नायब सैनी सरकार पर दिल्ली के ही रिमोट से कंट्रोल – पर्ल चौधरी
प्रदेश में अनुभवी अधिकारियों की अनदेखी कर दिल्ली से भेजा के सेक्रेटरी
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बेलगाम अफसर शाही की मंत्री अनिल विज ने ही खोल दी पोल पट्टी
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हरियाणा भाजपा सरकार जनादेश से नहीं बलिक ईवीएम से ही बनी
अधिकारी नेताओं को और नेता जनता की भावनाओं को नहीं दे रहे भाव
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फतह सिंह उजाला
गुरुग्राम। डबल इंजन वाली हरियाणा हरियाणा में नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली हैट्रिक सरकार का रिमोट कंट्रोल दिल्ली में ही है। हरियाणा में अनुभवी प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूद रहते हुए, दिल्ली से हरियाणा सरकार का चीफ सेक्रेटरी भेजा जाना अथवा नियुक्त किया जाना कोई छोटी बात नहीं है ?
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इसका सीधा-सीधा मतलब यही है कि हरियाणा के सीएम नायब सैनी भी भाजपा केंद्रीय नेतृत्व के द्वारा तीसरी आंख या फिर सीसीटीवी की निगरानी में ही रहेंगे । इसी कड़ी में वरिष्ठ विधायक और गब्बर के नाम से विख्यात मंत्री अनिल विज के द्वारा वर्तमान सरकार के मुखिया और सरकार के अधिकारियों की कार्यशैली को लेकर भी कटघरे में खड़ा कर दिया गया । मंत्री अनिल विज कही गई बातों से साफ महसूस होता है कि अफसर शाही अपनी मर्जी से ही काम करने को प्राथमिकता दे रही है । यह बात हरियाणा प्रदेश कांग्रेस एससी सेल की प्रदेश महासचिव सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट श्रीमती पर्ल चौधरी के द्वारा कही गई है।
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उन्होंने कहा सरकार की कार्यप्रणाली और जनादेश का विश्लेषण किया जाए तो 100 दिन के बाद यह बात कहने में कोई संकोच नहीं है कि अधिकारी नेताओं को कोई भाव नहीं दे रहे हैं । इसी प्रकार से नेताओं के द्वारा जनता की भावनाओं को भी तवज्जो नहीं दी जा रही । इसका सीधा-सीधा कारण यही है कि हरियाणा में भाजपा की सरकार जनता के जनादेश से नहीं बनी ! भाजपा की यह सरकार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की मेहरबानी से बनी है। हैट्रिक वाली भाजपा सरकार के विषय में यह भी कहा जा सकता है कि इस सरकार के बनने और भाजपा की जीत में मशीनी उपकरणों ( ईवीएम)का सबसे बड़ा योगदान रहा है। इस प्रकार के मशीनी उपकरणों का कंट्रोल – नियंत्रण दिल्ली से ही होता आ रहा है । वास्तव में सरकार पर नियंत्रण और सरकार का संचालन ब्यूरोक्रेसी अर्थात अफसर शाही के द्वारा ही होता है । सरकार के मंत्री और मुखिया योजनाएं बनाने और उनके क्रियांनवयन के लिए सामजस्य बना कर रखते हैं।
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कांग्रेस नेत्री श्रीमती पर्ल चौधरी ने कहा आईएएस और आईपीएस सीधे-सीधे केंद्र सरकार के ही अधिकारी कहे जा सकते हैं। सही मायने में नेता अथवा मंत्री या फिर सरकार जनता के जनादेश से बने, तो फिर इनकी जवाबदेही भी जनता के प्रति ही अधिक होती है। लेकिन चुनाव में अब जनता से अधिक इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की भूमिका अधिक मानते हुए सवाल भी उठना आरंभ हो चुके हैं । उन्होंने कहा यह भी गंभीर आरोप लगाते आ रहे हैं कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की सेटिंग से इनकार नहीं किया जा सकता। पूरे सिस्टम और व्यवस्था पर मशीनीकरण हावी होता महसूस किया जा रहा है । वास्तव में यदि सरकार जनता के बहुमत के जनादेश से ही बनती । जनता के प्रति संवेदनशील और जवाब देही भी रहती । आम जनमानस की समस्याओं के समाधान, जन सुविधा उपलब्ध करवाने, भ्रष्टाचार को रोकने, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार जैसे मुद्दों से ध्यान भटकने के लिए बेफजूल के आरोप प्रत्यारोप सहित बयान बाजी का खेल खेला जा रहा है।
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