कैथल अदालत ने अपराधी पुलिस कर्मियों को जेल भेजने की बजाये शिकायतकर्ता पीड़िता दलित महिला को ही जेल में डाला
कैथल जिला पुलिस चालाक,पुलिसिया उत्पीड़न की शिकार दलित महिला को भेजा जेल ,अपराधी पुलिसकर्मियों की मौज
ममता को कैथल एसआईटी ने किया गिरफ्तार, थर्ड डिग्री टॉर्चर मामले में पीड़ित है ममता, थर्ड डिग्री टॉर्चर मामले में पीड़ित है महिला
कैथल/10 अगस्त/अटल हिन्द/राजकुमार अग्रवाल
कैथल जिले की अपराधी सीवन पुलिस और उसकी थर्ड डिग्री की शिकार दलित महिला ममता केस ने नया विवाद पैदा कर दिया कानून यानि पुलिस ने न्याय करते हुए पुलसिया अत्याचार की शिकार दलित महिला ममता को ही गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। माननीय अदालत जिसने ममता को पुलिस हिरासत में भेजा क्या उसी अदालत को यह दिखाई नहीं दिया की अपराधी पुलिस कर्मी अभी क्यों गिरफ्तार नहीं हुए ,क्यों माननीय अदालत को यह दिखाई नहीं दिया की अदालत पीड़िता जिसने पहले ही पुलिसिया अत्याचार सहन किया जिसने सीवन पुलिस के खिलाफ अब तक दर्ज करवा रखा है उस मुकदमे में गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई ,क्या इस अदालती फैंसले को लेकर ऐसा नहीं लग रहा की अब अदालतों को न्यायालय की बजाये अन्यायालय के नाम से जाना जाना चाहिए जहाँ अपराधियों को सरंक्षण और पीड़ित को सजा दी जाती है ?
माना की माननीय अदालत सबूतों और गवाहों को देख कर फैंसला करती है लेकिन जहाँ तक इस विवाद का सवाल है माननीय अदालत ने यह फैंसला किसी सबूत या गवाहों को सुनने के बाद नहीं लिया बल्कि ऐसा लग रहा है की माननीय अदालत अपने इस फैंसले से आम जनता को यह सन्देश देना चाहती है की अब अदालतों से आम जनता न्याय की उम्मीद ना रखें क्योंकि अदालतें अब अपराधियों को बचाने और उन्हें सरंक्षण देने को प्राथमिकता देगी ?माननीय अदालत को पीड़िता के साथ पुलिस ने जो अत्याचार किये चाहे पीड़ित महिला अपराधी थी या नहीं अदालत को देखना चाहिए था की पुलिस को क्या थर्ड डिग्री देने का अधिकार है ,क्या किसी को मारने ,पीटने,और प्रताड़ित करने का अधिकार हमारा सविधान देता है जिसकी कसम उठा कर हमारे न्यायधीश शपथ लेते है ?लेकिन नहीं बल्कि कैथल के माननीय जज साहब के इस फैसले से आम जनता पर पुलिस अत्याचार और ज्यादा बढ़ेगा साथ ही हम माननीय अदालत के फैंसले को ना तो गलत ठहरा रहे और ना ही उपरोक्त बातों को लेकर हम अदालत पर टिप्पणी कर रहे क्योंकि माननीय अदालत ने पीड़िता की हालात को और पुलिसिया अत्याचार को ना देखते हुए जो आदेश दिया है हो सकता है उसके पीछे कोई दबाब रहा हो हम ऐसा भी नहीं कहते अगर ऐसा कहेंगे या फिर अदालत के फैंसले पर कोई टिपण्णी करेंगे तो यह माननीय अदालत की अवमानना होगी और हम मामूली सी दलित महिला का पक्ष लेकर पुलिस और माननीय अदालत के खिलाफ तो जा नहीं सकते !
थर्ड डिग्री टॉर्चर मामले में पीड़ित महिला ममता को कैथल एसआईटी ने रविवार को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद महिला को अदालत में भी पेश किया गया, जहां से अदालत ने उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। वहीं, अब ममता पक्ष की ओर से न्यायालय में उसकी बेल के लिए आवेदन किया जाएगा। ममता का यह मामला पंजाब एवं हरियाणा में उसके पति रोहताश की ओर से लगाई गई एक याचिका के माध्यम से पहुंचा था, लेकिन तीन बार की सुनवाई के बाद स्वयं रोहताश ने इस केस को छह अगस्त को यहां से वापस ले लिया था। इस मामले में महिला ममता पर सीवन थाना क्षेत्र से एक किशोरी को घर से भगाने के आरोप लगे थे। उधर, इसी मामले में आरोपी पुलिसकर्मियों की अभी गिरफ्तारी नहीं हुई है। जबकि इस मामले में करनाल पुलिस की एसआईटी जांच कर रही है। हालांकि पुलिस की ओर से तीन में दो पुलिस कर्मियों को लाइन हाजिर किया था। जबकि एक होमगार्ड को उसके विभाग से उस पर कार्रवाई के लिए पत्राचार किया गया था। इस मामले में ममता से पहले एक आरोपी युवक नसीब को भी गत सात जून को गिरफ्तार किया गया था।