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कैथल के गाँव बालू के स्कूलों  को लेकर हाई कोर्ट की हरियाणा सरकार को फटकार : कहा सरकार शिक्षा को लेकर संवेदनहीन। 

कैथल के गाँव बालू के स्कूलों  को लेकर हाई कोर्ट की हरियाणा सरकार को फटकार

कहा सरकार शिक्षा को लेकर संवेदनहीन।

कैथल (अटल हिन्द /राजकुमार अग्रवाल )सोमवार को एक याचिका की सुनवाई के दौरान पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए हरियाणा सरकारी शिक्षा विभाग को फटकार लगाई है। मामला हरियाणा के कैथल जिले के बालू गाँव का है जहां के स्कूली बच्चों ने  अपने वकील प्रदीप  रापड़िया के माध्यम से हाई कोर्ट को अपने गाँव के स्कूल की खस्ता हालत से अवगत करवाया था। छात्रों  के वकील ने हाई कोर्ट के संज्ञान में लाया था कि स्कूल के सभी 14 कमरे जर्ज़र हालत में थे  जिसके बाद उन सभी कमरों को धवस्त कर दिया गया। उसके बाद 2017 में केवल 5 ही कमरों का निर्माण हो सका। कमरों की कमी के कारण क्लास विभिन्न शिफ्ट में लगाई जा रही है।

प्रदीप रापड़िया
प्रदीप रापड़िया

प्रदीप रापड़िया ने बहस के दौरान कोर्ट को अवगत करवाया कि ढाई साल पहले कोर्ट में याचिका दायर होने के बाद 52 लाख 63 हजार रुपये कि ग्रांट मंजूर कि गई थी लेकिन आज तक भी उस ग्रांट से कमरों का निर्माण नहीं हुआ।

इस पर हाई कोर्ट ने सख्त रूप इख्तियार करते हुए पूछा कि लगभग ढाई साल के बाद भी निर्माण कार्य क्यों नहीं शुरू हुआ।  हाई कोर्ट ने सख्त टिपण्णी करते हुए कहा कि सरकारी विभाग की छात्रों को मूलभूत सुविधाऍं उपलब्ध करवाने में संवेदनशीलता की कमी नज़र आती है। हाई कोर्ट ने सीनियर सेकेंडरी स्कूल एजुकेशन हरियाणा के शिक्षा विभाग के डायरेक्टर से एफिडेविट के माध्यम से जवाब माँगा है कि अभी तक निर्माण कार्य क्यों नहीं शुरू हुआ और केंद्र सरकार से आए पिछले 10 साल के शिक्षा बजट की डिटेल भी उपलब्ध करवाएं। अगर डायरेक्टर जनरल 3 हफ्ते के अंदर ऐसा नहीं करेंगे तो उन्हें स्वयं अगली तारीख, जो कि 19 दिसंबर है, पर कोर्ट में व्यक्तिगत तौर पर हाजिर होना होगा।

गौरतलब है की 2017 में गांव बालू के 7 स्कूली छात्रों ने गाँव के ही वकील प्रदीप रापड़िया के माध्यम से स्कूल में मूलभूत सुविधाएं प्रदान करवाने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था! याचिका में स्कूली छात्रों ने कोर्ट को बताया कि स्कूल कि इमारत जर्जर व खतरनाक स्थिति में है और उन्हें इमारत गिरने के डर से बाहर खुले में बैठकर क्लास लगानी पड़ती है और इसके अलावा न तो स्कूल में अध्यापक हैं और न ही शौचालय ! मामले को गंभीरता से लेते हुए हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार से जवाब मांगा था !

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