पटौदी विधानसभा सीट
’45 से 50 प्रतिशत तक वोट’ लेने वाले वाला ही ‘हार का हकदार’
वर्ष 2024 में पटौदी विधानसभा क्षेत्र में 61.4 प्रतिशत तक हुआ मतदान
कांग्रेस की ‘पर्ल या भाजपा की विमला’ किसका ‘गला हार के लिए तैयार’
2019 और 2024 के मतदान औसत में नहीं अधिक दिख रहा अंतर
वर्ष 2024 में पटौदी में किया गया था 68 प्रतिशत तक मतदान
फतह सिंह उजाला
पटौदी । खेल का मैदान, कोई प्रतियोगिता हो, युद्ध का क्षेत्र हो, किसी त्योहार या फिर उत्सव का ही मौका क्यों ना हो। हार का एक अपना ही अलग विशेष महत्व बना हुआ है। यह कटु सत्य है, जब दो प्रतियोगी आमने-सामने हो तो दोनों हार से इनकार या उसको अस्वीकार नहीं कर सकते। और वह हार है, जो हरहालत में गले में आखिरकार हार को पहनना ही पड़ता है।
भारतीय सनातन संस्कृति के मुताबिक एक तरफ नवरात्रि का पर्व चल रहा है । इसके साथ ही राम की लीला का मंचन हो रहा है। इसी कड़ी में राजलीला के मंचन के समापन के साथ अब इसके परिणाम का सभी को बेसब्री से इंतजार है । ऊपर लिखित अथवा कहे गए आयोजन में किरदार बदलते रहते हैं । नहीं बदलता है तो वह है हार और केवल हार जो कि किसी न किसी के गले में पहने या पहनाए जाने के लिए तैयार ही होता है । यह बात अलग है कि इस हार का स्वरूप कैसा और किस प्रकार का हो सकता है ? यह फूलों का हार भी हो सकता है और नोटों का हार भी हो सकता है, इस बात से बिल्कुल भी इनकार नही।
सत्ता की रासलीला का मंचन समाप्त होने के बाद अब इसके परिणाम की जिज्ञासा सभी में बनी हुई है। जिस समय तक यह समाचार पढ़ा जा रहा होगा तब तक चुनाव परिणाम के रुझान भी सामने आना आरंभ हो चुके होंगे । अब बिना किसी लाग लपेट के सीधी सीधी बात यह है कि पटौदी विधानसभा क्षेत्र से मुख्य मुकाबले में शामिल कांग्रेस पार्टी की सुप्रीम कोर्ट से एडवोकेट हो पटौदी के पूर्व विधायक स्वर्गीय भूपेंद्र चौधरी की पुत्री पर्ल चौधरी, दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की विश्वसनीय भाजपा के पूर्व विधायक विमला चौधरी ही है। इन दोनों में से मंगल किसके लिए मंगलकारी रहेगा और हार किस अंदाज में किसके गले की शोभा बढ़ाएगा ? यह और भी बड़ी जिज्ञासा लोगों के बीच में बनी हुई है ।
पिछले दो चुनाव परिणाम के गणित पर नजर डालते हुए उसका विश्लेषण किया जाए तो वर्ष 2024 में जो भी उम्मीदवार 45 से 50 प्रतिशत तक वोट लेने में सफल रहेगा, वही हार का हकदार भी होगा। यहां हार का सीधा और सरल मतलब विजय अथवा जीत के हार का है। 2024 में 5 अक्टूबर शनिवार को पटौदी विधानसभा क्षेत्र में आम लोगों के द्वारा 61 . 4 प्रतिशत मतदान किया गया है। कुल मतदाता संख्या 254 783 में से 156 323 मतदाताओं के द्वारा अपनी अपनी पसंद के उम्मीदवार के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में बटन दबाए गए। भाजपा और कांग्रेस के अलावा पटौदी से इस बार सबसे कम संख्या में कुल चार और उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में मौजूद हैं । यह बात कहने में कोई संकोच नहीं है कि इनको मुकाबला की मुख्य दौड़ में लोगों के द्वारा नहीं माना जा रहा है। राजनीति में गहरी रुचि रखने वालों के मुताबिक विश्लेषकों के अनुसार पिछले चुनाव परिणाम पर ध्यान दिया जाए तो वर्ष 2024 में हरियाणा विधानसभा में प्रवेश करने वाले उम्मीदवार के लिए 45 से 50 प्रतिशत वोट लेना एक प्रकार की पॉलीटिकल कंडीशन ठहराया जा सकता है। यही प्रतिशत ही जीत की गारंटी कहा जा रहा है।
इससे पहले 2019 के विधानसभा चुनाव परिणाम पर ध्यान दें तो विजेता उम्मीदवार को कल 44.20 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए। वोट के इस प्रतिशत के मुताबिक वोट संख्या विजेता के खाते में 60633 दर्ज की गई । जबकि वर्ष 2019 में पटौदी विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाता संख्या 222465 चुनावी प्रक्रिया के रिकॉर्ड में दर्ज की गई है । अब इससे पहले 2014 में पटौदी विधानसभा चुनाव के परिणाम और मतदाता संख्या सहित विजेता को मिले मत प्रतिशत का आकलन किया जाना भी जरूरी हो जाता है। 2014 में जिस समय पूरे देश और हरियाणा प्रदेश में केवल और केवल मोदी के नाम की लहर या सुनामी चली हुई थी, उस वक्त पटौदी से विधायक बने विजेता उम्मीदवार को 56 . 15 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए थे । वर्ष 2014 में पटौदी की मतदाता संख्या 195 707 चुनाव रिकॉर्ड में दर्ज है । इसमें से 133939 मतदाताओं के द्वारा अपनी पसंद के विजेता उम्मीदवार के समर्थन में वोट डाले गए । वर्ष 2014 में टोटल 11 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे और इसे बाद 2019 में 12 उम्मीदवार चुनाव मैदान में टक्कर देने के लिए मौजूद रहे।
राजनीति के जानकारो और गहरी रुचि रखने वालों के मुताबिक 2024 के चुनाव के माहौल में इससे पहले के दो चुनाव को देखते हुए हालात एकदम बदले हुए हैं । इस बार मुकाबला बिल्कुल आमने-सामने का भाजपा और कांग्रेस के बीच में बना हुआ है । इससे पहले के चुनाव में 2019 पर ध्यान दिया जाए तो भाजपा के ही मुकाबले में चुनौती देने के लिए आजाद उम्मीदवार नरेंद्र पहाड़ी के द्वारा कड़ी टक्कर दी गई । इसके साथ ही जननायक जनता पार्टी का उम्मीदवार भी मौजूद रहा और कांग्रेस पार्टी का उम्मीदवार भी वोट लेने की दौड़ में शामिल रहा। अब और थोड़ा पीछे चले 2014 में भी भाजपा को चुनौती देने के लिए इंडियन नेशनल लोकदल के पूर्व विधायक और कांग्रेस पार्टी के ही उम्मीदवार विशेष रूप से मौजूद रहे। इनके द्वारा उसे वक्त 36000 और 15000 वोट अपने-अपने खाते में प्राप्त कर लिए गए । वर्ष 2019 में भी भाजपा को टक्कर देते हुए दूसरे नंबर पर रहे उम्मीदवार ने 24 000 तीसरे नंबर पर रहे उम्मीदवार में 19000 और चौथे नंबर के उम्मीदवार ने 18000 वोट अपने नाम दर्ज करवा दिए। इन सब हालात को देखते हुए वर्ष 2014 के विजेता को 56 प्रतिशत वोट लेकर और 2019 में विजेता को केवल मात्र 44 प्रतिशत वोट लेकर चंडीगढ़ पहुंचने का सौभाग्य प्राप्त हो गया।
वर्ष 2024 के विधानसभा चुनाव में राजनीतिक हालात को देखते हुए वोटो का बंटवारा या ध्रुवीकरण दिखाई ही नहीं दे रहा है। यहां पर सीधा-सीधा मुकाबला कांग्रेस की पर्ल चौधरी और भाजपा की विमला चौधरी के बीच में बना है । बात से भी इनकार नहीं की जननायक जनता पार्टी और इंडियन नेशनल लोकदल के उम्मीदवार को ही लोगों के द्वारा वजनदार उम्मीदवार मानते हुए कहीं ना कहीं चुनावी ट्रैक पर खड़ा हुआ ठहराया जा रहा है । लेकिन विजेता की दौड़ में इनको बिल्कुल भी नहीं माना जा रहा है । राजनीतिक जानकार गणितज्ञ और विशेषज्ञ का इस समय साफ-साफ कहना है कि मंगलवार को कांग्रेस की पर्ल चौधरी और भाजपा की विमला चौधरी इन दोनों में से इसके पक्ष में भी 45 से 50 प्रतिशत तक मतदान के आंकड़े आ जाएंगे, निश्चित रूप से हार उसके गले को ही स्वीकार करेगा । यह हार निश्चित रूप से रंग-बिरंगे फूलों का ही होगा और इसके साथ पगड़ी और साफा सहित मुकुट भी सिर की शोभा बनने से इनकार नहीं किया जा सकता। इसी गणित में एक बीजगणित और भी समायोजित बताया जा रहा है जो की सत्ता पक्ष की नाराजगी वाला वोट निश्चित रूप से कांग्रेस के पाले में जाने से इनकार नहीं किया जा सकता । बहरहाल जो कुछ है, वह भविष्य के गर्भ में है और कुछ घंटे का तो इंतजार करना ही अब अंतिम विकल्प भी केवल और केवल इंतजार सहित चुनाव परिणाम ही है।
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