आईपीएस सुसाइड केस
सबसे दुखद और पीड़ा दायक अर्धांगनी का जीवनसाथी चला गया – महामंडलेश्वर धर्मदेव
भारतीय सनातन संस्कृति कभी भी आत्महत्या की समर्थक नहीं रही
कोई व्यक्तिगत समस्या या किसी प्रकार की प्रताड़ना तो नहीं, जांच हो
आत्महत्या करने वाले की कभी गति नहीं होती जीवन संघर्ष का पर्याय
पीड़िता पत्नी की शिकायत और सुसाइड नोट की संजीदगी की से जांच जरूरी
सहनशक्ति की समाप्ति ही किसी के द्वारा भी अपना जीवन समाप्त करना
फतह सिंह उजाला
पटौदी। धर्म -ग्रंथो ,वेद ,पुराणों सहित भारतीय सनातन संस्कृति के मर्मज्ञ महामंडलेश्वर धर्मदेव महाराज ने आईपीएस वाई पी कुमार प्रकरण में अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि सबसे अधिक दुखद और पीड़ा दायक एक अर्धांगिनी के लिए उसके जीवनसाथी का चले जाना ही है। महिला के लिए उसका पति अथवा जीवनसाथी ही एक संबल और जीवन का आधार तथा हर प्रकार की प्रेरणा विभिन्न हालात और परिस्थिति में बना रहता है। उन्होंने भारतीय सनातन संस्कृति को स्मरण करते हुए कहा हमारी अपनी सनातन संस्कृति में किसी भी व्यक्ति के द्वारा आत्महत्या किया जाना स्वीकार्य नहीं है। ऐसा कदम निश्चित रूप से कहीं न कहीं संबंधित व्यक्ति की कथित कमजोरी भी हो सकता है ? लेकिन यह बात भी सत्य है कि कोई भी व्यक्ति अपना जीवन बहुत आसानी से समाप्त नहीं करता। जब तक की विकट परेशानी समस्या प्रताड़ना या अन्य कोई भी कारण सिर से ऊपर या लिमिट से अधिक ना हो जाए । यह बात उन्होंने मंगलवार को विशेष बातचीत के दौरान आईपीएस सुसाइड प्रकरण और इसके बाद बने विभिन्न घटनाक्रम पर चर्चा के दौरान कहीं।
महामंडलेश्वर धर्मदेव महाराज ने कहा, कारण जो भी रहे हो । आत्महत्या, समस्या और परेशानी का समाधान नहीं। जीवन रहेगा, जीवित रहेंगे तो निश्चित रूप से परेशानियां और समस्याओं का समाधान भी निकलेगा। उन्होंने दार्शनिक भाव से कहा आत्महत्या किया जाना एक प्रकार जीवन से पलायन या फिर जिम्मेदारी से भी अलग होना कहा जा सकता है। उन्होंने कहा दिवंगत आईपीएस की पत्नी जो कि स्वयं एक प्रशासनिक अधिकारी हैं, उनके द्वारा दी गई शिकायत और दिवंगत आईपीएस के द्वारा छोड़े गए लास्ट नोट में जो कुछ भी आरोप लगाए गए हैं और जिनको आरोपी बनाया गया है। इसकी पूरी तरह से गहराई के साथ निष्पक्ष बिना किसी दबाव के न्याय के हित में जांच होना बहुत जरूरी है। यह देखना भी बहुत जरूरी होगा कि दिवंगत आईपीएस के साथ कोई व्यक्तिगत समस्या या अन्य प्रकार की प्रताड़ना तो सुसाइड किया जाने का कारण तो नहीं बना है ?
सवालों के जवाब में स्वामी धर्मदेव महाराज ने कहा हमारी अथवा मेरी व्यक्तिगत संवेदनाएं दिवंगत आईपीएस की पत्नी के साथ है । परमपिता परमेश्वर उनको इस दुख की घड़ी को सहने और पति को न्याय दिलाने की हिम्मत और हौसला तथा साहस प्रदान करें । किसी भी स्त्री अथवा महिला के लिए उसके जीवनसाथी का जीवन में नहीं रहने के खालीपन को केवल और केवल पीड़िता ही महसूस कर सकती है। उन्होंने कहा सामान्य तौर पर कहा जाता है रोटी कपड़ा और मकान इंसान की मूलभूत जरूरत है। लेकिन अब आम इंसान की मूलभूत जरूरत चिकित्सा शिक्षा और न्याय कहा जाना ज्यादा बेहतर है । स्वामी धर्मदेव महाराज ने कहा भारतीय न्याय व्यवस्था पूरी दुनिया में श्रेष्ठ और पारदर्शी तथा विश्वसनीय मानी गई है। जो कुछ भी इस घटनाक्रम में साक्ष्य अथवा दस्तावेज या तथ्य उपलब्ध है या उपलब्ध हो सकेंगे। उनकी विभिन्न मामलों के विशेषज्ञों से जांच करवा कर दिवंगत आईपीएस और उनकी पत्नी को न्याय उपलब्ध करवाना चाहिए । महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव महाराज ने अंत में फिर से दोहराया कि दिवंगत आईपीएस की जीवन संगिनी पत्नी की जो भी जायज मांग है उनको गंभीरता से लेते हुए न्याय समय की मांग बन गया है।
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