AtalHind
राष्ट्रीय

आधी रात को सर्विलांस सूची में डाला गया था सीबीआई निदेशक का नंबर, अनिल अंबानी और दासो भी निशाने पर थे


आधी रात को  सर्विलांस सूची में डाला गया था सीबीआई निदेशक का नंबर, अनिल अंबानी और दासो भी   निशाने पर थे आधी रात को सर्विलांस सूची में डाला गया था सीबीआई निदेशक का नंबर, अनिल अंबानी और दासो भी निशाने पर थे आधी रात को छुट्टी पर भेजे जाने के बाद सर्विलांस सूची में डाला गया था सीबीआई निदेशक का नंबर BY सिद्धार्थ वरदराजन नई दिल्ली: सीबीआई बनाम सीबीआई विवाद का हिस्सा रहे पूर्व निदेशक आलोक वर्मा, राकेश अस्थाना और एके शर्मा तथा उनके परिजनों के नंबर लीक हुई उस सूची में पाए गए हैं, जिनकी इजरायल स्थित एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पायवेयर के जरिये निगरानी करने की संभावना जताई गई है.

आधी रात को  सर्विलांस सूची में डाला गया था सीबीआई निदेशक का नंबर, अनिल अंबानी और दासो भी   निशाने पर थे

ये सब उस समय हुआ जब 23 अक्टूबर 2018 की आधी रात को मोदी सरकार ने तत्कालीन सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और तत्कालीन विशेष निदेशक को छुट्टी पर भेज दिया था. द वायर द्वारा प्राप्त किए गए दस्तावेजों से पता चलता है कि उसी रात कुछ घंटे बाद ही पेगासस स्पायवेयर के माध्यम से एक अज्ञात भारतीय एजेंसी ने वर्मा के नंबर को संभावित टारगेट की सूची में शामिल किया था. सिर्फ वर्मा ही नहीं, बल्कि उनकी पत्नी, बेटी और दामाद समेत उनके परिवार के आठ लोगों के नंबर इस निगरानी सूची में शामिल किए गए थे.

Advertisement

CBI director’s number was put in the surveillance list at midnight, Anil Ambani and Daso were also on target

फ्रांस की गैर-लाभकारी फॉरबिडेन स्टोरीज ने पेगासस स्पायवेयर के संभावित निशाने पर रहे 50,000 से अधिक नंबरों की लीक हुई सूची प्राप्त की है, जिसे उन्होंने दुनियाभर के 17 मीडिया संस्थानों के साथ साझा किया है. इसमें से कुछ नंबरों की एमनेस्टी इंटरनेशनल ने फॉरेंसिक जांच की है, जिसमें ये साबित हुआ है कि उन पर पेगासस स्पायवेयर से हमला हुआ था. राकेश अस्थाना को भी उसी रात हटाया गया था और उनके नंबर भी उस समय इस लिस्ट में शामिल किए गए थे. अस्थाना इस समय केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के प्रमुख हैं. वहीं शर्मा, जो उस समय पॉलिसी डिवीज़न के प्रमुख थे, को उनके पद से हटा दिया गया था, लेकिन ट्रांसफर किए जाने से पहले जनवरी 2019 तक वे सीबीआई में ही रहे. लीक हुए डेटाबेस में अस्थाना, शर्मा, वर्मा एवं उनके परिजनों के नंबर फरवरी 2019 तक ही दिखाई देते हैं. तब तक वर्मा सरकारी नौकरी से रिटायर हो चुके थे. एनएसओ का दावा है कि लीक हुए डेटाबेस का उनकी कंपनी या पेगासस से कोई संबंध नहीं है. द वायर ने फॉरेंसिक जांच के लिए वर्मा का नंबर मांगा था, लेकिन उन्होंने इसके लिए इनकार कर दिया. इसलिए ये स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता है कि उनके नंबर को वाकई में हैक किया गया था या नहीं. हालांकि हैकिंग होने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है. भारत से जुड़े 22 लोगों के फोन की फॉरेंसिक जांच की गई है, जिसमें से कम से कम 10 लोगों के फोन में पेगासस के निशान पाए गए हैं. भारत सरकार ने पेगासस के इस्तेमाल को लेकर न तो स्वीकार किया है और न ही इनकार किया है. वे लगातार घुमा-फिरा कर जवाब देते आ रहे हैं. वहीं एनएसओ ग्रुप का कहना है कि वे अपना प्रोडक्ट पेगासस सिर्फ ‘प्रमाणित सरकारों’ को ही बेचते हैं. 23 अक्टूबर 2018 को सीबीआई में आधी रात को उठापटक उस समय हुई थी जब इसके दो दिन पहले वर्मा ने भष्टाचार का आरोप लगाते हुए राकेश अस्थाना के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया था. खास बात ये है कि 21 अक्टूबर 2018 को दर्ज किया गया ये केस फोन टैपिंग से ही जुड़ा हुआ था, जिसके चलते सत्ता के शीर्ष स्तर पर असहजता की स्थिति उत्पन्न हो गई थी. अस्थाना की मोदी से करीबी पहले से ही जगजाहिर थी. इसके दो दिन बाद अस्थाना ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) में वर्मा के खिलाफ केस दायर करवा दिया. वर्मा के खिलाफ कार्रवाई करने की एक बड़ी वजह ये भी मानी जाती है कि उन्होंने विवादित रफाल मामले में जांच की मांग को खारिज नहीं किया था. छुट्टी पर भेजे जाने से करीब तीन हफ्ते पहले चार अक्टूबर को वकील प्रशांत भूषण और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने वर्मा से उनके ऑफिस में मुलाकात कर रफाल की शिकायत दी थी. द वायर ने जब इस रिपोर्ट के लिए शर्मा से संपर्क किया तो उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि सीबीआई में उठापटक के चलते रफाल मामले पर ध्यान नहीं दिया जा सका. भले ही वर्मा ने रफाल मामले में जांच शुरू नहीं की हो, लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय ने इसे अपने खिलाफ हमले के तौर पर देखा और उन्हें चुप कराने के लिए आनन-फानन में कार्रवाई की गई. वर्मा को हटाने के बाद केंद्रीय गृह सचिव के निर्देश पर केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने पूर्व सीबीआई प्रमुख के खिलाफ जांच शुरू की थी. इसके खिलाफ वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिस पर तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने सीवीसी को सच का पता लगाने को कहा था. हालांकि बाद में इसमें एक नया मोड़ तब आ गया जब वर्मा ने तत्कालीन सीवीसी केवी चौधरी पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने और पीएमओ के ‘निर्देश’ पर जांच करने का आरोप लगाया. सीवीसी के सवालों का जवाब देते हुए वर्मा ने आरोप लगाया था कि जांच आयोग सिर्फ अस्थाना के ‘आधारहीन’ आरोपों पर ध्यान दे रहा है और उनके खिलाफ लंबित भ्रष्टाचार के आरोपों को दरकिनार किया जा रहा है. केवी चौधरी इससे पहले भी सहारा-बिड़ला डायरी जैसे हाई-प्रोफाइल मामलों को दबाने को लेकर विवादों में रह चुके थे. बहरहाल वर्मा जैसे उच्च स्तर के पदों पर बैठे व्यक्तियों के नंबर को निगरानी के लिए संभावित टारगेट बनाना ये दर्शाता है कि सत्ता के शीर्ष पदों पर बैठे लोग किस तरह उन्हें अपने लिए खतरा मानते थे. बाद में वर्मा और अस्थाना दोनों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दोषमुक्त करार दे दिया गया था. संभावित सर्विलांस के निशाने पर थे अनिल अंबानी और दासो एविएशन के भारतीय प्रतिनिधिनरेंद्र मोदी सरकार द्वारा 36 रफाल विमान का सौदा होने के दो बरस बाद 2018 में इस खरीद को लेकर सवाल उठने लगे थे. सुप्रीम कोर्ट के सामने भी एक बड़ी चुनौती आ पड़ी थी क्योंकि भारत और फ्रांस दोनों ही देशों के कुछ मीडिया प्रकाशकों ने दासो एविएशन के भारतीय साझेदार को लेकर गंभीर सवाल उठाने शुरू कर दिए थे. यहां तक कि पूर्व फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद की इस टिप्पणी कि कैसे इस सौदे का एक कॉरपोरेट साझीदार चुना गया था, को लेकर खासा बवाल हुआ था. द वायर पुष्टि कर सकता है कि लीक हुई सूची, जिसका विश्लेषण पेगासस प्रोजेक्ट कंसोर्टियम के मीडिया सहयोगियों ने किया है, में इस साल कंपनी को लेकर चल रहे विवादों के बीच अनिल अंबानी और रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी (एडीए) समूह के एक अन्य अधिकारी द्वारा इस्तेमाल किए गए फोन नंबरों को जोड़ा गया था. फोन नंबर का महज़ इस सूची में होना यह प्रमाणित नहीं करता कि इससे जुड़ा स्मार्टफोन सफल तौर पर हैक हुआ था, यह निष्कर्ष सिर्फ फोन की फॉरेंसिक जांच के बाद ही निकाला जा सकता है. हालांकि इससे यह ज़रूर साबित होता है कि एनएसओ ग्रुप की क्लाइंट अज्ञात एजेंसी को इस नंबर का इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति में दिलचस्पी थी.Share this story

Advertisement
Advertisement

Related posts

शेरों (अशोक स्तंभ)के बहाने हंगामा, विपक्ष की दहशत का प्रतीक

atalhind

लड़की प्राइवेट पार्ट में घुसेड़ी बोतल,महिला दोस्त सहित सभी आरोपी गिरफ्तार

admin

Narendra Modi-भारत में भारत सरकार  नहीं मोदी सरकार है और लोकतंत्र की जगह तानाशाही

editor

Leave a Comment

URL