गाँव बडनपुर पीएमश्री राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में सेमिनार आयोजित
किशोर विद्यार्थियों, उनके अभिभावकों एवं शिक्षकों हेतु बाल सलाह, परामर्श एवं कल्याण केन्द्र की स्थापना
मानसिक स्वास्थ्य में सुधार: किशोरावस्था के परिवर्तन और चुनौतियों को समझना रहा विषय
किशोरावस्था अनोखा, जिज्ञासाभरा, निरंतर परिवर्तन व विकास का रचनात्मक समय होता है-मुख्यवक्ता अनिल मलिक
नरवाना, 11 सितम्बर (नरेन्द्र जेठी) पूछूँ अगर कुछ आपसे बात तो क्या आप सही से देंगे जवाब मन में चल रहे हैं जो जज्बात क्या उनका देंगे हिसाब, उक्त बातें आज हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद की राज्यस्तरीय परियोजना के अंतर्गत नरवाना उपमंडल के गाँव बडनपुर स्थित पीएमश्री राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में अध्ययनरत किशोर विद्यार्थियों, उनके अभिभावकों एवं शिक्षकों हेतु राज्य के 184वें व जिले के 71वें बाल सलाह, परामर्श एवं कल्याण केन्द्र की स्थापना करते हुए मंडलीय बाल कल्याण अधिकारी रोहतक एवं राज्य नोडल अधिकारी अनिल मलिक ने कहीं ।

इस अवसर पर मानसिक स्वास्थ्य में सुधार: किशोरावस्था के परिवर्तन और चुनौतियों को समझना विषय पर आयोजित सेमिनार में मुख्यवक्ता अनिल मलिक ने अपने संबोधन में कहा कि किशोरावस्था अनोखा, जिज्ञासाभरा, निरंतर परिवर्तन व विकास का रचनात्मक समय होता है। इस दौरान शारीरिक, भावनात्मक, सामाजिक परिवर्तन की चुनौतियों के साथ दुर्व्यवहार, हिंसा, तरह-तरह के शोषण का सामना करने की चुनौतियां भी पेश आती है, ऐसी स्थितियां मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति संवेदनशील बना सकती हैं ।खुद को जानना और मन में उत्पन्न हो रहे सवालों का जवाब हासिल करते रहना बहुत जरूरी है। मानसिक स्वास्थ्य ऐसी भावनात्मक मनोवैज्ञानिक सामाजिक भलाई की स्थिति होती है जो यह तय करती है कि हम कैसे सोचते, महसूस और कार्य करते हैं। अच्छा मानसिक स्वास्थ्य जीवन की चुनौतियों का डटकर सामना करने, अपनी कमजोरियों, क्षमताओं को पहचानने, तनाव को संभालने, अच्छे रिश्ते कायम करने व सामाजिक संबंध बनाने में मददगार होता है । संज्ञानात्मक परिवर्तन के दौरान तार्किक और जटिल तरीके से सोचना सीखते हैं, यानी कि हमारी सोच का विकास उन्नत हो रहा है । खुद की पहचान और मूल्यों को बनाने का प्रयास, नया सीखना और ऊँचाइयों को खोजते रहना भी हम इसी वजह से सीखते हैं।
किशोर अक्सर भावनात्मक उतार-चढाव, पहचान के संकट, स्वतंत्रता, साथियों का दबाव, सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभाव, हार्मोनल बदलाव, नशे या अन्य तरह की व्यसन तथा गलत आदतों से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करते हैं। ऐसे में खुद की स्थिति को जाँचना अपने सामाजिक परिवेश और खुद अपनों को सही से समझना जरूरी होता है। आत्म-प्रेरणा से शक्ति बढाकर निरंतर सवाल पूछे, समाधान ढूँढे, मनोवैज्ञानिक तौर-तरीकों से सफलतापूर्वक हर समस्या का समाधान संभव है। परामर्शदाता नीरज कुमार ने कहा कि विशेष तौर से अपनी रूचि को समझकर दैनिक कार्यों में ध्यान लगाएं, शारीरिक ऊर्जा के साथ-साथ अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान भी रखें। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य संजय चैधरी ने कहा कि मनोवैज्ञानिक परामर्श सेवाओं से एक नयी उम्मीद पैदा होती है। एहसास होता है कि इन सेवाओं के मार्गदर्शन से किशोरों को सही पथ संचालन में मदद मिलेगी। कार्यक्रम में विशेष उपस्थिति राजेश श्योकंद, आशा के साथ राज्य बाल कल्याण के आजीवन सदस्य नीरज कुमार, मनीष के साथ-साथ सभी शिक्षकों की रही।


