कौन हैं राजस्थान की डिप्टी सीएम बनने वालीं दीया कुमारी;
कौन थे पहले डिप्टी सीएम, कितनी होती है इनकी सैलरी? समझें इसके सियासी मायने
Deputy CM Post: राजनीति में पार्टियां उप-मुख्यमंत्री पद को संतुलन बनाने के लिए भी इस्तेमाल करती दिखती हैं।
अटल हिन्द रिपोर्ट
राजघराने की राजकुमारी का कैसा रहा राजनीतिक सफर?
राजस्थान की डिप्टी सीएम की जिम्मेदारी अब दीया कुमारी संभालेंगी। भाजपा विधायक दल की बैठक के बाद दीया कुमारी को डिप्टी सीएम बनाने का एलान किया गया। पहली बार के विधायक भजन लाल शर्मा को सीएम के लिए चुना गया है।
आइए जानतें हैं कि दीया कुमारी की राजनीतिक और निजी जिंदगी कैसी रही है।
दीया कुमारी ने विद्याधर नगर विधानसभा सीट से प्रचंड जीत हासिल की है। चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, दीया कुमारी को 158516 वोट मिले।
जयपुर की राजकुमारी दीया कुमारी स्वर्गीय ब्रिगेडियर भवानी सिंह और महारानी पद्मिनी देवी की बेटी हैं। उन्होंने 10 साल पहले राजनीति में कदम रखा और साल 2013 में सवाई माधोपुर से विधायक चुनी गईं।
दीया ने साल 2019 में राजसमंद से लोकसभा का चुनाव भी जीता था।
बीजेपी ने इस साल दीया कुमारी पर भरोसा जताते हुए उन्हें जयपुर की विद्याधर नगर विधानसभा सीट से मैदान में उतारा था।
दीया कुमारी की प्रारंभिक शिक्षा जयपुर के महारानी गायत्री देवी गर्ल्स पब्लिक स्कूल और नई दिल्ली के मॉडर्न स्कूल से हुई।
उन्होंने लंदन के चेल्सी स्कूल ऑफ आर्ट्स से पढ़ाई की है।
अपने माता-पिता की इकलौती संतान होने के कारण वह अपनी दादी राजमाता गायत्री देवी की देखरेख में पली बढ़ी हैं।
Deputy CM Post: तीन राज्यों में शानदार जीत दर्ज करने के बाद बीजेपी सीएम फेस को लेकर लगातार चौंका रही है। मंगलवार को राजस्थान के सीएम की तस्वीर साफ हो गई। भजनलाल शर्मा को सीएम बनाया गया है, जबकि दो डिप्टी सीएम का फॉर्मूला भी राजस्थान में फिट किया गया है। दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा डिप्टी सीएम बनाए गए हैं। वैसे डिप्टी सीएम का फॉर्मूला नया नहीं है। यह काफी लंबे समय से मौजूद है। डिप्टी सीएम की शुरुआत कबसे हुई और इनकी क्या जिम्मेदारियां होती हैं, आइए जानते हैं…
डिप्टी सीएम का पद कैबिनेट मंत्री के बराबर
डिप्टी सीएम को विधायकों और सीएम व संगठन के बीच की कड़ी माना जा सकता है। इसके सियासी मायने देखे जाएं तो मौजूदा दौर में इसे पार्टियां सभी वर्गों के वोटर्स के संतुलन के तौर पर भी इस्तेमाल करती दिखती हैं। मसलन, राजस्थान में एक डिप्टी सीएम दीया कुमारी राजपूत तो दूसरे प्रेमचंद बैरवा अनुसूचित जाति से आते हैं। इसे गठबंधन सरकार में भी इस्तेमाल किया जाता रहा है। डिप्टी सीएम का पद कैबिनेट मंत्री के बराबर माना जाता है। उन्हें कैबिनेट मंत्री के समान ही सैलरी और बाकी सुविधाएं दी जाती हैं। ये अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग हो सकती है। राजस्थान में गहलोत सरकार ने पिछले साल वेतन को बढ़ाकर 65000 कर दिया था। जबकि सत्कार भत्ता 55000 किया गया।
संविधान के अनुच्छेद 163(1) में कहा गया है कि राज्यपाल को उनके कामकाज में सलाह और सहायता देने के लिए मुख्यमंत्री के नेतृत्व में एक मंत्रिपरिषद होगी। हालांकि न तो अनुच्छेद 163 और न ही अनुच्छेद 164 उप खंड (1) में उप-मुख्यमंत्री पद को मेंशन किया गया है। इसमें कहा गया है कि मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल की ओर से की जाएगी। जबकि अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री की सलाह पर की जाएगी।
देश के 14 राज्यों में वर्तमान में डिप्टी सीएम हैं। महाराष्ट्र में पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम की भूमिका में हैं। जबकि दूसरे उप-मुख्यमंत्री अजीत पवार हैं। बिहार में तेजस्वी यादव, हरियाणा में दुष्यंत चौटाला, उत्तर प्रदेश में केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक भी उप मुख्यमंत्री की भूमिका निभा रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में मुकेश अग्निहोत्री, कर्नाटक में डी के शिवकुमार इस पद पर हैं। मध्य प्रदेश में बीजेपी ने राजेंद्र शुक्ला और जगदीश देवड़ा को डिप्टी सीएम नियुक्त किया है।
अनुग्रह नारायण सिन्हा पहले डिप्टी सीएम
भारत में सबसे पहले डिप्टी सीएम अनुग्रह नारायण सिन्हा माने जाते हैं। वह बिहार के मुख्यमंत्री डॉ. श्रीकृष्ण सिंह के बाद कांग्रेस के दूसरे सबसे बड़े नेता थे। अनुग्रह नारायण 2 जनवरी 1946 से लेकर अपनी मृत्यु तक उप-मुख्यमंत्री के साथ वित्त मंत्री रहे। वह राजपूत नेता थे। इसके बाद 1967 में महामाया प्रसाद सिन्हा के नेतृत्व वाली गैर-कांग्रेसी सरकार में कर्पूरी ठाकुर बिहार के दूसरे डिप्टी सीएम बने।
फिर जगदेव प्रसाद और राम जयपाल सिंह यादव को डिप्टी सीएम नियुक्त किया गया। बिहार में भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी भी डिप्टी सीएम रह चुके हैं। वह 2005 में उपमुख्यमंत्री बने थे। करीब 13 साल के लंबे समय तक उन्होंने इस पद की जिम्मेदारी निभाई थी।
राम प्रकाश गुप्ता निभा चुके हैं जिम्मेदारी
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनसंघ (बीजेएस) के राम प्रकाश गुप्ता 1967 के दौरान संयुक्त विधायक दल सरकार में उप-मुख्यमंत्री की भूमिका निभा चुके हैं। यह प्रयोग अगली सरकार में भी दोहराया गया। जब कांग्रेस की सरकार में फरवरी 1969 में कमलापति त्रिपाठी ने डिप्टी सीएम के रूप में शपथ ली। वह राम प्रकाश गुप्ता के साथ डिप्टी सीएम बने।
इसके बाद जब राम नरेश यादव को 1979 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया तो उन्होंने बनारसी दास मुख्यमंत्री (1979-80) के अधीन उप-मुख्यमंत्री बने। वे नारायण सिंह के साथ डिप्टी सीएम बने। पिछली योगी सरकार में केशव मौर्य और दिनेश शर्मा को डिप्टी सीएम की जिम्मेदारी सौंपी गई। मौर्य अब भी डिप्टी सीएम हैं। जिसमें ब्रजेश पाठक के रूप में दूसरे डिप्टी सीएम हैं।
हरियाणा में भी डिप्टी सीएम की परंपरा
मध्य प्रदेश में जुलाई 1967 में गोविंद नारायण सिंह के नेतृत्व वाली एसवीडी सरकार में बीजेएस के वीरेंद्र कुमार सकलेचा को डिप्टी सीएम का पद सौंपा गया। जबकि 1980 में भानु सोलंकी अर्जुन सिंह की सरकार में डिप्टी सीएम बने। दिग्विजय सिंह की सरकार के दौरान सुभाष यादव और जमुना देवी डिप्टी सीएम रह चुके हैं। हरियाणा में भी डिप्टी सीएम की परंपरा रही है। रोहतक के जाट नेता चौधरी चंद राम भी उप-मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के बेटे चंद्र मोहन 2005 से 2008 तक भूपिंदर सिंह हुड्डा की कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री पद संभाल चुके हैं। जननायक जनता पार्टी के नेता दुष्यंत चौटाला 2019 से मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के उप-मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
पंजाब की बात की जाए तो शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल 2009-17 तक प्रकाश सिंह बादल के अधीन डिप्टी सीएम थे। सुखजिंदर सिंह रंधावा और ओम प्रकाश सोनी चरणजीत सिंह चन्नी की छह महीने की सरकार में डिप्टी सीएम का पद संभाल चुके हैं।
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