सीवन थाना के गुंडे पुलिस वाले या अज्ञात पुलिस वाले अभी भी गिरफ्त से बाहर क्यों ,मामला हाईकोर्ट पहुंचा
कैथल/17 जुलाई/अटल हिन्द ब्यूरो
सीवन थाना क्षेत्र में पूछताछ के लिए बुलाई गई महिला ममता के साथ कथित थर्ड डिग्री टॉर्चर के मामले ने अब कानूनी मोड़ ले लिया है। इस घटना को लेकर पीड़ित पक्ष ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।गौरतलब है कि इस मामले में मारपीट की एफआईआर दर्ज हुए 18 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक आरोपी पुलिसकर्मी गिरफ्तार नहीं किए गए हैं। पुलिस प्रशासन ने आयोग को बताया था कि दो पुलिसकर्मियों को दो दिन बाद ही लाइन हाजिर किया गया था, जबकि तीसरा आरोपी होमगार्ड कर्मी है, जिसकी कार्रवाई संबंधित विभाग के माध्यम से की जा रही है।एक बात समझ नहीं आई सीवन थाने में अज्ञात अदृश्य पुलिस वाले या गुंडे पुलिस वाले कैसे प्रकट हुस कहाँ से आये कौन से रास्ते थाने में दाखिल हुए सीवन थाना प्रभारी कौन सी कथा कर रहे थे यही नहीं दलित महिला चाहे कितनी भी दोषी हो जिन पुलिस वालों ने दलित महिला ममता को थर्ड डिग्री क्यों दी किसके कहने पर दी।
क्या दलित महिला को उत्पीड़न करवाने के पीछे कोई बड़ा हाथ है जिसके डर से पुलिस अपने दोषी पुलिस वालों को बचाने में लगी है।
घटना के 18 दिन बाद भी ममता अस्पताल से डिस्चार्ज नहीं हो पाई है। चंडीगढ़ पीजीआई में प्रस्तावित स्वास्थ्य परीक्षण भी अब तक नहीं हो सका है। पीजीआई प्रशासन ने इसे राज्य सरकार से निर्देश मिलने के बाद ही संभव बताया है। ऐसे में अब महिला का परीक्षण करनाल मेडिकल कॉलेज या रोहतक पीजीआई में कराने की योजना है।यही नहीं महिला ममता से कथित थर्ड डिग्री टॉर्चर के मामले में उस समय नया मोड़ आ गया जब चंडीगढ़ पीजीआई प्रशासन ने पीड़िता का स्वास्थ्य परीक्षण करने से इन्कार कर दिया है। प्रशासन का कहना है कि यह राज्य का मामला है, ऐसे में वे दखल नहीं देंगे। संबंधित विभाग को हरियाणा राज्य के मेडिकल कॉलेज या पीजीआई से परीक्षण कराना होगा।
सिविल सर्जन डॉ. रेनू चावला ने बताया कि चंडीगढ़ पीजीआई से अभी तक कोई लिखित सूचना प्राप्त नहीं हुई है, हालांकि मौखिक रूप से इन्कार की जानकारी मिली है। जैसे ही लिखित पत्र प्राप्त होगा, महिला का परीक्षण करनाल मेडिकल कॉलेज या रोहतक पीजीआई से करवाया जाएगा। यह परीक्षण जांच एजेंसी की निगरानी में होगा।
पीड़िता ममता के पति रोहताश की ओर से एडवोकेट राजेश कापड़ो ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर आरोपी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई न होने सहित अन्य अहम मुद्दों पर हस्तक्षेप की मांग की है।