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फ्रांसीसी रक्षा नौ सैनिक प्रमुख ने भारत को एक झटका देते हुए घोषणा की कि वह पीएम 75 प्रोजेक्ट में भाग लेने में असमर्थ है।

जर्मनी ,डेनमार्क और फ्रांस के साथ भारत की नई कूटनीतिl
(यूरोप से भारत के रिश्तो के नए आयाम)

भारत की विदेश नीति एवं कूटनीति में अब नए आयाम जुड़ते जा रहे हैंl विशेष तौर पर प्रधानमंत्री विदेश मंत्री जयशंकर जी की कूटनीति कि यूरोप के तीन देशों की यात्रा अत्यंत महत्वपूर्ण इसलिए भी है कि अभी पूरे विश्व में रूस और यूक्रेन के युद्ध को लेकर पूरा वैश्विक जगत दो खेमों में बट चुका है, रूस के साथ गिने-चुने 24 देश ही उसका साथ दे रहे हैं शेष देश भारत को छोड़कर रूस का खुलेआम विरोध कर रहे हैं। एवं यूक्रेन की आर्थिक सामरिक मदद करने के लिए तत्पर है पर भारत निरपेक्षता की नीति अपनाए हुए हैंl भारत तथा देश का हित भी गुटनिरपेक्षता के कारण महफूज हैl प्रधानमंत्री  मोदी जर्मनी की की यात्रा के दौरान वहां के चांसलर ओलाफ़ शोल्ज से मुलाकात कर कई व्यापारिक मुद्दों के अलावा रूस यूक्रेन युद्ध के शांति पूर्वक बातचीत से हल निकालने के संदर्भ में महत्वपूर्ण बैठकभी  हुई| इसके अलावा चूंकि जर्मनी यूरोप का एक महत्वपूर्ण देश है एवं व्यापारिक केंद्र भी, जर्मनी रूस से पेट्रोल, डीजल, गैस का सबसे बड़ा खरीददार है,इसलिए जर्मनी के साथ बैठक काफी महत्त्व रखती है, किंतु रूस यूक्रेन युद्ध में उसने रूस की खुलकर आलोचना भी की है एवं वह भारत से भी इस बात की आशा करता है, पर भारत ने स्पष्ट तौर पर अपने देश के हितों को ध्यान में रखते हुए कहा कि युद्ध में किसी की जीत नहीं होती है युद्ध सदैव विनाशकारी होता है और युद्ध को शीघ्र समाप्त किया जाना चाहिए। बर्लिन में बसे भारतीयों द्वारा प्रधानमंत्री मोदी का भव्य स्वागत किया गया। आज प्रधानमंत्री मोदी डेनमार्क की राजधानी कोपनहेगन में वहां की प्रधानमंत्री मैटे फेडरिक्शन के मेहमान हैं।। डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में वहां की प्रधानमंत्री मेटे फेड्रिक्सन ने भारत के प्रधानमंत्री की हवाई अड्डे पर अगुवाई की, उसके पश्चात वे उनके निवास पर भी गए। राजनीतिक तौर पर भारत तथा डेनमार्क के बीच ऊर्जा, हरित ऊर्जा शिक्षा एवं टेक्नोलॉजी के संदर्भ में विमर्श किया। भारत के प्रधानमंत्री तथा डेनमार्क में उनके समकक्ष ने आपसी हितों सहित क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व के विषयों पर चर्चा की दोनों देशों के बीच प्रतिनिधि मंडल स्तर पर वार्ता के बाद यह तय हुआ कि भारत और डेनमार्क हरित ऊर्जा और शिक्षा के क्षेत्र में भविष्य में मिलकर काम करेंगे। शिक्षा टेक्नोलॉजी एवं ऊर्जा पर दोनों देशों के बीच आम सहमति बनी एवं ऊर्जा के क्षेत्र में काम कर लेने के लिए आम सहमति पर समझौता हुआ। दोनों पक्षों में हरित ऊर्जा शिक्षा के क्षेत्र में साथ काम करने को लेकर सामरिक साझेदारी के अलावा कौशल विकास जलवायु परिवर्तन नवीनीकरण ऊर्जा के संबंधों में एवं संदर्भ क्षेत्रों में व्यापक सहयोग की चर्चा भी हुई इसके अलावा जल परिवहन तथा जल प्रबंधन जैसे क्षेत्रों पर भी व्यापक विमर्श हुआ। यह तो तय है कि जर्मन और डेनमार्क की यात्राओं से मोदी जी ने यूरोप में कूटनीति की एक नई पहल शुरू की है। प्रधानमंत्री मोदी अंतिम पड़ाव में फ्रांस की राजधानी पेरिस में होंगे फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के द्वितीय बार राष्ट्रपति के बाद भारत के प्रधानमंत्री की यह फ्रांस की अधिकारिक यात्रा है। पर प्रधानमंत्री की फ्रांस की यात्रा के पहले ही फ्रांसीसी रक्षा नौ सैनिक प्रमुख ने भारत को एक झटका देते हुए घोषणा की कि वह पीएम 75 प्रोजेक्ट में भाग लेने में असमर्थ है। उल्लेखनीय है कि 43 हजार करोड रुपए के इस प्रोजेक्ट के लिए शॉर्टलिस्ट किए गए 5 अंतर्राष्ट्रीय समूहों में से फ्रांस का डिफेंस समूह भी उनमें से एक है। जो अत्यंत महत्वपूर्ण भी है ।नौसेना प्रमुख ने कहा रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल की शर्तें पूरी नहीं कर सकते हैं इसलिए फ्रांस एस परियोजना से पीछे हट रहा है। यह परियोजना भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
जर्मनी के बाद फ्रांस यूरोपीय देशों का बहुत ही महत्वपूर्ण और शक्तिशाली देश है भारत फ्रांस से लड़ाकू विमान और अन्य सामरिक महत्व के अस्त्र शस्त्र की भारी भरकम खरीदी करता है और नौसेना प्रमुख द्वारा यह घोषणा ऐसे समय में की गई है जबकि अगले दिन यानी कि बुधवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पेरिस की यात्रा पर पहुंचने वाले हैं और प्रधानमंत्री फ्रांस के फिर से चुने गए राष्ट्रपति इमैनुएल मेक्रो और भारतीय प्रधानमंत्री दोनों देशों के सामरिक व्यापारिक तथा आर्थिक पहलुओं पर गंभीर चर्चा करने वाले हैं। आपको यह बता दें की प्रोजेक्ट P 5 भारत में पनडुब्बी बनाने की दूसरी सबसे बड़ी परियोजना है इस प्रणाली में पारंपरिक पनडुब्बी को अधिक समय तक उच्च गति पर पानी में डूबे रहने की क्षमता प्रदान करता है। मोदी फ्रांस की यात्रा और द्विपक्षीय वार्ता के बाद शिखर सम्मेलन में भाग भी लेने वाले हैं। इसमें दो मत नहीं की भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा उनके प्रतिनिधि मंडल के इस यूरोपीय दौरे से कूटनीति और विदेश नीति में नए नए आयाम जुड़ने की संभावना बनती है एवं भारत का मुकाम एक पायदान और ऊपर हो सकता है।
संजीव ठाकुर,संयोजन कर्ता, चिंतक, लेखक, रायपुर छत्तीसगढ़, 90 09 415 415,
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