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सरकार जी…पटौदी बार के एडवोकेटस की भी सुन लो फरियाद

सरकार जी…पटौदी बार के एडवोकेटस की भी सुन लो फरियाद

बार प्रेसिडेंट के द्वारा किए गए खुलासे के बाद मची है खलबली’

पटौददी बार प्रेसिडेंट को छोड़ मीडिया कर्मियों को घेरने की तैयारी

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जब वकीलों की नहीं हो रही सुनवाई तो आम आदमी का क्या होगा

फतह सिंह उजाला
पटौदी ।    पटौदी औैर हेलीमंडी के बीच निर्माणाधीन नए ज्यूडिशल कांपलेक्स अथवा कोर्ट के साथ ही बनाए जा रहे एडवोकेट चेंबर के मामले में पटौदी बार के प्रेसिडेंट के द्वारा बेहद चैंकाने वाला खुलासा, पटौदी बार के ही कुछ एडवोकेटस को बेहद नागवार गुजरा है। इस मामले में जो सबसे अधिक हैरान करने वाली बात उभर कर सामने आई , वह यह है कि निर्माणाधीन एडवोकेट चैंबर में इस्तेमाल किए गए मेटेरियल की सैंपंिलग और जांच के लिए दी गई शिकायतों पर भी संबंधित विभाग के द्वारा कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई । यह निष्कर्ष निर्माणाधीन एडवोकेट चैंबर्स की साइट पर पहुंचे एडवोकेट रविंद्र चैहान, विजय यादव व अन्य सहयोगियों के द्वारा इस पूरे प्रकरण को लेकर सीधे-सीधे ठेकेदार पर लगाए गए गंभीर आरोपों के बात सामने आता दिखाई दे रहा है ।

पटौदी बार के ही सूत्रों के मुताबिक पटौदी बार प्रेसिडेंट विशाल चैहान के द्वारा किए गए खुलासे और कहीं गई कड़वी सच्चाई के बाद एडवोकेट्स का एक खेमा अथवा गुट, पटौदी बार प्रेसिडेंट विशाल चैहान के खिलाफ बोलने से बचते हुए अब इस पूरे प्रकरण में कथित रूप से मीडिया कर्मियों पर ही लीगल नोटिस के द्वारा मुंह बंद रखने की अथवा करवाने की योजना पर भी गंभीरता से काम कर रहा है । इस प्रकार की जानकारी पटौदी बार के ही विश्वसनीय सूत्रों के द्वारा सामने आई है । जबकि होना यह चाहिए कि जो एडवोकेटस, एडवोकेट के चेंबर के निर्माण कार्य और इस्तेमाल की गई सामग्री से संतुष्ट नहीं है तो उनको अपने मौलिक और कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए सीधे-सीधे पटौदी कोर्ट या फिर गुरुग्राम जिला कोर्ट में संबंधित विभागों के खिलाफ सीधी कार्रवाई करनी चाहिए ।

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निर्माणाधीन चेंबर साइट पर पहुंचे वकीलों के मुताबिक जो भी बातें कही गई अथवा आरोप लगाए गए, उनके मुताबिक पीडब्ल्यूडी विभाग के क्वालिटी कंट्रोल विभाग के द्वारा काम का अधिक बोझ बताते हुए निर्माणाधीन चेंबर की जांच के लिए किसी अन्य एजेंसी की सेवाएं लेने के लिए कहा गया। लेकिन सूत्रों के मुताबिक 4 माह के करीब बीतने के बाद भी विरोधी खेमा कथित रूप से संबंधित विभाग के खिलाफ लीगल नोटिस जारी करने से भी बचता दिखाई दे रहा है । मौके पर पहुंचे एडवोकेट के द्वारा यह भी बताया गया कि चेंबर निर्माण प्रकरण को लेकर उनके द्वारा इस पूरे मामले में गुरुग्राम सेशन कोर्ट और पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जज सहित हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री के द्वारा भी दखल देने की मांग की गई ह। यह होना भी चाहिए और आम आदमी सहित जांच के लिए एडवोकेट का भी यह मौलिक और कानूनी अधिकार बनता है । निर्माणाधीन चेंबर साइट पर पहुंचे एडवोकेट के द्वारा निर्माण में डिस्टिक प्लानिंग विभाग को भी सीधे-सीधे घसीटा गया , साथ ही पीडब्ल्यूडी विभाग को भी अपने निशाने पर लिया गया।

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एडवोकेट्स का तर्क है कि पीडब्ल्यूडी विभाग के दायरे में आने वाली किसी भी बिल्डिंग अथवा भवन की जांच का पूरा अधिकार पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों को है । साइट पर पहुंचे एडवोकेट के द्वारा यह भी दावा किया गया कि उनके द्वारा इलाके के एमएलए को गुमराह नहीं किया जा रहा है, एमएलए स्वयं पपटौदी बार के मंेबर भी है। एडवोकेटस का दावा है कि बार-बार मांगे जाने पर भी संबंधित विभागों के द्वारा किसी भी प्रकार की रिपोर्ट उपलब्ध नहीं करवाई जा रही है , जिजसे कि आगामी एक्शन लिया जा सके। जानकारों की माने तो एडवोकेट के लिए यह काम कोई बहुत मुश्किल काम नहीं है , कोर्ट की मदद से नोटिस जारी करवा कर जिस भी रिपोर्ट की एडवोकेट को जरूरत है , उसे प्राप्त किया जा सकता है।

इसी पूरे मामले में पटौदी बार के प्रेसिडेंट विशाल चैहान का कहना है कि वास्तव में मुद्दा चेंबर निर्माण के लिए बार एसोसिएशन के सदस्य एडवोकेट के द्वारा अपने अपने हिस्से की रकम का भुगतान किया जाने का है । उन्होंने कहा कि पहले ही सार्वजनिक रूप से कह दिया गया है की एक भी पैसे का चेंबर निर्माण में घपला साबित किया जाएगा तो जो भी ऐसा काम करेगा उसे मुंह मांगा इनाम भी मिलेगा। हैरानी इस बात को लेकर है की निर्माणाधीन चेंबर साइट पर पहुंचे एडवोकेट के द्वारा निवर्तमान बार प्रेसिडेंट संजीव यादव को भी इस पूरे मामले में कहीं ना कहीं कथित रूप से दोषी ठहराया गया । जब इस मामले को पटौदी बार के प्रेसिडेंट के द्वारा मीडिया के सामने रखा गया तो यही बात कथित रूप से कुछ एडवोकेट को इतनी अधिक नागवार लगी की पटौदी बार प्रेसिडेंट विशाल चैहान के खिलाफ बोलने से कन्नी काटते हुए सीधे-सीधे मीडिया कर्मियों पर मुंह बंद रखने या फिर कवरेज नहीं करने के लिए दबाव बनाने की कानूनी रणनीति भी तैयार की जा रही है । अब यह तो आने वाला समय तय करेगा कि इस मामले में पटोदी बार प्रेसिडेंट और पटौदी बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी क्या और किस प्रकार की निर्णायक कार्रवाई अमल में लाएगी।

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