हरियाणा पुलिस ने प्रीतपाल को पंजाब से उठाया, हरियाणा ले जाकर बेरहमी से पीटा-प्रीतपाल की माँ
प्रीतपाल की माँ ने हरियाणा पुलिस पर गंभीर आरोप ,पजाब बीजेपी नेता चुप अमरेंद्र सिंह ने खोला मुँह
BY-कुसुम अरोड़ा
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जालंधर: Haryana Police picked up Preetpal from Punjab, took him to Haryana and beat him brutally – Preetpal’s mother संगरूर जिले के मूनक उपमंडल के नवांगांव गांव के निवासी प्रीतपाल को कथित तौर पर 21 फरवरी को हरियाणा पुलिस ने पंजाब की तरफ स्थित खनौरी सीमा से तब उठाया था,जब वे लंगर परोस रहे थे. आरोप है कि कि उन्हें कथित तौर पर बोरे में डाल दिया गया और बेरहमी से पीटा गया. जब उन्हें एम्बुलेंस में अस्पताल ले जाया जा रहा था, तब वे अपने माता-पिता को फोन करने में कामयाब रहे और लड़खड़ाती जबान में उन्हें अपनी आपबीती बताई.hariyaana pulis ne preetapaal ko panjaab se uthaaya, hariyaana le jaakar berahamee se peeta-preetapaal kee maan
प्रीतपाल सिंह के परिवार के लिए 24 फरवरी का दिन राहत का दिन था क्योंकि उनके बेटे को आखिरकार पीजीआई रोहतक (हरियाणा) के प्रतिबंधित वातावरण से पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआई) चंडीगढ़ में ट्रांसफर कर दिया गया. पीजीआई रोहतक में उन्हें उनके पैर, नाक और जबड़े में कई फ्रैक्चर और शरीर पर गंभीर चोटों के कारण भर्ती कराया गया था
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लखवीर ने बताया कि पीजीआई रोहतक में हरियाणा पुलिस और सिविल कपड़ों में कुछ लोग चौबीसों घंटे उन पर नजर रखते थे..प्रीतपाल की मां लखवीर कौर, जो अपने बेटे की सर्जरी के लिए पीजीआई चंडीगढ़ में थीं, ने मीडिया को बताया कि 21 फरवरी को प्रीतपाल पंजाब की सीमा के अंदर खनौरी बॉर्डर पर थे, जब अचानक हरियाणा पुलिस ने किसानों पर आंसू गैस के गोले फेंकना शुरू कर दिया.
उन्होंने बताया, ‘जब आंसू गैस फेंकी और किसान खुद को बचाने के लिए भागने लगे, तब अफरातफरी के बीच हरियाणा पुलिस खनौरी बॉर्डर पार करके मेरे बेटे को उठा ले गई. उन्होंने उसे एक बोरे में डाल दिया और लाठी-डंडों से तब तक बेरहमी से पीटा जब तक वह बेहोश नहीं हो गया. किसी तरह ऊपरवाले ने उसे बचा लिया.’Serious allegations against Haryana Police
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यह पूछे जाने पर कि उन्हें घटना के बारे में कैसे पता चला, लखवीर ने बताया कि प्रीतपाल के पास दो मोबाइल फोन थे. एक को हरियाणा पुलिस ने छीन लिया, जबकि दूसरा किसी तरह उनकी जेब में ही रह गया.21 फरवरी की अफरातफरी के प्रत्यक्षदर्शी कई किसान दावा कर रहे थे कि सिविल ड्रेस में लोगों ने खनौरी बॉर्डर से कुछ युवाओं को उठाया, उन्हें हरियाणा ले गए और बेरहमी से पीटा. उन्होंने यह भी कहा था कि सिविल ड्रेस में तैनात इन लोगों को हरियाणा पुलिस संरक्षण दे रही थी, इस दौरान उन्होंने तोड़फोड़ की, किसानों के साथ दुर्व्यवहार किया और उन्हें लाठियों से पीटा.
हालांकि, इन आरोपों के विरोध में हरियाणा पुलिस ने 24 फरवरी को मीडिया के साथ एक नक्शा साझा किया था और राजस्व अधिकारियों की एक टीम के साथ आकर यह दावा किया कि किसानों के खिलाफ 21 फरवरी का ऑपरेशन उनके अधिकारक्षेत्र में था.
नरवाना के पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) अमित कुमार भाटिया, जिन्होंने पहले मीडिया को संबोधित किया था, टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे.
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टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक शीर्ष अधिकारी ने यह भी कहा, ‘दाता सिंहवाला गांव में हमारे बैरिकेड्स के बिंदु से 1965 फीट (600 मीटर) पंजाब की ओर जमीन पर हमारा अधिकार है. किसानों ने पंजाब के साथ लगी हमारे क्षेत्र की 12 एकड़ जमीन पर कब्जा कर लिया है, जिसकी सूचना हमने पंजाब के अधिकारियों को दे दी है.’
प्रीतपाल सिंह ‘दिल्ली चलो’ मार्च का हिस्सा थे, जिसका नेतृत्व संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा(KMM) (केएमएम) के जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवन सिंह पंढेर कर रहे हैं.
किसानों ने 13 फरवरी को दिल्ली चलो मार्च का आह्वान किया था. जब से हरियाणा पुलिस ने दिल्ली की ओर जाने वाली सीमाओं को सील किया है, तब से किसान पंजाब-हरियाणा की शंभू और खनौरी सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं.
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पंजाब भाजपा मौन, कैप्टन अमरिंदर ने हरियाणा की कार्रवाई को ‘बर्बर’ बताया
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, जो अब भाजपा में हैं, ने हरियाणा पुलिस की आलोचना करते हुए किसानों के खिलाफ उसकी कार्रवाई को ‘बर्बर’ करार दिया.
उन्होंने लिखा, ‘मैं हमारे युवा किसान प्रीतपाल सिंह पर हरियाणा पुलिस द्वारा की गई हिंसा की बर्बरतापूर्ण कार्रवाई की कड़ी निंदा करता हूं. मैं हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से उन पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आग्रह करता हूं जो लोगों को लंगर परोसने वाले एक निहत्थे युवक को बुरी तरह पीटने के दोषी हैं.’
यहां तक कि भाजपा पंजाब अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भी 22 वर्षीय शुभकरण सिंह की दुखद मौत पर शोक व्यक्त किया और मामले की गहन जांच की मांग की.
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उन्होंने कहा, ‘मैं ऐसी दुर्घटना दोबारा होने से रोकने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करता हूं, क्योंकि आज भी विरोध प्रदर्शन स्थलों पर हमारे हजारों शुभकरण मौजूद हैं. दोनों पक्षों को याद रखना चाहिए, हर जिंदगी मायने रखती है.’
पंजाब भाजपा का बाकी नेतृत्व लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए किसानों के विरोध पर चुप्पी साधे हुए है. पिछली बार 2020-21 के किसान आंदोलन के दौरान पंजाब में भाजपा नेताओं को व्यापक विरोध का सामना करना पड़ा था, जिससे राज्य में उनकी राजनीतिक जमीन खत्म हो गई.
दिलचस्प बात यह है कि शिरोमणि अकाली दल (एसएडी), जिसने पिछले किसान आंदोलन के दौरान अपने सहयोगी भाजपा से नाता तोड़ लिया था, अपने किसी भी बयान में सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लेने से कतरा रहा है.
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अकाली दल किसानों पर हमले के लिए सीधे तौर पर मुख्यमंत्री भगवंत मान को जिम्मेदार ठहरा रहा है.
गौरतलब है कि एसएडी और भाजपा 2024 के आम चुनाव से पहले गठबंधन की योजना बना रहे थे, जो फिलहाल रुका हुआ है. यह केवल आम आदमी पार्टी (आप) सरकार और पंजाब कांग्रेस नेतृत्व ही है जो किसानों पर हमले के लिए केंद्र और हरियाणा सरकार पर सवाल उठा रहा है.
किसान संगठन के नेताओं ने प्रीतपाल सिंह के परिवार से मुलाकात की
सरवन सिंह पंढेर, अमरजीत सिंह मोहरी, सतनाम सिंह साहनी और अन्य के नेतृत्व में केएमएम का एक प्रतिनिधिमंडल रविवार को पीजीआई चंडीगढ़ में प्रीतपाल सिंह के परिवार से मिला.
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द वायर से बात करते हुए सरवन सिंह पंढेर ने कहा, ‘हमने 21 फरवरी की शाम को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह मुद्दा पहले ही उठाया था कि चार से पांच युवकों को हरियाणा पुलिस उठा ले गई है. प्रीतपाल सिंह को पीजीआई चंडीगढ़ लाया गया है, जहां उन्हें बेहतरीन इलाज मिलेगा और वह जल्द ही ठीक हो जाएंगे. अन्य चार घायल युवकों का इलाज सरकारी पटियाला के राजिंदर अस्पताल में चल रहा है.
पंढेर ने मुख्यमंत्री मान पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने किसानों को आश्वासन दिया था कि वह हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, गृह मंत्री अनिल विज और पुलिस के खिलाफ आईपीसी की धारा 356 के तहत एफआईआर दर्ज करेंगे, लेकिन अब तक कुछ नहीं किया है.
उन्होंने कहा, ‘यह स्पष्ट है कि भगवंत मान केंद्र सरकार के दबाव में काम कर रहे हैं. इसीलिए उन्होंने हरियाणा पुलिस के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई है. हम अपने युवाओं के लिए न्याय की मांग करते हैं और विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा.’
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इससे पहले, कीर्ति किसान यूनियन के राज्य प्रेस सचिव रमिंदर सिंह पटियाला के नेतृत्व में संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के एक प्रतिनिधिमंडल ने भी रविवार को प्रीतपाल के परिवार से मुलाकात की थी. केकेयू और एसकेएम दोनों किसानों के अधिकार के लिए अलग से विरोध कर रहे हैं.
यूनियन ने एक प्रेस नोट भी जारी किया जिसमें रमिंदर सिंह ने भाजपा सरकार द्वारा किसानों पर किए गए हमलों को ‘फासीवादी’ करार दिया और शुभकरण सिंह की हत्या के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और गृहमंत्री अनिल विज के इस्तीफे की मांग की. उन्होंने तीनों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने की भी मांग की.
उन्होंने कहा, ‘हम सुप्रीम कोर्ट के जज द्वारा न्यायिक जांच की मांग करते हैं. केंद्र सरकार तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले ऐतिहासिक आंदोलन के लिए पंजाब और हरियाणा के किसानों से बदला लेने पर तुली हुई है. यही कारण है कि उन्होंने पंजाब-हरियाणा सीमा को अंतरराष्ट्रीय स्तर की सीमा में बदल दिया है.’
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