नरेंद्र मोदी का मंत्री अजय मिश्रा केंद्रीय मंत्री बनने से पहले हत्यारोपी व बड़ा अपराधी रहा है
अपराधी को पहले से ही पता है अदालत उसे बरी करेगी ,कैसे तोता पिंजरें क्या ?
साल 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने आयोग को बताया था कि उनके खिलाफ अपराध संख्या 92/2005, मुकदमा संख्या 3592/07, 3593/07 के तहत न्यायालय ने संज्ञान लिया है, जिसमें उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 147 (दंगा), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के लिए दंड), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जान-बूझकर किया गया अपमान), 506 (आपराधिक धमकी) और 452 के तहत आरोप लगाए गए हैं.हलफनामे में यह भी कहा गया है कि हत्या मामले में निचली अदालत द्वारा उन्हें बरी किए जाने वाला केस हाईकोर्ट में लंबित है
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BY जगदीप एस. छोकर

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ पिछले करीब एक महीने से चर्चा में बने हुए हैं और संयुक्त किसान मोर्चा की अगुवाई में किसान उनका इस्तीफा और गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं. इसकी वजह लखीमपुर खीरी की भयावह घटना और उनकी ‘दादागिरी’ है.
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया क्षेत्र में किसानों का एक समूह उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की यात्रा के खिलाफ तीन अक्टूबर को प्रदर्शन कर रहा था, तभी एक एसयूवी (कार) ने चार किसानों को कथित तौर पर कुचल दिया, जिससे उनकी मौत हो गई थी. इस घटना में कुल आठ लोगों की मौत हुई थी.
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केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ लखीमपुर खीरी के सांसद भी हैं, जिनके विरोध में वहां के आंदोलित किसानों ने उनके पैतृक गांव बनबीरपुर में आयोजित एक ‘दंगल’ में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के जाने का विरोध कर रहे थे.
हालांकि ये सब अचानक से नहीं हुआ था. केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में दस महीने से अधिक समय से आंदोलन कर रहे किसानों की नाराजगी अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ के उस बयान के बाद और बढ़ गई थी, जिसमें उन्होंने किसानों को ‘दो मिनट में सुधार देने की चेतावनी’ और ‘लखीमपुर खीरी छोड़ने’ की चेतावनी दी थी.
बीते 25 सितंबर को एक समारोह में मंच से केंद्रीय गृह राज्यमंत्री ने कहा था, ‘मैं केवल मंत्री नहीं हूं, सांसद, विधायक भर नहीं हूं, जो विधायक और सांसद बनने से पहले मेरे विषय में जानते होंगे, उनको यह भी मालूम होगा कि मैं किसी चुनौती से भागता नहीं हूं.’
मिश्रा ने चेतावनी भरे लहजे में कहा, ‘जिस दिन मैंने उस चुनौती को स्वीकार करके काम कर लिया उस दिन पलिया नहीं, लखीमपुर तक छोड़ना पड़ जाएगा, यह याद रहे.’
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इसमें उन्हें यह भी कहते सुना जा सकता है कि ‘सामना करो आकर, हम आपको सुधार देंगे, दो मिनट लगेगा केवल.’
इतना ही नहीं लखीमपुर खीरी में बीते तीन अक्टूबर को हुई इस हिंसा के मामले में उनके बेटे आशीष मिश्रा पर किसानों को कुचलकर उनकी हत्या किए जाने का आरोप है.
एक केंद्रीय मंत्री द्वारा इस स्तर की धमकी भरी बयानबाजी करने की वजह क्या है, इसका अंदाजा उनके पुराने आपराधिक रिकॉर्ड को देखकर लगाया जा सकता है.
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मिश्रा के खिलाफ पहला मामला साल 1990 में दर्ज किया गया था, जिसमें उन पर आईपीसी की धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के लिए दंड), धारा 324 (खतरनाक हथियारों या साधनों से स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) और 504 (शांति भंग करने के इरादे से जान-बूझकर किया गया अपमान) के तहत आरोप लगाए गए थे.
इसके बाद साल 1996 में उनके नाम पर तिकोनिया पुलिस थाने में एक ‘हिस्ट्री शीट’ खोला गया था, लेकिन कुछ महीने बाद उसे बंद कर दिया गया. इसके बाद 23 वर्षीय प्रभात गुप्ता नाम के व्यक्ति की हत्या के आरोप में साल 2000 में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. लखीमपुर खीरी के तिकोनिया इलाके में गुप्ता की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
इस मामले में साल 2004 में उन्हें बरी कर दिया गया था, लेकिन गुप्ता के परिवार ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपील दायर की और मामला अभी भी विचाराधीन है.
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गौरतलब है कि जिला पंचायत सदस्य से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले अजय कुमार मिश्रा वर्ष 2012 में खीरी जिले के निघासन विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के विधायक चुने गए.
पार्टी ने 2014 में उन्हें खीरी लोकसभा से उम्मीदवार बनाया और वह चुनाव जीत गए. 2019 में उन्हें भाजपा ने दोबारा मौका दिया और वह पुन: लोकसभा का चुनाव जीत गए.
अजय मिश्रा द्वारा लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग को सौंपे गए हलफनामें में भी इन मामलों के विवरण मिलते हैं.
साल 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने आयोग को बताया था कि उनके खिलाफ अपराध संख्या 92/2005, मुकदमा संख्या 3592/07, 3593/07 के तहत न्यायालय ने संज्ञान लिया है, जिसमें उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 147 (दंगा), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के लिए दंड), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जान-बूझकर किया गया अपमान), 506 (आपराधिक धमकी) और 452 के तहत आरोप लगाए गए हैं.
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हलफनामे में यह भी कहा गया है कि हत्या मामले में निचली अदालत द्वारा उन्हें बरी किए जाने वाला केस हाईकोर्ट में लंबित है
इसके बाद साल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने निर्वाचन आयोग को पुराने मामले को दोहराते हुए एक नया मामला- अपराध संख्या 41/2000, मुकदमा संख्या 518/2001- के बारे में बताया, जिसमें उन पर हत्या का आरोप लगाया गया था और 29/03/2004 को उन्हें दोषमुक्त कर दिया गया था.
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में दायर अपने हलफनामे में अजय मिश्रा ने अपने पूर्ववर्ती दो आरोपों को हटा दिया और सिर्फ साल 2000 के उस हत्या मामले का उल्लेख किया, जिसमें निचली अदालत ने बरी कर दिया था और इसके खिलाफ अपील के बाद ये मामले इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित है.
इस तरह यहां दस्तावेजों से स्पष्ट होता है कि मिश्रा के खिलाफ आपराधिक आरोपों की लंबी-चौड़ी फेहरिस्त है, जिसमें हत्या जैसे संगीन आरोप भी शामिल हैं.
इसी साल जुलाई के पहले हफ्ते में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार किया तो उत्तर प्रदेश के तीन दलित और तीन पिछड़े सांसदों के साथ ही इकलौते ब्राह्मण अजय मिश्रा को मंत्रिमंडल में शामिल किया.
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अजय मिश्रा को गृह राज्य मंत्री जैसा महत्वपूर्ण पद मिला. पार्टी ने ब्राह्मण चेहरे के रूप में उन्हें आगे किया और उनकी यात्रा और कई सभाएं भी आयोजित की गईं.
बहरहाल लखीमपुर हिंसा मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों की संख्या बढ़कर दस हो गई है, जिसमें अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा भी शामिल हैं. मिश्रा तथा अन्य के खिलाफ चार किसानों की हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है.
किसानों का आरोप है कि आशीष मिश्रा ने किसानों को अपनी गाड़ी से कुचला है. हालांकि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और उनके बेटे ने इस बात से से इनकार किया है.
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आशीष को बीते नौ अक्टूबर को करीब 12 घंटे तक चली पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया था और तब से वह जेल मे हैं.
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