अमित शाह के घर के पास प्रदर्शन कर रहीं कार्यकर्ताओं ने कहा, निजी अंगों पर हमला हुआ
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पुलिस भारत की सड़कों पर क्रूर यौन हमला करती है तो वे अपने परिसर में क्या करती होगी?
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इमेज स्रोत, Twitter@AISA_tweets
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नई दिल्ली: अखिल भारतीय छात्र संघ (एआईएसए) के दो छात्र कार्यकर्ताओं ने कहा है कि दिल्ली पुलिस की महिला कॉन्स्टेबलों ने बीते रविवार (10 अक्टूबर) को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास के पास विरोध प्रदर्शन करने के चलते उनके निजी अंगों पर बार-बार लात मारी और उनके कपड़े फाड़ दिए.
दोनों महिला कार्यकर्ता उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों को गाड़ी से कुचलने की घटना के खिलाफ प्रदर्शन कर रही थी और अमित शाह के जूनियर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को गिरफ्तार करने की मांग कर रहे थे.
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एक पीड़िता ने इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर विस्तार से लिखा है, जिसमें ये दावा किया गया है कि उन पर जान-बूझकर हमला किया गया है. उन्होंने लिखा कि करीब 15-17 लोग शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे थे और उनके हाथों में पोस्टर और प्लेकार्ड्स थे.
उन्होंने कहा कि शुरुआत में वहां कोई महिला पुलिसकर्मी नहीं थी और पुरुष प्रदर्शनकारियों को बर्बर तरीके से पीटा गया और फिर हिरासत में ले लिया गया.
पीड़िता ने लिखा है कि एआईएसए की एक नेता पुरुष प्रदर्शनकारियों के साथ मारपीट की रिकॉर्डिंग कर रही थी, तभी एक पुलिसकर्मी ने उनका फोन छीन लिया. तब दोनों महिलाओं ने फैसला किया कि जब तक उन्हें फोन वापस नहीं मिल जाता तब तक वे खुद को हिरासत में नहीं लेने देंगी.
उन्होंने कहा कि इसके चलते महिला पुलिसकर्मियों ने उनके साथ घोर ज्यादती की और करीब 300-400 मीटर तक उन्हें घसीट कर ले गई. इतने पर भी बात नहीं बनी तो एक पुलिसकर्मी ने उनका कुर्ता उठाने की कोशिश की, फिर उन्हें बस में फेंक दिया गया और करीब बीस मिनट तक उनके निजी अंगों पर हमला किया गया.
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पीड़िता ने बताया कि ड्यूटी पर मौजूदा महिला पुलिसकर्मियों ने तब तक उनके साथ ऐसा ही व्यवहार किया, जब तक कि वे भयानक दर्द के चलते रोने लगीं. इन सबके बीच पुरुष पुलिसवाले मूकदर्शक बनकर खड़े हुए थे.
उन्होंने कहा कि महिला पुलिसकर्मियों ने उनके कपड़े उतारने और निजी अंगों पर हमला करने की कोशिश की, ताकि वे शर्म के मारे आत्मसमर्पण कर दें.
ये पहला मौका नहीं है, जब दिल्ली पुलिस ने ऐसी हरकत की है. इसके पहले भी वे इसी तरह का रवैया अपनाते आए हैं.
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आलम ये है कि इस तरह की प्रताड़ना के बाद भी दिल्ली पुलिस ने उनका इलाज नहीं कराया. पीड़िता ने कहा कि उलटा उन्होंने आवाज उठाने पर एफआईआर दायर करने की धमकी दी थी.
इस घटना को लेकर फेसबुक पोस्ट लिखने वाली पीड़िता ने यह भी कहा कि महिला प्रदर्शनकारियों को निशाना बनाना दिल्ली पुलिस का नया टूलकिट है, जहां मुखर महिलाओं को ‘उनकी औकात दिखाने के लिए’ निशाना बनाया जाता है. एक महिला पुलिसकर्मी ने उनसे कहा, ‘हम तुम्हें तुम्हारी औकात दिखाएंगे.’
इस पोस्ट को महिला अधिकार कार्यकर्ता और अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला संघ की सचिव कविता कृष्णन ने ट्विटर पर साझा किया था. कृष्णन ने दिल्ली पुलिस, दिल्ली पुलिस के आयुक्त इत्यादि को टैग कर मामले की संज्ञान लेने की मांग की थी.
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उन्होंने कहा, ‘अगर पुलिस भारत की सड़कों पर क्रूर यौन हमला करती है तो वे अपने परिसर में क्या करती होगी?’
इस मामले को लेकर दिल्ली पुलिस ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है. हालांकि पीड़िताओं ने अभी तक कोई आधिकारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई है, क्योंकि वे काफी ज्यादा आहत हैं.
कवित कृष्णन ने कहा कि वे इस मामले को लेकर सीधे दिल्ली पुलिस आयुक्त के पास जा सकती हैं, ताकि मामले में जांच हो और सच सामने आए.
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