जम्मू कश्मीर: सेना की हिरासत में रहे लोग बोले- लाठियों/लोहे की रॉड से पीटा, घावों पर मिर्च डाली
नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले में जवानों पर घात लगाकर किए गए आतंकी हमले के बाद सुरक्षा बलों द्वारा कथित तौर पर उठाए गए लोगों में से एक ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया है कि उसे और हिरासत में लिए गए अन्य लोगों को कपड़े उतारकर पीटा गया और घावों पर मिर्च पाउडर लगाया गया, जब तक कि वे बेहोश नहीं हो गए.
People in custody were stripped and beaten by the army and chilli powder was applied on their wounds.
अपने अस्पताल के बिस्तर से बात करते हुए मोहम्मद अशरफ (52 वर्ष) ने दावा किया कि उन्हें और चार अन्य लोगों को पिछले हफ्ते सुरक्षा बलों ने उठा लिया था, जिसके बाद ‘उन्होंने हमारे कपड़े उतार दिए और हमें लाठियों और लोहे की छड़ों से पीटा, हमारे घावों पर मिर्च पाउडर छिड़क दिया.’
बीते 21 दिसंबर को जम्मू कश्मीर के पुंछ में एक आतंकवादी हमले में सेना के चार जवानों के मारे जाने के बाद नागरिकों को कथित तौर पर उठाया गया था. कथित तौर पर पूछताछ के दौरान तीन नागरिकों की मौत हो गई और अशरफ समेत पांच को शनिवार (23 दिसंबर) को राजौरी के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
अशरफ ने सोशल मीडिया पर बड़े पैमाने पर शेयर किए गए एक वीडियो का जिक्र करते हुए द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘मैं ही वह व्यक्ति हूं, जो उस वायरल वीडियो में देखा जा सकता है, जिसमें सेना के जवानों द्वारा एक व्यक्ति को लोहे की छड़ों और लाठियों से पीटा जा रहा है.’
उन्होंने बताया कि सदमे के कारण वह पिछले शनिवार से सो नहीं पाए हैं. उन्होंने कहा, ‘जब आपके पूरे शरीर में तेज दर्द हो और आंखें बंद करते ही यातना के विचार आपके दिल-दिमाग को सताने लगें तो कौन सो सकता है?’
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट बताती है कि राजौरी जिले के थानामंडी क्षेत्र के हसबलोटे गांव के अशरफ ने 2007 से जम्मू कश्मीर के बिजली विकास विभाग में लाइनमैन के रूप में काम किया है. उन्हें प्रति माह 9,330 रुपये वेतन मिलता है. इससे वह अपने तीन बच्चों – 18 साल की बेटी और 15 व 10 साल के दो बेटों का भरण-पोषण करते हैं. उनकी पत्नी की इस साल 23 मार्च को मृत्यु हो गई थी.
अशरफ के साथ राजौरी अस्पताल में भर्ती अन्य चार लोग फारूक अहमद (45 वर्ष) और फजल हुसैन (50 वर्ष), हुसैन के भतीजे मोहम्मद बेताब (25 वर्ष) और एक 15 वर्षीय नाबालिग हैं. वे सभी थानामंडी क्षेत्र के रहने वाले हैं.
अस्पताल के एक डॉक्टर ने बताया कि सभी पाचों को ‘सॉफ्ट टिश्यू इंजरी’ (मांसपेशियों, कोमल ऊतकों संबंधी चोटें) हैं, लेकिन इनके बारे में विस्तार से नहीं बताया.
अशरफ ने कहा कि उनमें से कोई भी ठीक से खड़ा या बैठ नहीं सकता है. उन्होंने कहा, ‘जब हमें मेडिकल परीक्षण के लिए या शौचालय जाना होता है तो वे (अस्पताल कर्मचारी) हमें ह्वीलचेयर या स्ट्रेचर पर ले जाते हैं.’
उन्होंने दावा किया कि सुरक्षा बलों ने उन्हें शुक्रवार (22 दिसंबर) सुबह करीब 9:30 बजे उनके घर से उठाया था.
उन्होंने कहा, ‘वे मुझे डीकेजी (देहरा की गली) के पास मान्याल गली में ले गए, जहां उनके सहयोगी पहले से ही टाटा सूमो में फारूक अहमद के साथ बैठे थे. कुछ समय बाद मोहम्मद बेताब और उनके भाई को भी लाया गया और वे सभी हमें डीकेजी में अपने शिविर में ले गए.’
उन्होंने दावा किया, ‘हमारे वहां पहुंचने के बाद सुबह 10:30 बजे उन्होंने हमारे मोबाइल फोन बंद कर दिए और बिना कुछ कहे हमें लाठियों और लोहे की छड़ों से पीटना शुरू कर दिया.’
उन्होंने आगे बताया, ‘कुछ देर बाद उन्होंने हमारे कपड़े उतार दिए और फिर से हमें लाठियों और लोहे की छड़ों से पीटना शुरू कर दिया और हमारे घावों पर मिर्च पाउडर तब तक मलते रहे जब तक हम बेहोश नहीं हो गए.’
10वीं कक्षा में पढ़ने वाला 15 वर्षीय किशोर भी राजौरी अस्पताल के समान कमरे में भर्ती है. उसने दावा किया कि पूछताछ के दौरान सुरक्षाकर्मियों ने उससे पूछा कि क्या उसने आतंकवादियों को भोजन उपलब्ध कराया था और साथ ही एक दावत का जिक्र किया, जो आतंकवादी हमले से आठ दिन पहले उसके घर पर आयोजित हुई थी.
किशोर ने कहा, ‘मैंने उन्हें बताया कि दावत मेरे भाई बेताब की शादी के लिए आयोजित की गई थी.’ उन्होंने आरोप लगाया कि इन सवालों के बाद बाकी लोगों के साथ उसे भी पीटा गया.
मोहम्मद बेताब मजदूर हैं, जो कश्मीर में काम करते थे और लगभग दो महीने पहले अपनी शादी के लिए घर आए थे.
शादी 15 दिसंबर को हुई थी.
उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘मैंने कश्मीर में काम पर वापस जाने से पहले लगभग एक महीने तक अपनी पत्नी के साथ घर पर रहने की योजना बनाई थी.’
उन्होंने भी अपने साथ मारपीट किए जाने का आरोप लगाया और कहा, ‘मेरे शरीर के ऊपरी हिस्से पर कोई त्वचा (स्किन) नहीं बची है.’
बेताब ने बताया कि आतंकवादी हमले के कुछ ही घंटों बाद गुरुवार शाम को पुलिस दल ने उन्हें उनके भाई और चाचा फजल हुसैन के साथ थानामंडी स्थित उनके घर से उठा लिया था.
उन्होंने बताया कि पुलिस ने उन्हें तीन घंटे बाद घर लौटने की इजाजत दे दी और अगले दिन थानामंडी पुलिस थाने में रिपोर्ट करने को कहा.
हालांकि, बेताब के मुताबिक शुक्रवार सुबह पुलिस थाने जाते समय ‘सेना के जवानों ने उन्हें फोन किया और पहले मान्याल गली में उनसे मिलने के लिए कहा.’ वह बताते हैं, ‘वहां वे हमें एक वाहन में ले गए और हमें डीकेजी टॉप स्थित अपनी चौकी ले गए.’
सेना के जनसंपर्क अधिकारी ने राजौरी अस्पताल में भर्ती पांचों लोगों के बारे में कोई भी जानकारी होने से इनकार किया है.
जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले में बीते 21 दिसंबर को एक आतंकी हमले में 4 जवानों की मौत के बाद सेना ने कुछ लोगों को पूछताछ के लिए उठाया था. बाद में 3 लोगों (सफीर हुसैन (48 वर्ष), मोहम्मद शौकत (28 वर्ष) और शब्बीर अहमद (25 वर्ष)) के शव उस जगह के नजदीक पाए गए थे, जहां आतंकवादियों ने सेना पर हमला किया था. एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें सेना के जवान नागरिकों को यातनाएं देते देखे जा सकते हैं.
घायलों की इस आपबीती से पहले तीनों मृतकों के गांव टोपा पीर के सरपंच ने इस बात की पुष्टि की थी कि वायरल वीडियो में मारे गए नागरिक जवानों की प्रताड़ना सहते दिख रहे हैं.
सेना ने उन परिस्थितियों की जांच के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी (सीओआई) का आदेश दिया है, जो तीन नागरिकों की मौत का कारण बनीं.
जम्मू कश्मीर पुलिस ने तीन नागरिकों की मौत और पांच अन्य के घायल होने के संबंध में हत्या और हत्या के प्रयास से संबंधित आईपीसी की धाराओं के तहत ‘अज्ञात’ व्यक्तियों के खिलाफ पुंछ के सुरनकोट पुलिस थाने में एक एफआईआर भी दर्ज की है.
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