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BJP NEWS-  नरेंद्र मोदी(बीजेपी) की वाशिंग मशीन में  इधर से भ्रष्ट डालो, उधर से पाक-साफ निकालो।

कमल से अच्छा चुनाव चिह्न— वाशिंग मशीन

कटाक्ष(Sarcasm):  नरेंद्र मोदी(बीजेपी) की वाशिंग मशीन में  इधर से भ्रष्ट डालो, उधर से पाक-साफ निकालो।

Sarcasm: Put corrupt in the washing machine of Narendra Modi (BJP) from here, take out clean from there.

BY-राजेंद्र शर्मा

रामदास अठावले जी ने यह बहुत अच्छा किया। साफ-साफ बता दिया कि जिस किसी पर भी भ्रष्टाचार के आरोप हो, गद्दी धारियों के पाले में उनका स्वागत है। उनके दरवाजे तो सभी के लिए खुले हुए हैं। फिर चाहे उन पर भ्रष्टाचार (Corruption)के आरोप किसी ने भी लगाए हों। खुद गद्दी धारियों ने लगाए हों; खुद पीएम जी ने लगाए हों, तब भी कोई उज्र नहीं है। अपने-पराए, छोटे-बड़े का कोई भेद नहीं है, पूरी तरह से समदर्शिता है। हां! कोई जोर-जबर्दस्ती नहीं है। मामला पूरी तरह से स्वेच्छा का है। आने वाले की मर्जी पर है कि आना चाहे तो आए या नहीं आए।

मोदी जी की डेमोक्रेसी (democracy)में इतनी गहरी श्रद्धा जो है। बल्कि अब तो मामला डेमोक्रेसी से भी आगे निकल गया है–डेमोक्रेसी की मदर जी के लेवल का मामला जो ठहरा। मोदी जी घर-वापसी से लेकर गृह प्रवेश तक, पूरी तरह से भ्रष्टाचार के आरोपियों की मर्जी पर छोड़ने पर ही नहीं रुक गए हैं। वह अच्छी तरह से जानते हैं कि चुनने को वास्तविक विकल्प ही नहीं होगा, तो कैसी मर्जी और कैसा चुनाव।

अठावले जी ने खुलासा कर के बताया है कि इन भ्रष्ट कहलाने वालों के लिए  मोदी जी ने वास्तविक विकल्प के तौर पर अपने घर के दरवाजे के ठीक सामने, जेल के दरवाजे भी खुलवा रखे हैं। जो मोदी जी के घर में नहीं आना चाहे, आराम से जेल जा सकता है। और जो जेल नहीं जाना चाहे, उतने ही आराम से भगवाधारियों के घर जा सकता है। थैंक यू अठावले जी झूठी पर्देदारी खत्म कर, सच-सच सब बयान कर देने के लिए!

और अठावले जी ही नहीं, पूरा का पूरा गद्दीधारी कुनबा ही, किसी तरह की पर्देदारी रखे भी क्यों? इस सब में छुपाने वाली बात ही क्या है? वाशिंग मशीन, वाशिंग मशीन कहकर, जो विरोधी इसके लिए भगवाइयों को शर्मिंदा करने की कोशिश कर रहे हैं, वे न इस देश को जानते हैं, न इसकी संस्कृति को जानते हैं। वर्ना कौन नहीं जानता है कि यह गंगा मैया का देश है। गंगा सिर्फ एक नदी नहीं है, इस देश की, उसकी संस्कृति की पहचान है। और गंगा की सबसे बड़ी पहचान क्या है? पाप मोचनी। गंगा में डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं।

गंगा ही हमारी ओरिजिनल वाशिंग मशीन है, जो न धुलाई करने में कोई भेद करती है और न धुलाई करने के लिए किसी तरह की कोई शर्त लगाती है कि फलां पाप होगा तो धोया जाएगा, ढिमका पाप होगा तो नहीं धुलेगा! जो भारत की संस्कृति से करता हो प्यार, वाशिंग मशीन के गंगा मॉडल की महत्ता से कैसे करेगा इनकार।

फिर मोदी जी को तो वाशिंग मशीन(washing machine) इस मॉडल से और ज्यादा लगाव होना ही हुआ। सिर्फ बनारस से सांसद भर नहीं हैं, गंगा मैया की उन पर विशेष कृपा है। वह अपनी जुबान से कई बार बता चुके हैं कि उन्हें, सैकड़ों मील दूर से, गंगा मैया ने बुलाया है! गंगा मैया मॉडल की वाशिंग मशीन मोदी जी नहीं चलाएंगे, तो क्या इंडिया वाले चलाएंगे!

फिर वाशिंग मशीन का आदर्श सिर्फ गंगा मैया मॉडल तक ही सीमित थोड़े ही है। नहीं, हम यह हर्गिज नहीं कह रहे हैं कि सिर्फ गंगा मैया मॉडल पर मोदी जी की पार्टी वाशिंग मशीन चलाए तो उसमें कोई कमी मानी जाएगी। गंगा मैया मॉडल में कोई कमी रह जाने की बात तो कोई हिंदू विरोधी, राष्ट्रीय संस्कृति विरोधी यानी राष्ट्र विरोधी ही कह सकता है। यह तो राम मंदिर का विरोध करने वाली ही बात हो गयी। फिर भी नरेंद्र मोदी जी ने वाशिंग मशीन की गंगा परंपरा को, आधुनिकता से बल्कि सीधे-सीधे आजादी की लड़ाई से जोड़ने का भी बखूबी ध्यान रखा है। तभी तो वाशिंग मशीन का मोदी जी का मॉडल, गंगा मैया मॉडल होने के साथ ही साथ, महात्मा गांधी मॉडल भी है। कौन भूल सकता है बापू की बुनियादी शिक्षा–पाप से घृणा करो, पापी से नहीं। यानी भ्रष्टता या भ्रष्टाचार से घृणा करो, भ्रष्टाचार करने वाले से नहीं।

और यह भ्रष्टाचार करने वाले घृणा न करने की नकारवादी मुद्रा की ही बात नहीं है। गांधी जी तो हरेक के सुधार की संभावना में और इसके लिए हरेक से प्यार करने की सकारात्मकता में विश्वास करते थे। यह गुण मोदी ही वाशिंग मशीन में कूट-कूटकर भरा हुआ है। देखा नहीं कैसे हिमंता विश्व शर्मा से लेकर, सुवेंदु अधिकारी, प्रफुल्ल पटेल, अजित पवार, अशोक चव्हाण आदि, आदि कितने ही जाने-माने नेता, मोदी जी की पार्टी से भ्रष्ट कहलवाने के बाद, वाशिंग मशीन में धुल कर पाक-साफ ही नहीं हो गए, मोदी जी से दिल से माफी हासिल करने के बाद, सांसद-विधायकों आदि के पदों से भी आगे मंत्री, उप-मुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री के पदों तक भी पहुंच गए हैं। हमें नहीं लगता कि गांधी जी भी पापियों से इतनी ज्यादा मोहब्बत करने तक की बात सोचते थे।

जब मोदी जी की वाशिंग मशीन ने, ओरिजिनल वाले गांधी को भी पीछे छोड़ कर दिखा दिया है, फिर इक्कीसवीं सदी के नकली गांधी तो उनके सामने आते ही कहां हैं, फिर वे भले ही मोहब्बत की दुकान खोलने का कितना ही नाटक क्यों न करते फिरें! उनका अगर मोहब्बत का ठेला है, तो मोदी जी ने तो मोहब्बत का विशालकाय मॉल ही खड़ा कर दिया है।

फिर मोदी जी की वाशिंग मशीन न सिर्फ गंगा मैया मॉडल का मामला है और न महात्मा गांधी मॉडल का ही मामला है। इन दोनों मॉडलों की महत्ता अपनी जगह, हैं तो दोनों उधारी के ही मॉडल। पर मोदी जी की वाशिंग मशीन में उनका अपना ओरिजिनल तत्व भी भरपूर है। आखिरकार, मोदी जी के स्वच्छता अभियान की मौलिकता से तो उनके विरोधी भी इंकार नहीं कर सकते हैं। गांधी जी को मोदी जी अपने स्वच्छता अभियान का ब्रांड एंबेसेडर बनाया जरूर है, लेकिन इससे उनके अभियान की मौलिकता कम नहीं हो जाती है। और मोदी जी ने यह तो शुरू से ही यह स्पष्टï कर दिया था कि उनकी स्वच्छता सिर्फ गलियों-मोहल्लों, सडक़ों के कूड़े-कचरे को ही नहीं हटाएगी। उनकी स्वच्छता दूर तक जाएगी।

मोदी जी की धुलाई मशीन तो स्वच्छता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का एकदम मूर्त रूप है। इधर से भ्रष्ट डालो, उधर से पाक-साफ निकालो।Sarcasm: Put corrupt in the washing machine of Narendra Modi (BJP) from here, take out clean from there.

हम तो कहेंगे कि मोदी जी की पार्टी जहां इतना सब बदल रही है, उसे अपना निशान भी कमल से बदलकर, वाशिंग मशीन कर लेना चाहिए(Washing machine is a better election symbol than lotus.)। परंपरा की परंपरा और आधुनिकता की आधुनिकता। वैसे भी पब्लिक की मति फिर जाए तो कमल तो कुम्हला भी सकता है। दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी का निशान, कम से कम सदाबहार तो हो, जो न सावन सूखे न भादों हरा हो।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और लोक लहर के संपादक हैं।)

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