बराड़ा की बेटी राजविन्द्र कौर अमेरिका में बनी वैज्ञानिक
साधारण से परिवार में जन्मी डॉ. राजविन्द्र कौर पहुंचे ऊंचे मुकाम पर
अम्बाला, अटल हिन्द ब्यूरो /पूर्ण सिंह
बराड़ा कस्बे के लिए फख्र की बात है कि यहां के साधारण से परिवार की बेटी आज अमेरिका में देश का नाम चमका रही है। दरअसल बराड़ा के जनकपुरी कॉलोनी में रहने वाले वेयरहाउस कार्पोरेशन से सीनियर मैनेजर अकाउंट पद से सेवानिवृत सतपाल की बेटी डॉ. राजविंदर कौर (Dr rajvinder kour)अमेरिका में वैज्ञानिक के तौर पर कार्य कर रही है। चार बहनों में सबसे छोटी डॉ. राजविंदर कौर आर्थिक चुनौतियों और मार्गदर्शन के अभाव जैसी बाधाओं को अपनी मेहनत, लगन और बुलंद हौसले से ध्वस्त करते हुए अमेरिका में वैज्ञानिक के रूप में स्थापित होकर एक नया इतिहास रच दिया है। वर्ष 1991 में जन्मी डॉ. राजविन्द्र कौर के सिर से 2012 में माता का साया उठ गया। उसके बाद पिता ने चार बेटियों और एक बेटे को लेकर माता-पिता दोनों की जिम्मेदारी निभाई। तीन बड़ी बहनों की शादी हो चुकी है, जबकि डॉ कौर और उसका छोटा भाई अभी अविवाहित है। पिता सतपाल ने बताया कि डॉ. कौर बचपन से ही पढ़ाई में तेज थीं और डॉक्टर बनने का सपना संजोए हुए थीं। परंतु, उनके स्कूली दिनों में उचित मार्गदर्शन के अभाव के कारण उन्हें सहयोग नहीं मिला। यही वजह थी कि पीएमटी प्रवेश परीक्षा में वह कुछ ही अंकों से पीछे रह गईं। आर्थिक तंगी के चलते परिवार के पास प्राइवेट संस्थान में दाखिले का विकल्प भी नहीं था। परंतु, राजविंदर ने हार नहीं मानी।
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शिक्षा में स्वयं रास्ता स्वयं बनाया
डॉ कौर ने दसवीं बराड़ा जनता कॉलेज से की
बी एससी बायोटेक्नोलॉजी (ऑनर्स): चंडीगढ़ के सरकारी कॉलेज से की।
एम एमएसी मार्गदर्शक की कमी के कारण राज्य से बाहर नहीं जा सकीं, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की।जेआरएफ(जेआरएफ) (जूनियर रिसर्च फेलोशिप): उत्कृष्ट रैंक हासिल की और उत्तर भारत के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में शुमार सीएसआईआर-सूक्ष्मजीव प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएमटेक), चंडीगढ़ (भारत सरकार का उपक्रम) में शोध कार्य का अवसर मिला। यहाँ उन्हें उम्मीद थी कि वे राष्ट्र व परिवार के लिए कुछ कर पाएंगी, लेकिन इस क्षेत्र में पारिवारिक पृष्ठभूमि या मार्गदर्शक न होने की वजह से फिर चुनौतियों का सामना करना पड़ा ।
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कैंसर की दवाई पर की पीएचडी
डॉ. राजविंदर कौर ने अपनी मेहनत के बल पर सीएसआईआर – आईआईसीटी हैदराबाद जो कि सीएसआईआर का प्रतिष्ठित संस्थान है में पीएचडी करने का मौका मिला। डॉ. कौर ने अपनी अदम्य इच्छाशक्ति, बुद्धिमत्ता, कार्यकुशलता और शालीन व्यवहार से न केवल इन चुनौतियों का सामना किया, बल्कि सम्मानजनक तरीके से अपनी पीएचडी पूरी की। यहां उसने कैंसर की दवाई पर पीएचडी की। डॉ कौर ने साबित किया वह हर क्षेत्र में अपना स्थान बना सकते हैं, और जहाँ अक्सर वही पहुँच पाते हैं जिनके परिवार में पहले से कोई वैज्ञानिक रहा हो।
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अमेरिका में पोस्टडॉक्टरल फेलोशिप
पीएचडी पूरी होने से पहले ही उनकी प्रतिभा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली। उन्हें अमेरिका के एक प्रतिष्ठित संस्थान में ड्रग डिलीवरी के क्षेत्र में पोस्टडॉक्टरल फेलोशिप के लिए चुना गया। वर्तमान में वह यूनिवर्सिटी ऑफ मिनीसोटा में एक रिसर्च साइंटिस्ट के तौर पर काम कर रही हैं, जहाँ उनका शोध मानव स्वास्थ्य के लिए नई संभावनाएँ खोल रहा है। उनका अगला लक्ष्य विश्व स्वास्थ्य संगठन तक पहुँचना है। गत मई माह में वह अमेरिका पहुंच चुकी हैं जहां वह वैज्ञानिक के तौर पर कार्य कर रही हैं।