औसानेश्वर मंदिर वाला भगवान इतना बेरहम कैसे हो सकता है
450 वर्ष पुराना है शिवलिंग वाला भगवान फिर भी शक्ति सिर्फ भक्तों को मारने की क्यों
बाराबंकी /29 जुलाई/अटल हिन्द ब्यूरो
कोई भी भगवान इतना बेरहम कैसे हो सकता है जो अपने ही भगतों की जान ले ले दुनिया भर में भारत ही एक अकेला ऐसा देश है जहाँ 140 करोड़ नागरिकों में से 33 करोड़ देवी देवता बसते है। और करोड़ों ऐसे भगवान है जिन्होंने भगवा धारण किया हुआ है जो इन 33 करोड़ भगवानों को संभालते है यही नहीं भारत के हर शहर ,हर गाँव में आपको गली गली में भगवान का घर (मंदिर )मिल जाएगा जिनमे हर रोज लाखों श्रदालु इन भगवानो के दर्शन करने आते है और अपनी व अपने परिवार के लिए सुख समृद्धि की कामना करते है लेकिन इसके बावजूद सुख समृद्धि मिलना तो दूर की बात हर रोज मातम छा रहा है।
जहाँ तक मंदिरों का सवाल है प्राचीन समय में हमारे बुजुर्गों ने आने जाने वाले राहगीरों के रुकने के लिए एक आश्रय स्थल हर गाँव और हर शहर के बाहर बनाया था एक धर्मशाला समझ कर ताकि कोई भी राहगीर रुक कर विश्राम कर सके लेकिन बदलते समय के चलते एक जाती विशेष और कुछ कथित हिन्दू ठेकेदारों जिनमे भगवा बाबाओं में मठ और डेरे भी शामिल है ने इन पर कब्जा कर लिया क्योंकि दान दताओं ने इसे विशाल आश्रय स्थल में बदल दिया लेकिन दान जब अरबों खरबों में आने लगा तो ये सब आश्रय स्थल व्यापार की दूकान बन गए और यह बात सब जानते है की साड़ी दुनिया छोड़ के सभी भगवान् भारत में ही क्यों और कहाँ से आये। अब औसानेश्वर मंदिर(Ausaneshwar temple) को ही ले लीजिये जो 450 वर्ष पुराना है शिवलिंग, यहां औरंगजेब भी हारा ऐसा बताया जाता है इसके बाद भी यहाँ भगवान ने इन निर्दोषों को क्यों मरने दिया ?
रात करीब दो बजे अचानक लोग चीखने लगे। भागो-भागो…करंट फैल गया, कहकर एक-दूसरे पर चढ़ते-गिरते दौड़ पड़े। इस अफरातफरी में कुछ श्रद्धालु करंट लगने के डर से जमीन पर गिर पड़े, जबकि कुछ लोगों के पैर तले दबे। सहरिया निवासी रमेश कुमार (30) और लोनीकटरा के मुबारकपुर निवासी प्रशांत कुमार (22) की मौत हो गई। 46 लोग घायल हुए हैं, जिनमें से पांच की हालत गंभीर बनी हुई है। घायलों में एक श्रद्धालु रायबरेली का रहने वाला है।
भगदड़ की सूचना मिलते ही मंदिर प्रबंधन की ओर से तुरंत बिजली आपूर्ति बंद कराई गई।
जी हाँ बाराबंकी में औसानेश्वर मंदिर के कपाट रविवार रात करीब 12 बजे खुले। तब तक परिसर में करीब 20 हजार से अधिक श्रद्धालु जमा हो चुके थे। श्रद्धालुओं का आना लगातार जारी था। मंदिर के मुख्य द्वार से लगभग 250 मीटर दूर तक बैरिकेडिंग व टिन शेड के नीचे से लेकर बाहर तक करीब 4000 श्रद्धालु कतार में ठसाठस खड़े थे। चारों ओर बम-बम भोले और हर हर महादेव की गूंज थी।लेकिन सब खत्म हो गया जयकारा मातम में बदल गया ?
औसानेश्वर महादेवा मंदिर में मची भगदड़ में 46 लोग घायल हुए हैं। पुलिस ने आधा दर्जन एंबुलेंस से 29 लोगों का हैदरगढ़ सीएचसी, 12 का त्रिवेदीगंज व सात लोगों का कोठी सीएचसी भेजा गया। दो लोगों को त्रिवेदीगंज में मृत घोषित कर दिया गया। इस दर्दनाक हादसे में सतरिख के मोहद्दीपुर गांव के रंजीत (26), छतौरा कोठी के रंजीत राम की पुत्री पलक (13), भुलभुलिया गांव की संध्या (24), मोहदीपुर कोठी के सुंदरम सिंह (14), बिबियापुर घाट की लक्ष्मी(18), सुबेहा के गढ़ी गोसियामऊ निवासी अमन (18), सुबेदार पुरवा हैदरगढ के बैजनाथ (22), बिजौली लोनी कटरा की ललिता (22), सविता (26), राखी (17), रसूलपुर के अमन वर्मा, आकाश वर्मा (20), आयुष कुमार (26) अलुवामऊ के हरकेश (15), सादुल्लापुर के शुभम (4), मोहना के रितेश (17), कोठी के शंभु सराय गांव के अभिषेक 17, रायबरेली के शिवगढ़ क्षेत्र के अर्जुन 21 समेत 46 लोग घायल हुए है। इनमें बैजनाथ, पलक, संध्या, अर्जुन व अभिषेक को गंभीर दशा में जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया।
मनसा देवी मंदिर में हुई थी भगदड़
बता दें की बीते रविवार को हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में करंट दौड़ने की अफवाह से भगदड़ मच गई, जिसमें 8 श्रद्धालुओं की मौत हो गई. वहीं कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. मंदिर में सावन के मौके पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी हुई थी. इस बीच अफवाह फैल गई की करंट आ रहा है, जिसके चलते लोग बचने के चक्कर में एक-दूसरे पर चढ़ने लगे.