम धारणा यह है कि बीजेपी तीसरी बार भी सरकार बनाने की स्थिति में है। हालांकि यह बात भी कही जा रही है कि जिस तरह से बीजेपी की तमाम कोशिशों के बावजूद इंडिया गठबंधन (india alliance)अभी भी बना हुआ है और आगे बढ़ रहा है उससे उसकी मुश्किलें बढ़ गई हैं।
अभी 15 राज्यों की 56 सीटों पर राज्यसभा के चुनाव हुए। आम तौर पर राज्य सभा के चुनाव निर्विरोध होते हैं क्योंकि इसमें विधायकों की संख्या के आधार पर पार्टियों के उम्मीदवार जीतते हैं। एक-दो जगहों पर कभी कभार पार्टियां अपनी स्थिति या अपनी क्षमता देखकर अतिरिक्त उम्मीदवार खड़े कर देती हैं और वहां चुनाव होते हैं। लेकिन इस बार के चुनावों में बीजेपी ने तीन राज्यों में अतिरिक्त उम्मीदवार उतार दिये जिससे चुनाव अनिवार्य हो गया।
Advertisement
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के 40 विधायक थे, बीजेपी के 25… यहां कांग्रेस की जीत तय थी। लेकिन बीजेपी ने उम्मीदवार उतार दिया। यूपी में सपा तीन सीटें जीत सकती थीं। तीन सीटें जीतने के लिए उसे सिर्फ एक अतिरिक्त वोट की जरूरत थी। लेकिन इसी सीट पर बीजेपी को जीतने के लिए सहयोगियों को मिलाने के बावजूद आठ वोटों की जरूरत थी। लेकिन उसने यहां भी उम्मीदवार खड़ा कर दिया। और तो और कर्नाटक में भी उम्मीदवार खड़ा कर दिया।
सबको पता है कि राज्यसभा चुनाव में वोट खरीदे जाते हैं। इस समय जितना पैसा बीजेपी के पास है उतना किसी और दल के पास नहीं। यह राज्य सभा चुनावों में साबित भी हुआ। उसने हिमाचल प्रदेश में चौंकाते हुए नौ विधायकों को अपने पक्ष में कर लिया, जिसमें से छह सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी के थे। इसी तरह यूपी में मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी के भी सात विधायकों को उसने तोड़ लिया।
बीजेपी सिर्फ राज्य सभा (Rajya Sabha)चुनावों में ही नहीं पूरे देश में विपक्ष को तोड़ने में लगी हुई है। महीने भर पहले उसने बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यू को इंडिया गठबंधन से तोड़कर अपनी ओर मिला लिया। यूपी में राष्ट्रीय लोक दल को अपनी ओर कर लिया है। इससे पहले महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी को तोड़ कर अपनी ओर मिला चुकी है।
Advertisement
कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चौहान को उसने अपनी ओर मिलाकर उन्हें राज्यसभा में भेजा है। असम में उसने कांग्रेस के दो प्रमुख नेताओं को तोड़ा है। आंध्र प्रदेश में वह सत्ताधारी पार्टी के मुखिया जगन मोहन और मुख्य विपक्षी पार्टी तेलुगु देशम दोनों से ही मधुर संबंध बनाये हुए है। तेलंगाना और ओडिशा में भी वहां की मजबूत पार्टियों भारत राष्ट्र समिति और बीजू जनता दल से अघोषित समझौता किये हुए है। ये सभी जब जरूरत होती है बीजेपी के साथ खड़े होते हैं।
सवाल यह है कि बीजेपी ऐसा क्यों कर रही है? अपनी सीटें 370 तक पहुंचाने के लिए एक-एक राज्य और एक-एक सीट पर काम कर रही है या फिर 272 के बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने के लिए?
Advertisement
बीजेपी के अलावा यह कोई भी नहीं मान रहा है कि बीजेपी 370 तक पहुंच सकती है। ऐसा न मानने वालों का तर्क है कि बीजेपी का आधार जिन राज्यों में है वहां वह अपनी अधिकतम सीमा तक पहुंच चुकी है। उन राज्यों में वह वहां की लगभग अधिकांश सीटें जीत चुकी है। उससे ज्यादा वह जीत ही नहीं सकती। अगर कर्नाटक, मध्य प्रदेश, असम, बिहार और छत्तीसगढ़ की बची सीटें भी वह जीत लेती है तो भी उसकी दस से ज्यादा सीटें नहीं बढ़ सकतीं। पर बीजेपी के समर्थकों का तर्क ये है कि हां, उन राज्यों में भी हमारी सीटें बढ़ेंगी।
इसके अलावा पश्चिम बंगाल, यूपी, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों में भी हमारी सीटें बढ़ेंगी। पिछले चुनाव में यूपी में बीजेपी ने 62 और उसकी सहयोगी अपना दल ने दो सीटें जीती थीं। अब वह कह रही है कि हम सभी अस्सी की अस्सी सीटें जीतेंगे। इस तरह यहीं से एनडीए को 16 सीटों का फायदा हो जाएगा। पश्चिम बंगाल में भी पार्टी मान रही है कि कम से कम इस बार तीस सीटें जीतेगी।
Advertisement
लेकिन हकीकत क्या है? हकीकत यह है कि बीजेपी को सचमुच कठिन परिस्थितियों से गुजरना पड़ रहा है। मणिपुर की घटनाओं के चलते पूरे उत्तर पूर्व भारत में उसके खिलाफ आक्रोश है। वहां से उसे पिछली बार की तुलना में कम सीटे मिलने की संभावना है। असम में भी उसे दो-तीन सीटों के नुकसान की आशंका बताई जा रही है।
पश्चिम बंगाल में पिछली बार उसने 18 सीटें जीती थीं। इस बार वहां से कम से कम दस सीटें कम होने की उम्मीद जताई जा रही है। बिहार में पिछली बार एनडीए ने 40 में से 39 सीटें जीती थीं। जब नीतीश कुमार गठबंधन के साथ थे तो माना जा रहा था कि इस बार वह आंकड़ा इंडिया गठबंधन के पक्ष में उलट सकता है।
Advertisement
नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ चले जाने के बावजूद अभी तक यही माना जा रहा है कि इस बार दोनों गठबंधनों के बीच मुकाबला कांटे का है और वहां से एनडीए को ज्यादा नहीं तो भी दस सीटों का तो नुकसान हो ही सकता है। फिर नीतीश कुमार का अभी भी कुछ पता नहीं कि उनके मन में क्या है और वे अगले कुछ दिनों में क्या करेंगे।
झारखंड में जिस तरह से बीजेपी ने आदिवासी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जेल भिजवाया है उससे राज्य में उसके खिलाफ माहौल है। वहां की 14 सीटों पर इस बार बाजी उल्टी पड़ सकती है। तो इस तरह देखें तो असम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और महाराष्ट्र में उसकी कम से कम पचास सीटें कम होती दिख रही हैं। अगर उसने मध्य प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, जम्मू-कश्मीर में कुछ सीटें और गंवाई तो उसका आंकड़ा 230 और 240 के बीच जाकर कहीं रुकेगा।
इस तरह वह 272 के आंकड़े से कहीं बहुत पीछे रह जाएगी। इसी बात की आशंका ज्यादा है। यही वजह है कि बीजेपी इतना परेशान है। वह एक-एक सीट पर इसलिए नहीं लड़ रही है कि उसे 370 तक पहुंचना है बल्कि इसलिए लड़ रही है कि उसे 272 तक पहुंचना है।
Advertisement
सबको पता है कि दक्षिण भारत में कर्नाटक के अलावा बीजेपी का ज्यादा कुछ नहीं है। और कर्नाटक में भी इस समय कांग्रेस की सरकार है। इस तरह दक्षिण की कुल 132 सीटों पर भाजपा के लिए ज्यादा कुछ नहीं है। तो कह सकते हैं कि 2024 के (Parliament of India)लोकसभा चुनाव बीजेपी के लिए 543 सीटों की बजाय चार सौ से थोड़ी ज्यादा सीटों पर ही दांव है।The Parliament of India
इसके अलावा बाकी बचे देश के ज्यादातर राज्यों में अगर एनडीए के मुकाबले इंडिया गठबंधन का एक उम्मीदवार हो जाए तो बीजेपी की मुश्किलें और ज्यादा बढ़ जाएंगी। इसलिए बीजेपी की कोशिश यह थी कि विपक्ष को एक मत होने दो। उसी कोशिश के तहत उसने महाराष्ट्र, बिहार, यूपी, हिमाचल, असम आदि में विपक्षी खेमे में तोड़फोड़ की है। लेकिन वह जानती है कि उसने नेताओं को तोड़ा है उनके साथ उनका वोट बैंक नहीं गया है।दूसरी तरफ बीजेपी की तमाम कोशिशों के बावजूद इंडिया गठबंधन मजबूती से चुनौती दे रहा है।Parliament of India General Election 2024
Advertisement
पश्चिम बंगाल में ममता-कांग्रेस तो बिहार में राजद-कांग्रेस। यूपी में सपा और कांग्रेस तो पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और गुजरात में आप और कांग्रेस। अभी उत्तर भारत की एक बड़ी ताकत बसपा ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। बताया जा रहा है कि उस पर बीजेपी का बड़ा दबाव है। लेकिन बसपा जानती है कि अकेले लड़कर वह अपने आप को खत्म कर लेगी। उसकी मुख्य ताकत यूपी में है। पिछले विधानसभा चुनाव में वह अकेले लड़कर देख चुकी है। उसका मात्र एक उम्मीदवार जीत सका।
जबकि (Parliament)लोकसभा चुनाव(Lok Sabha Elections) उसने सपा के साथ मिलकर लड़ा तो उसके दस सांसद जीत गये। 2014 में जब वह अकेले लड़ी थी तब भी उसका कोई उम्मीदवार नहीं जीत सका था। अब आदर्श आचार संहिता लगने का इंतजार किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि आचार संहिता लगने के बाद मायावती इंडिया गठबंधन से जुड़ने का फैसला कर सकती हैं। अगर ऐसा होता है तो यह तय हो जाएगा कि बीजेपी सत्ता में नहीं आ रही। बीजेपी ने यूपी में अस्सी की अस्सी सीटें जीतने का दावा किया है। वहीं अब अखिलेश यादव ने कहा है कि यूपी से वे सत्ता में आए थे और यूपी से ही जाएंगे। अगर मायावती सचमुच इंडिया गठबंधन में शामिल हो गईं तो अखिलेश का यह कथन सच होते देर नहीं लगेगी।
Advertisement
तो सच यही है कि बीजेपी 370 के लिए नहीं 272 पाने की लड़ाई लड़ रही है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)
Advertisement
Advertisement