चुनाव का चाव
नेताओं का चुनाव प्रचार बन गया विद्यार्थियों के जी का जंजाल !
गली गली मोहल्ले मोहल्ले में लाउडस्पीकर पर हो रहा चुनाव प्रचार
विद्यार्थियों के लिए समस्या किस प्रकार करें अपने एग्जाम की तैयारी
17 फरवरी से हम एग्जाम तथा 27 फरवरी से बोर्ड के भी होंगे एग्जाम
सड़क किनारे स्कूलों में होंगे एग्जाम और बाहर गूंजेंगे चुनाव के तराने
अधिकांश सरकारी स्कूलों में ही बनाए गए हैं कॉलिंग केंद्र सहित पोलिंग बूथ
फतह सिंह उजाला
गुरुग्राम / पटौदी । शिक्षा को मौलिक अधिकार कहा गया है । संविधान के मुताबिक मौलिक अधिकार की रक्षा करना सरकार का दायित्व बनता है । सरकार आम जनता के द्वारा किए गए मतदान के बाद बनती है । योग्य अनुभवी जन प्रतिनिधि चुनने के लिए मतदाता का शिक्षित होना भी बहुत जरूरी है। यह बात अलग है कि चुनाव लड़ने वाला जनप्रतिनिधि के लिए शिक्षा का पैमाना कोई महत्व नहीं रखता है। यह विषय निश्चित रूप से बहस का विषय बन सकता है और बनना चाहिए। जिस समय विद्यार्थी वर्ग के द्वारा होम एग्जाम दिए जा रहे हो, दूसरी तरफ बोर्ड के एग्जाम की डेट शीट भी पहले से जारी हो चुकी हो । इन सबको दरकिनार करते हुए चुनाव की घोषणा कर दी जाए ? चुनाव लड़ने वाले दावेदार औपचारिकता पूरी करते हुए अपनी जीत सुनिश्चित करने के वास्ते प्रचार कौन-कौन तक पहुंचाने के लिए पूरा जोर लगा छोड़ते हैं। चुनाव जीतने के लिए शोर सहित प्रचार में बेशक से विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित हो और एग्जाम सेंटर में बैठने के बावजूद चुनाव प्रचार के तराने परीक्षा कक्षा के अंदर घुसकर विद्यार्थियों का एकाग्रचित रहना दुश्वार बना दे । लक्ष्य केवल और केवल चुनाव में अपनी जीत सुनिश्चित करना ही अंतिम विकल्प और सत्य है।

इस विषय में निकाय चुनाव शेड्यूल की घोषणा होते ही डॉ भीमराव अंबेडकर सभा गुरुग्राम के प्रताप सिंह कदम के द्वारा विरोध दर्ज करवाया गया। उनका कहना है कि बोर्ड एग्जाम का शेड्यूल पहले जारी हो चुका था। इसके बाद में निकाय चुनाव की घोषणा की गई, जब बोर्ड एग्जाम का शेड्यूल और डेट पहले से सार्वजनिक हो चुकी थी। तो ऐसी क्या मजबूरी रही की निकाय चुनाव की तिथि को कुछ दिन के लिए और आगे क्यों नहीं बढ़ाया जा सका ? इसी कड़ी में समाजसेवी और चिंतक परमेश रंजन का कहना है कि छात्र जीवन में वार्षिक परीक्षा छात्र के लिए आजीवन महत्वपूर्ण होती है । फिर वह चाहे होम एग्जाम हो या फिर बोर्ड की परीक्षाएं हो। अनगिनत विद्यार्थी वर्ष भर वार्षिक परीक्षाएं सम्मानजनक अंक प्राप्त करने का लक्ष्य लेकर देते हैं। अधिक से अधिक अंक और ऊंचे से ऊंचा रैंक प्राप्त करने के लिए विशेष रूप से विद्यार्थी वर्ग एग्जाम शेड्यूल रिलीज होने या फिर एग्जाम की डेट शीट आने के बाद रात दिन एक कर देते हैं । यही कारण है कि अनगिनत छात्र बहुत सुबह अंधेरे उठकर ही अपनी परीक्षाओं की तैयारी तनमयता के साथ करते हैं। परीक्षा केवल मात्र विद्यार्थी की ही नहीं होती। वर्षभर की पढ़ाई और परीक्षा ने अच्छे अंक और अच्छा रैंक प्राप्त करने के लिए अभिभावकों के सहयोग और प्रोत्साहन का एक अलग ही विशेष महत्व होता है।
इसी कड़ी में ऐसे लोगों के द्वारा भी तीखी प्रतिक्रिया की गई है जो कि स्वयं निकाय चुनाव में उम्मीदवार बने हुए हैं। निकाय चुनाव की घोषणा होते ही राजनीतिक हालात सहित अपने चुनाव लड़ने की चर्चा का आरंभ करते हुए एक उम्मीदवार के द्वारा सवाल किया गया क्या यह चुनाव 15-20 दिन और आगे नहीं सरकाए जा सकते थे ? कम से कम पूरे वर्ष भर मेहनत करने वाले विद्यार्थी जो की परीक्षा में अच्छे से अच्छा रैंक लाने के लिए एग्जाम देते हैं। एग्जाम देते समय एग्जाम सेंटर में चुनाव प्रचार का शोर सवालों के जवाब लिखते समय परेशान तो नहीं करता। 11 फरवरी से 17 फरवरी तक नामांकन का दौर चला। 19 फरवरी को चुनाव चिन्ह का आवंटन किया गया। इसका दूसरा पहलू यह है कि 17 फरवरी से हरियाणा बोर्ड से संबंधित कक्षा 9 और कक्षा 11 की गृह परीक्षाएं आरंभ हो चुकी हैं । इनका समापन 5 मार्च को होगा । अब सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि मौजूदा समय में विद्यार्थी किस प्रकार के हालात में अपने-अपने होम एग्जाम की तैयारी करते हुए स्कूल में पहुंचकर संबंधित विषय का पेपर देने का साहस जुटाने का साहस कर पा रहे होंगे । इलेक्शन, एजुकेशन, एग्जामिनेशन, डोर टू डोर पहुंच डोर बेल बजना, रिजल्ट में टॉप स्कोर और टॉप रैंकिंग, अपनी अपनी टेंशन। क्या लिखा जाए और क्या कहा जाए ?
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