भारत में लगा सकती है हर तरह के आंदोलनों पर पाबंदी ,
नई दिल्ली/15 सितंबर/एजेंसी /अटल हिन्द ब्यूरो
नेपाल ,बांग्लादेश में नेताओं के बढ़ते भ्रष्टाचार और तानाशाही के खिलाफ युवाओं की बुलंद आवाज और विरोध के चलते हुए सत्ता परिवर्तन के डर से भारत की सबसे भ्र्ष्ट,सांप्रादियक ,और धर्म के नाम पर राजनीति करने वाली सत्ताधारी बीजेपी को अपना डर सताने लगा है कहीं नेपाल ,बंगलादेश ,और दुनिया के अन्य देशों में भ्र्ष्ट और तानाशाह सरकारों के खिलाफ युवाओं में बढ़ रहे आक्रोश को देखते हुए भारत के युवा भी विद्रोह ना कर बैठे और बीजेपी को सत्ता से निकाल बाहर ना कर दे इसलिए बीजेपी के गृहमंत्री अमित शाह में अतीत में हुए आंदोलनों की परते खोलनी शुरू कर दी जिसके चलते बीजेपी में डरका माहौल बना हुआ है इसलिए बीजेपी अब भारत में आंदोलनों पर पाबंदी लगा सकती है जिसके चलते भारत में अब जनता शायद ही सरकार के खिलाफ कोई आंदोलन कर पाए।(It can ban all kinds of movements in India,)
बीजेपी के गृहमंत्री अमित शाह की बातों पर ध्यान दिया जाये तो अतीत के आंदोलनों का अध्य्यन तो एक बहाना है असल में 2014 के बाद भारत में बीजेपी ने जो तानाशाही रवैया अपना कर भारत की जनता को प्रताड़ित किया उसे अब नेपाल के सत्ता परिवर्तन ने डरा दिया यही कारण है की बीजेपी अब भारत में पूर्णता तानाशाही करने पर उतारू है। अगर भारत के युवा और जनता अभी भी नहीं संभले तो भारत को उत्तर कोरिया बनने से कोई नहीं रोक पाएगा(BJP is playing a dangerous game, is India being turned into North Korea?)।केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (बीपीआरडी) को निर्देश दिया है कि वह आजादी के बाद देश में हुए सभी आंदोलनों का अध्ययन करें, खासतौर पर 1974 के बाद हुए विरोध-प्रदर्शनों का.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, शाह ने कहा है कि ब्यूरो इन आंदोलनों के ‘वित्तीय पहलुओं’, उनके नतीजों और ‘पर्दे के पीछे सक्रिय ताकतों’ की जांच करें और एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करें, ताकि भविष्य में ‘निहित स्वार्थों द्वारा कराए जाने वाले बड़े आंदोलनों’ को रोका जा सके.
रिपोर्ट के मुताबिक, शाह ने यह निर्देश जुलाई में इंटेलिजेंस ब्यूरो द्वारा आयोजित दो दिवसीय नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रैटेजीज कॉन्फ्रेंस-2025 में दिए थे.
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है, ‘बीपीआरडी को खास तौर पर यह जांचने के लिए कहा गया है कि इन आंदोलनों के पीछे कारण क्या थे, उनका पैटर्न कैसा रहा और उनके नतीजे क्या निकले. साथ ही यह भी देखा जाए कि इन विरोधों के पीछे कौन-कौन से और किस तरह के लोग सक्रिय थे. अध्ययन के आधार पर एक एसओपी बनाई जानी है, ताकि भविष्य में निहित स्वार्थों द्वारा कराए जाने वाले जन आंदोलनों को रोका जा सके.’
गृह मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाला बीपीआरडी इस दिशा में एक समिति बनाने की प्रक्रिया में है. यह समिति पुराने केस फाइलों के लिए राज्यों की पुलिस विभागों और उनकी अपराध जांच शाखाओं (सीआईडी) से तालमेल बिठाएगी.
रिपोर्ट के मुताबिक, शाह ने कहा है कि आंदोलनों के ‘वित्तीय पहलुओं’ की जांच के लिए बीपीआरडी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), वित्तीय खुफिया इकाई और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) जैसी वित्तीय जांच एजेंसियों को भी साथ लाना चाहिए