भारत के नवनिर्माण का अध्याय: नरेंद्र मोदी @75
संघर्ष की तपिश से गढ़ा लौहपुरुष: कर्मयोगी नरेंद्र मोदी
राष्ट्र-पुरुष नरेंद्र मोदी: समय के पार गूंजता एक युगनाम
प्रभात की पहली किरण जब धरती को स्पर्श करती है, तो वह न केवल उजाला बिखेरती है, बल्कि एक नवीन चेतना, अटल संकल्प और असीम ऊर्जा का संदेश भी लाती है।नरेंद्र दामोदरदास मोदी का व्यक्तित्व ऐसी ही प्रभात का प्रतीक है, साधारण मिट्टी से उभरकर असाधारणता की आकाशीय ऊँचाइयों को छूने वाला। उनका जीवन केवल एक व्यक्ति की गाथा नहीं, अपितु एक राष्ट्र की पुनर्जागृति का जीवंत दस्तावेज है, जो अपने गौरव को नवनिर्माण की शक्ति से पुनः स्थापित कर रहा है। 17 सितंबर 1950 को गुजरात के वडनगर जैसे छोटे से कस्बे में जन्मे इस बालक ने बचपन से ही जीवन की कठिनाइयों का डटकर सामना किया। पिता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करना, परिवार की आर्थिक जिम्मेदारियों को निभाना, और फिर भी ज्ञान की ज्योति को प्रज्वलित रखना—ये वे चिंगारियाँ थीं, जो आगे चलकर भारत के इतिहास को आलोकित करने वाली प्रचंड ज्वाला बनीं। नरेंद्र मोदी का जीवन साहस, समर्पण और संकल्प की त्रिवेणी से सजा एक प्रेरणादायी महाकाव्य है, जिसका प्रत्येक अध्याय भारत के नवनिर्माण की अमर कहानी कहता है।
नरेंद्र मोदी का प्रारंभिक जीवन अनुशासन, सेवा और राष्ट्रप्रेम की ठोस नींव पर खड़ा था। कम उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़कर उन्होंने सामाजिक कर्तव्य और राष्ट्रभक्ति की गहन शिक्षा प्राप्त की। लक्ष्मणराव इनामदार जैसे गुरु ने उन्हें संगठन की शक्ति और नेतृत्व की सूक्ष्म कला सिखाई। यह वह दौर था जब उन्होंने न केवल स्वयं को निखारा, बल्कि यह भी आत्मसात किया कि सच्चा नेतृत्व सत्ता के शिखर पर विराजमान होने में नहीं, बल्कि जनता के सुख-दुख को हृदय में समेटने में निहित है। यही दर्शन उनकी प्रत्येक नीति और निर्णय में आज भी प्रतिबिंबित होता है। चाहे गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में हो या भारत के प्रधानमंत्री के रूप में, उन्होंने सत्ता को सेवा का साधन बनाया, न कि व्यक्तिगत उपलब्धि का लक्ष्य। उनकी यह यात्रा एक ऐसी प्रेरणा है, जो हर भारतीय को अपने भीतर की असीम संभावनाओं को पहचानने और राष्ट्र के उत्थान के लिए समर्पित होने का आह्वान करती है।
नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में 2001 से 2014 तक एक ऐसी विकास यात्रा की शुरुआत की, जिसने भारत और विश्व को आश्चर्यचकित कर दिया। उनके नेतृत्व में गुजरात ने प्रगति की नई ऊँचाइयाँ छुईं, जहाँ औसतन 10% से अधिक की जीडीपी वृद्धि दर ने राष्ट्रीय औसत को पीछे छोड़ दिया। सौर ऊर्जा के क्षेत्र में गुजरात अग्रणी बना, और चारणका सोलर पार्क (गुजरात सोलर पार्क-1) जैसे नवाचारों ने नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में क्रांति ला दी। सरदार सरोवर परियोजना को गति प्रदान कर और सौराष्ट्र-कच्छ में नहरों का विशाल जाल बिछाकर जल संरक्षण में अभूतपूर्व कदम उठाए गए। ‘स्वामी विवेकानंद युवा रोजगार सप्ताह’ ने लाखों युवाओं के लिए रोजगार के सुनहरे द्वार खोले, जबकि 2003 में शुरू ‘कन्या केलवणी’ अभियान ने बालिका शिक्षा को सशक्त बनाया, जिससे स्कूल ड्रॉपआउट रेट 40% से घटकर 2% से भी कम हो गया। ये उपलब्धियाँ महज आँकड़े नहीं, बल्कि दृढ़ इच्छाशक्ति और दूरदर्शी नेतृत्व की जीवंत गाथा हैं, जिन्होंने गुजरात को विकास का एक प्रेरक प्रतीक बनाया।
2014 में भारत के प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने वैश्विक मंच पर भारत की गूंज को अभूतपूर्व बुलंदी दी। धारा 370 और 35ए को हटाने का उनका ऐतिहासिक निर्णय केवल कानूनी सुधार नहीं, बल्कि भारत की एकता और अखंडता को सशक्त करने का एक युगांतरकारी कदम था, जिसने जम्मू-कश्मीर को विकास की मुख्यधारा से जोड़ा और वहाँ के नागरिकों को समान अधिकारों का उपहार दिया। जीएसटी के माध्यम से उन्होंने भारत की आर्थिक व्यवस्था को एकसूत्र में बाँधा, जिसने व्यापार और उद्योगों को नई गति प्रदान की। डिजिटल इंडिया पहल ने भारत को तकनीकी क्रांति का अग्रदूत बनाया, और आज यूपीआई के 100 बिलियन से अधिक लेनदेन के साथ भारत डिजिटल भुगतान में विश्व का सिरमौर है। स्वच्छ भारत मिशन ने 60 करोड़ से अधिक लोगों को शौचालय की सुविधा दी, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि माना। कोविड-19 महामारी के दौरान ‘आत्मनिर्भर भारत’ का उनका आह्वान केवल नीति नहीं, बल्कि भारतीयों के आत्मसम्मान और स्वावलंबन को प्रज्वलित करने वाला एक प्रेरक मंत्र था। इस दौरान भारत ने स्वदेशी वैक्सीन विकसित की और 200 करोड़ से अधिक टीकाकरण खुराकें प्रदान कर विश्व में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। नरेंद्र मोदी का नेतृत्व एक ऐसी प्रेरणा है, जो भारत को नवनिर्माण और वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर कर रही है।
नरेंद्र मोदी का व्यक्तित्व सादगी, अध्यात्म और दृढ़ संकल्प का अनुपम संगम है। उनकी दिनचर्या—भात में प्रारंभ, योग और ध्यान की साधना, सात्विक भोजन और सादगीपूर्ण जीवन—यह दर्शाती है कि सत्ता के शिखर पर विराजमान होने के बावजूद वे एक सामान्य भारतीय के हृदय को जीते हैं। यह सादगी उनकी वैश्विक छवि को और अधिक प्रामाणिकता प्रदान करती है। जब वे संयुक्त राष्ट्र या जी20 जैसे मंचों पर बोलते हैं, तो उनकी वाणी में भारत की सांस्कृतिक गहराई और आधुनिक महत्वाकांक्षा का अद्भुत समन्वय गूंजता है। ‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम, जो 100 से अधिक एपिसोड्स के साथ लाखों भारतीयों के दिलों से सीधा संवाद करता है, उनकी जनसंपर्क की अप्रतिम क्षमता का प्रतीक है। यह पहल न केवल संवाद का सेतु है, बल्कि एक ऐसी प्रेरणा है, जो भारत के कोने-कोने को एक सूत्र में पिरोती है। उनके जीवन में आलोचनाएँ और विवाद भी आए, विशेष रूप से 2002 के गुजरात दंगों को लेकर। किंतु, उन्होंने प्रत्येक आलोचना को अवसर में बदला। उनकी पारदर्शी शैली और जनता से प्रत्यक्ष संवाद ने उन्हें न केवल भारत, बल्कि विश्व में एक विशिष्ट पहचान दी। नोटबंदी हो या सीएए, उनके निर्णय दीर्घकालिक दृष्टिकोण से प्रेरित रहे। आलोचकों ने इन्हें विवादास्पद करार दिया, पर समय ने सिद्ध किया कि ये कदम भारत को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए युगांतरकारी मील के पत्थर थे। उनकी दृढ़ता और दूरदर्शिता ने असंभव को संभव करने का साहस जगाया।
17 सितंबर 2025 को नरेंद्र मोदी की 75वीं जयंती एक प्लैटिनम जुबिली के रूप में नहीं, बल्कि एक ऐसे दृष्टिकोण के उत्सव के रूप में मनाई जा रही है, जिसने भारत को विश्व गुरु बनाने का स्वप्न साकार किया। उनके नेतृत्व में भारत ने मंगलयान और चंद्रयान जैसे अंतरिक्ष मिशनों से विश्व को चमत्कृत किया, और 2023 में चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर ऐतिहासिक लैंडिंग ने भारत का गौरव सातवें आसमान पर पहुँचाया। ‘मेक इन इंडिया’ पहल ने भारत को वैश्विक विनिर्माण का केंद्र बनाया, और 2024 तक भारत का निर्यात 750 बिलियन डॉलर के आँकड़े को पार कर चुका है। यह जयंती केवल एक व्यक्ति का उत्सव नहीं, बल्कि उस अटल संकल्प का सम्मान है, जिसने भारत को नवनिर्माण और वैश्विक नेतृत्व की राह पर अग्रसर किया।नरेंद्र मोदी का जीवन एक तपस्वी की साधना है, जिसने राष्ट्र को अपना परिवार मानकर हर क्षण को इसके उत्थान के लिए समर्पित किया। उनकी नीतियाँ, जैसे आयुष्मान भारत, जिसने 50 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य बीमा का सुरक्षा कवच प्रदान किया, और उज्ज्वला योजना, जिसने 10 करोड़ से अधिक परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन देकर उनकी रसोई को सम्मान और सुविधा दी, यह दर्शाती हैं कि उनका प्रत्येक कदम समाज के सबसे वंचित वर्ग को सशक्त करने की दिशा में उठाया गया है। उनकी दूरदर्शिता ने भारत को न केवल आर्थिक महाशक्ति के रूप में स्थापित किया, बल्कि सांस्कृतिक और नैतिक गौरव का प्रतीक भी बनाया।
उनकी 75वीं जयंती केवल एक तारीख नहीं, बल्कि उस अटल संकल्प का उत्सव है, जिसने वडनगर की संकरी गलियों से निकलकर एक साधारण बालक को विश्व मंच पर भारत की प्रबल आवाज बनाया। नरेंद्र मोदी का जीवन हमें सिखाता है कि यदि इरादे पवित्र हों और संकल्प अडिग हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं। उनकी यह यात्रा, जो एक छोटे से कस्बे से शुरू होकर विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के शीर्ष तक पहुँची, हर भारतीय के लिए एक प्रेरणादायी महाकाव्य है। इस प्लैटिनम जुबिली पर हम न केवल उनके जन्मदिन का उत्सव मनाते हैं, बल्कि उस अटूट विश्वास का सम्मान करते हैं, जो भारत को असीम संभावनाओं के उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जा रहा है। माननीय नरेंद्र दामोदरदास मोदी जी को उनकी 75वीं जयंती पर हार्दिक शुभकामनाएँ—एक कर्मयोगी, एक दृष्टा, और एक सच्चे राष्ट्रभक्त, जिन्होंने भारत को नवनिर्माण और वैश्विक नेतृत्व की राह पर अग्रसर किया।
प्रो. आरके जैन “अरिजीत