पहलगाम हमला बीजेपी ने पहले भड़काने वाला पोस्टर जारी किया, फिर हटाया
दिल्ली /अटल हिन्द ब्यूरो
पहलगाम हमले को साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिशों ने कश्मीर में पहले से ही तनावपूर्ण माहौल को और जटिल कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी घटनाओं को धार्मिक आधार पर पेश करना न केवल सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता को भी कमजोर करता है। कश्मीर में पहले से ही हाइब्रिड आतंकवाद और विदेशी आतंकियों की मौजूदगी एक बड़ी चुनौती है। 2025 में जम्मू-कश्मीर में 150 से अधिक विदेशी आतंकियों की मौजूदगी की खबरें हैं।
वही छत्तीसगढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के आधिकारिक एक्स हैंडल पर एक घिबली-शैली की एआई-जनरेटेड तस्वीर साझा करने के बाद पार्टी को सोशल मीडिया पर तीखी आलोचना का सामना करना पड़ा। इस तस्वीर में एक युवती को एक युवक के शव के पास बैठे हुए दिखाया गया है, जिसे पार्टी ने पहलगाम हमले के संदर्भ में पोस्ट किया था। तस्वीर के साथ कैप्शन था, “धर्म पूछा, जाति नहीं… #Pahalgam #PahalgamTerroristAttack”। इस पोस्ट को असंख्य लोगों ने असंवेदनशील और राजनीतिक लाभ के लिए आपदा का इस्तेमाल करने वाला करार दिया है। हालांकि शाम होते-होते बीजेपी ने यह पोस्टर सोशल मीडिया से हटा लिया लेकिन इसके स्क्रीन शॉट अभी भी सोशल मीडिया पर वायरल हैं। शिवसेना यूबीटी सांसद संजय राउत ने कहा कि बीजेपी को नफरत और हिन्दू-मुसलमान की राजनीति के अलावा और क्या आता है।Is BJP’s job to provoke people?
बीजेपी ने सुबह ही इस पोस्टर को सोशल मीडिया पर जारी किया था। बीजेपी छत्तीसगढ़ के इस पोस्ट पर सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने गुस्सा जाहिर किया। एक यूजर ने लिखा, “इससे ज़्यादा शर्मनाक और कुछ हो सकता है क्या? जहाँ कई लोगों की जान गई है, वहाँ भी अपनी राजनीतिक रोटी सेंकना कितना नीचता का काम है।” एक अन्य यूजर ने कहा, “आपदा को अवसर में बदलना, यह भाजपा से अच्छा कोई नहीं जानता। पहलगाम में हुई आतंकी घटना में मारे गए पर्यटक का भी घिबली आर्ट बना दी। शर्मनाक।” कई लोगों ने इस पोस्ट को “चुनावी कैंपेन” जैसा बताते हुए बीजेपी की मंशा पर सवाल उठाए।BJP first released a provocative poster
हमले के बाद सोशल मीडिया पर कई पोस्ट और वीडियो वायरल हुए, जिनमें इस घटना को धार्मिक आधार पर पेश किया गया। कुछ सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया गया कि आतंकियों ने कथित तौर पर हिंदुओं को निशाना बनाया और मुस्लिम पर्यटकों को छोड़ दिया। एक एक्स पोस्ट में लिखा गया, “आतंकवादियों ने जाति नहीं, धर्म पूछा। हिंदू बताया तो गोली मार दी।” हालांकि वास्तविकता है कि पहलगाम में आतंकवादियों ने एक मुस्लिम और एक ईसाई को भी मार डाला। मुस्लिम शख्स ने तो आतंकवादियों से हथियार छीनना चाहा था।Provocative poster
सोशल मीडिया पर एक और वीडियो वायरल हुआ, जिसमें पहलगाम के कुछ स्थानीय लोगों को हमले के बाद कथित तौर पर मुस्कुराते हुए दिखाया गया। इस वीडियो के साथ दावा किया गया कि “पहलगाम के मुसलमानों के चेहरों पर खुशी थी,” जिसने साम्प्रदायिक तनाव को और बढ़ाया। हालांकि, इस वीडियो की प्रमाणिकता की पुष्टि नहीं हुई है, और यह भ्रामक साबित हुआ। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे वीडियो और पोस्ट साम्प्रदायिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाने के लिए जानबूझकर फैलाए जा रहे हैं।
कुछ सोशल मीडिया पोस्ट में बीजेपी पर आरोप लगाया गया कि वह इस हमले को हिंदू-मुस्लिम मुद्दे से जोड़कर वोटों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रही है। एक एक्स पोस्ट में लिखा गया, “पहलगाम हमले के बाद बीजेपी और गृह मंत्री ने चैनलों को लाइन दी – सुरक्षा चूक पर चुप रहो, बस धर्म का राग अलापो।” हालांकि, बीजेपी ने इन आरोपों को खारिज किया और कहा कि उनकी प्राथमिकता आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई और पीड़ितों को न्याय दिलाना है।
उधर, शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने इस घटना के लिए बीजेपी की “नफरत की राजनीति” को जिम्मेदार ठहराया है। राउत ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को “असफल गृह मंत्री” करार देते हुए उनके इस्तीफे की मांग की। राउत ने पत्रकारों से बातचीत में आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल से लेकर जम्मू-कश्मीर तक फैल रही नफरत का परिणाम ही इस तरह की घटनाएं हैं। उन्होंने कहा, “इसके लिए कोई और नहीं, बल्कि बीजेपी की नीतियां जिम्मेदार हैं।” उन्होंने केंद्र सरकार पर हमले को और तेज करते हुए दावा किया कि सत्ताधारी गठबंधन के नेता 24 घंटे सरकारें बनाने और तोड़ने, विपक्षी नेताओं को जेल में डालने में व्यस्त हैं, जिसके कारण सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया जा रहा।
राउत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद पीएम मोदी ने दावा किया था कि इससे देश में आतंकवाद खत्म हो जाएगा, लेकिन आतंकी हमलों की संख्या बढ़ रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार संसद में आतंकी घटनाओं के बारे में “झूठ” बोल रही है और ऐसी घटनाओं की जानकारी को जनता तक पहुँचने से रोक रही है। राउत ने यह भी दावा किया कि बिहार चुनाव नजदीक होने के कारण सरकार अब “सर्जिकल स्ट्राइक” की बात कर राजनीति करेगी।