आंतकी और फसादी कथित हिन्दुओ को क्या मिलेगी सजा
हल्द्वानी:
मंदिर के पास कुत्ते ने छोड़ा था बछड़े का शव(carcass of a calf), पर हिंदुत्व संगठनों के निशाने पर आए मुस्लिम
उत्तराखंड के हल्द्वानी(Haldwani, Uttarakhand) शहर में 16 नवंबर को उस समय तनाव फैल गया जब स्थानीय हिंदुओं को बनभूलपुरा इलाके के उजालेश्वर मंदिर के पास नवजात बछड़े के शव का कुछ हिस्सा पड़ा मिला. अगले ही दिन सोशल मीडिया पर अफ़वाहें फैलने लगीं कि मुसलमानों ने हिंदुओं का अपमान करने के लिए बछड़े की हत्या की है.
पुलिस ने तुरंत मामला दर्ज कर शांति बनाए रखने की कोशिश की, लेकिन कुछ ही घंटों में हिंदुत्व संगठनों और स्थानीय भाजपा नेता विपिन पांडे (BJP leader Vipin Pandey)ने सोशल मीडिया पर उत्तेजक संदेश फैलाते हुए हिंदुओं से ‘जवाब देने’ की अपील की.
मामले में दर्ज एफआईआर के अनुसार, पांडे ने लिखा था, ‘सभी सनातनी एक हों. आज रात मत सोना.’ वहीं, एक अन्य हिंदुत्व कार्यकर्ता यतिन पांडे ने लिखा, ‘वे शहर जला सकते हैं, गाय काट सकते हैं, लेकिन अगर हिंदू बोले तो माहौल बिगड़ जाता है. जागो हिंदुओं.’
भड़काऊ बयान देने के आरोप में विपिन पांडे को 20 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन 23 नवंबर को उन्हें ज़मानत मिल गई. उनके खिलाफ पहले भी सांप्रदायिक नफरत फैलाने के कई आरोप लग चुके हैं.
इसी बीच, एक हिंदुत्व इन्फ्लुएंसर ने इस कथित ‘गौकशी’ को स्थानीय शमा डीलक्स होटल(Shama Deluxe Hotel) से जोड़ दिया, जो अमीर हमज़ा नामक एक मुस्लिम व्यवसायी का है. हमज़ा शहर में मांसाहारी भोजन के लिए मशहूर शमा रेस्टोरेंट के मालिक भी हैं.
अमीर हमज़ा ने मीडिया को बताया कि सोशल मीडिया पर भड़काने के बाद हिंदुत्व समर्थकों ने उनके नए रेस्टोरेंट पर पथराव किया और बाहर खड़ी मोटरसाइकिलों को नुकसान पहुंचाया. पुलिस को भीड़ को हटाने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा. अब तक सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 50 अन्य के खिलाफ दंगा भड़काने का मामला दर्ज किया गया है.
हमज़ा ने कहा, ‘मैं प्रशासन का धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने तुरंत कार्रवाई की, लेकिन मेरी संपत्ति को जो नुकसान हुआ और मेरी प्रतिष्ठा को जो ठेस पहुंची, उसका क्या? सोशल मीडिया पर अफ़वाह फैलाने वालों के खिलाफ सख़्त कार्रवाई होनी चाहिए.’
सीसीटीवी फुटेज में यह साफ़ दिखाई देता है कि एक आवारा कुत्ता मंदिर के पास बछड़े के अवशेष छोड़ गया था(A dog left a calf’s carcass near a temple). एसपी (क्राइम) जगदीश चंद्र ने भी मीडिया को इसकी पुष्टि की. हमज़ा ने कहा, ‘बिना किसी सबूत के, जांच का इंतज़ार किए बिना, लोगों ने मुझे ही दोषी ठहरा दिया.’
सिविल राइट्स संगठन एपीसीआर से जुड़े शादाब आलम ने बताया कि यह हाल के महीनों में गोरक्षा के नाम पर हिंसा का दूसरा मामला है. पिछले महीने रामनगर में नासिर नामक एक मुस्लिम युवक को बीफ़ ले जाने के शक में बुरी तरह पीटा गया था, जबकि बाद में जांच में साबित हुआ कि वह भैंस का मांस था.
आलम ने कहा, ‘हमने अदालत का रुख किया और गोरक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. अदालत ने सख़्त रुख अपनाते हुए आरोपियों को ज़मानत नहीं दी.’
रामनगर में नासिर पर हमले से पहले स्थानीय भाजपा नेता और पूर्व नगर अध्यक्ष मदन जोशी ने झूठा दावा किया था कि गाय के मांस की तस्करी की जा रही है. इसके बाद न केवल हमलावरों ने हिंसा की लाइव स्ट्रीमिंग की, बल्कि उन्होंने माहौल को सांप्रदायिक रंग देने की भी कोशिश की.
दूसरी तरफ, नासिर के परिवार ने पुलिस पर ढिलाई और पक्षपात के आरोप लगाए थे.
आम तौर पर शांत रहने वाला हल्द्वानी शहर पिछले दो वर्षों से तनाव में है. इसका मुख्य कारण है बनभूलपुरा इलाके में लगातार बना हुआ ‘अतिक्रमण’ हटाने के लिए होने वाले ध्वस्तीकरण का खतरा.
जनवरी 2024 में प्रशासन द्वारा चलाए गए डिमोलिशन अभियान के विरोध में हो रहे प्रदर्शन हिंसक हो गए थे, जिसमें छह मुस्लिम पुरुषों की मौत हो गई थी.
आलम ने कहा, ‘पिछले कुछ हफ्तों में सांप्रदायिक उकसावे की तीव्रता अचानक बढ़ गई है. दोनों पक्षों में कुछ लोग ऐसे हैं जो अपने-अपने समुदायों को यह यक़ीन दिलाना चाहते हैं कि दूसरे समुदाय में कुछ भी अच्छा नहीं है. हम बारूद के ढेर पर बैठे हैं.. कोई भी छोटी सी घटना शहर को सांप्रदायिक आग में झोंक सकती है.’


