पुलिस ने ही गौरक्षकों को बुलाया था,
नई दिल्ली:/अटल हिन्द /राजकुमार अग्रवाल
हरियाणा में गौरक्षकों के हाथों मारे गए अपने बेटे का अंतिम संस्कार करने के एक दिन बाद, राजस्थान के एक कट्टर हिंदू भवर लाल के चेहरे पर कभी गुस्सा तो कभी गम का भाव था.
राजस्थान के केसरीसिंहपुर के पास एक छोटे से गांव में अपने नए बने कंक्रीट के घर के आंगन में घंटों तक बैठे लाल ने कहा, “ये गौरक्षक नहीं हैं, ये नरभक्षी हैं.” लाल के 28 वर्षीय बेटे संदीप की पलवल के पास गौरक्षकों के एक समूह ने हत्या कर दी, जब वह और उनका सहयोगी दो गायों को लखनऊ ले जा रहे थे. लाल को यह बात समझ में नहीं आई कि अपराध के लिए गिरफ्तार किए गए पांच लोग विशेष पुलिस अधिकारी द्वारा दी गई सूचना के आधार पर काम कर रहे थे.उनके दो अन्य बेटे हिंदू परंपरा के अनुसार संदीप की अस्थियां लेकर हरिद्वार, उत्तराखंड जा रहे थे.(These are not cow protectors in Haryana, they are cannibals)

बाइक सवार कुछ लोगों ने संदीप और उनके साथी बालकिशन के ट्रक को रोक लिया और उन्हें लाठी, तलवार और हथौड़ों से पीटा. दोनों को मरा हुआ समझकर गौरक्षकों ने शवों को 17 किलोमीटर दूर सोहना के हाजीपुर गांव के पास एक सीवेज नहर में फेंक दिया, लेकिन बालकिशन इस क्रूर हमले में बच गए, उन्होंने खुद को नहर से बाहर निकाला और पलवल पहुंचे, जहां उन्होंने मदद के लिए पुलिस से संपर्क किया.
10 दिनों के तलाशी अभियान के बाद 2 मार्च को संदीप का शव बरामद हुआ. अब तक पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 103 (हत्या और भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या), धारा 61 (आपराधिक साजिश), धारा 140 (हत्या के इरादे से अपहरण) और धारा 118 (गंभीर चोट) के तहत पांच संदिग्धों को गिरफ्तार किया है.
हरियाणा में गौरक्षक कानून को अपने हाथ में ले रहे हैं. 2015 के एक अधिनियम द्वारा सशक्त, जो राज्य में गौ तस्करी, वध और गोमांस रखने या खाने पर प्रतिबंध लगाता है. फरवरी 2023 में, राजस्थान के निवासी नासिर और जुनैद के जले हुए शव हरियाणा के भिवानी में एक जले हुए वाहन में पाए गए थे. कथित तौर पर स्थानीय गौरक्षक समूहों द्वारा उनका अपहरण कर उनकी हत्या कर दी गई थी. अगस्त 2024 में, पश्चिम बंगाल के 25-वर्षीय कूड़ा बीनने वाले साबिर मलिक को कथित तौर पर गाय का मांस खाने के आरोप में भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला.
गोहत्या तो हमेशा से होती रही है, लेकिन जब से हिंदू-प्रधान सरकार सत्ता में आई है और उसने इसे रोकने के लिए कानून बनाया है, तब से लोगों ने धर्म को अपनी आस्तीन पर पहनना शुरू कर दिया है. भैंसों को भी काटा जाता है. उनके लिए कोई आवाज़ नहीं उठाता.
लिंचिंग को पहले मुसलमानों को निशाना बनाकर की जाने वाली सांप्रदायिक हिंसा के रूप में देखा जाता था, लेकिन अगस्त 2024 में यह बदल गया, जब 19-वर्षीय आर्यन मिश्रा की फरीदाबाद में गोली मारकर हत्या कर दी गई. हत्यारे ने दावा किया कि उन्होंने मिश्रा को मुस्लिम समझ लिया था और उनको ब्राह्मण की हत्या का पछतावा है.
केसरीसिंहपुर नगरपालिका के अध्यक्ष जवाहर अग्रवाल ने कहा, “अगर अब हिंदू भी पीड़ित बन रहे हैं, तो यह अब धर्म का मामला नहीं है. यह अराजकता का मामला है. भीड़ का न्याय पुलिस की जगह नहीं ले सकता.”
पुलिस ने दी सूचना
22 फरवरी की रात को संदीप और बालकिशन हरियाणा के पलवल के पास एक पुलिस चौकी पर रुके और रास्ता पूछा. वह लखनऊ का रास्ता भटक गए थे.
एक विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) ने यह मानकर कि वह लोग वध के लिए गायों को ले जा रहे हैं, पहले उन्हें रास्ता दिखाया और फिर स्थानीय गौरक्षकों को फोन किया.
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