एसबीआई आज शाम मंगलवार तक चुनावी बांड की जानकारी दे वरना ? -सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (11 मार्च) को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के उस आवेदन को खारिज कर दिया, जिसमें उसने चुनावी बॉन्ड(electoral bonds)से संबंधित विवरण प्रदान करने के शीर्ष अदालत के निर्देश का अनुपालन करने के लिए और अधिक समय की मांग की थी.अदालत ने यह देखते हुए कि आवश्यक जानकारी बैंक के पास पहले से ही उपलब्ध है,SBI should give information about electoral bonds by Tuesday evening or else? -Supreme Court
एसबीआई को 12 मार्च को कामकाज के घंटों की समाप्ति तक जानकारी का खुलासा करने का निर्देश दिया है.बता दें कि 15 फरवरी को शीर्ष अदालत ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित करते हुए रद्द कर दिया था और कहा था कि गुमनाम चुनावी बॉन्ड सूचना के अधिकार (आरटीआई) और अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन हैं.esabeeaee aaj shaam mangalavaar tak chunaavee baand kee jaanakaaree de varana ? -supreem kort
अदालत ने अपने अंतिम आदेश में कहा, ‘भारतीय स्टेट बैंक ने कहा था कि दानदाताओं का विवरण और भुनाए बॉन्ड का विवरण उपलब्ध हैं, हालांकि अलग-अलग साइलो में हैं. अन्य शब्दों में, इस अदालत द्वारा जारी निर्देश में बैंक को उस जानकारी का खुलासा करने की आवश्यकता है जो उसके पास पहले से उपलब्ध है.’
आदेश में कहा गया है, ‘भारत के चुनाव आयोग के संबंध में, हम उन्हें 15 मार्च 2024 को शाम 5 बजे से पहले जानकारी संकलित करने और अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करने का निर्देश देते हैं.’सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘भारतीय स्टेट बैंक ऊपर जारी निर्देशों के अनुपालन पर अपने अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक का एक हलफनामा दाखिल करेगी. हालांकि हम इस समय अवमानना क्षेत्राधिकार का प्रयोग करने के इच्छुक नहीं हैं, हम भारतीय स्टेट बैंक को नोटिस देते हैं कि यदि वह इस आदेश में बताई गई समयसीमा का पालन नहीं करती है तो यह अदालत जानबूझकर अवज्ञा के लिए उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है.’
दालत ने फैसला जारी होने के बाद से 26 दिनों में हुई प्रगति पर एसबीआई की चुप्पी पर भी सवाल उठाया. साल्वे ने अदालत को आश्वासन दिया कि प्रगति से संबंधित विवरण एक हलफनामे में प्रस्तुत किया जाएगा.
अदालत ने कहा, ‘हमारा फैसला 15 फरवरी को जारी किया गया था. आज 11 मार्च है. पिछले 26 दिनों में आपने कितना मिलान किया? हलफनामे में इस पर चुप्पी है. हम भारतीय स्टेट बैंक से कुछ हद तक स्पष्टवादिता की उम्मीद करते हैं.’
साल्वे ने अदालत से कहा, ‘हमारे पास विवरण हैं, मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हमारे पास नहीं है.’ उन्होंने दोहराया कि यह कठिनाई भारतीय स्टेट बैंक द्वारा दर्ज की गई जानकारी को अलग-अलग विभाजित कर देने के कारण पैदा हुई.
साल्वे ने तर्क दिया, ‘हमें इसे गुप्त रखने के लिए कहा गया था. इस तरह हमने तंत्र तैयार किया. हम अब कोई गलती करके कोई समस्या खड़ी करना नहीं चाहते हैं.’ हालांकि, जस्टिस खन्ना ने कहा कि ‘किसी भी गलती का कोई सवाल ही नहीं है. आपके पास केवाईसी है. आप देश के नंबर 1 बैंक हैं. हम आपसे इसे संभालने की उम्मीद करते हैं.’
बैंक ने अपने हलफनामे में संकेत दिया था कि सभी खरीद विवरण मुख्य शाखा में एक सीलबंद कवर में रखे गए थे. जस्टिस खन्ना ने इस ओर इशारा करते हुए कहा, ‘बस सीलबंद लिफाफे को खोलें, नामों का मिलान करें और विवरण प्रस्तुत करें.’
एसबीआई से मांगे गए विवरण में खरीद की तारीख, खरीदार का नाम और प्रत्येक चुनावी बॉन्ड का मूल्य शामिल है. इसके अतिरिक्त, राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए बॉन्डों का विवरण (ऐसे नकदीकरण की तारीख समेत) भी मांगा गया था.
अदालत ने अपने अंतिम आदेश में कहा, ‘भारतीय स्टेट बैंक ने कहा था कि दानदाताओं का विवरण और भुनाए बॉन्ड का विवरण उपलब्ध हैं, हालांकि अलग-अलग साइलो में हैं. अन्य शब्दों में, इस अदालत द्वारा जारी निर्देश में बैंक को उस जानकारी का खुलासा करने की आवश्यकता है जो उसके पास पहले से उपलब्ध है.’
आदेश में कहा गया है, ‘भारत के चुनाव आयोग के संबंध में, हम उन्हें 15 मार्च 2024 को शाम 5 बजे से पहले जानकारी संकलित करने और अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करने का निर्देश देते हैं.’
पीठ ने ईसीआई से यह भी कहा कि वह पिछले साल नवंबर में पारित अपने अंतरिम आदेश के अनुपालन में अदालत को दी गई जानकारी का विवरण आयोग की वेबसाइट पर प्रकाशित करे. उस आदेश में, अदालत ने चुनाव आयोग से 30 सितंबर तक सभी राजनीतिक दलों द्वारा चुनावी बॉन्ड के माध्यम से प्राप्त धन का एक सीलबंद कवर में विवरण मांगा था.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा एसबीआई के लिए निर्धारित 12 मार्च की नई समय सीमा के बारे में पूछे जाने पर ईसीआई के प्रवक्ता ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
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