AtalHind
राजनीति

मसाला-एक्शन’ से भरपूर सपा की आम चुनाव वाली स्क्रिप्ट

मसाला-एक्शन’ से भरपूर सपा की आम चुनाव वाली स्क्रिप्ट

By-अजय कुमार,लखनऊ

समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश विधान सभा में अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव की स्क्रिप्ट तैयार कर रही है.आज 28 नंवबर को बजट सत्र की शुरूआत होते ही सपा प्रमुख अखिलेश यादव और उनके पीछे-पीछे उनके विधायक और पूरी पार्टी चुनावी मोड में नजर आये. अखिलेश ने जातीय जनगणना कराये जाने की मांग के सहारे अपने मंसूबे जाहिर कर दिये. सपा प्रमुख द्वारा आम चुनाव के लिए लिखी जा रही स्क्रिप्ट में जहां जातीय जनगणना को राजनैतिक हवा दी जा रही है,

 

 

वहीं अखिलेश यादव पूर्व प्रधानमंत्री और यूपी के मांडा के राजा स्वर्गीय वीपी सिंह को भी अपनी राजनीतिक का ‘हथियार’ बनाने में लगे हैं.जिसकी पृष्ठभूमि यूपी से कोसों दूर तमिलनाडु में लिखी जा रही है.जहां चेन्नै के एक कालेज में पूर्व पीएम की प्रतिमा के अनावरण के मौके पर हिन्दी के मुखर विरोधी तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन के साथ सपा प्रमुख अखिलेश यादव पूर्व पीएम वीपी सिंह की शान में कसीदे पढ़ते नजर और कहा कि प्रतिमा के अनावरण से 2024 के लोकसभा चुनाव मसे पहले पूरे देश में एक स्पष्ट संदेश गया है.

गौरतलब हो तमिलनाडु में सत्तर के दशक से ही ओबीसी आरक्षण पर सियासत होती रही है.वीपी सिंह की प्रतिमा के अनावरण के मौके पर अखिलेश यादव को भले लग रहा हो कि इससे पूरे देश में एक खास तरह का संदेश जायेगा,परंतु यहां यह नहीं भूलना चाहिए कि आज अखिलेश जिन पूर्व पीएम वीपी सिंह की याद में कसीदे पढ़ रहे है,उनसे मुलायम सिंह यादव का छत्तीस का आकड़ा था.नेताजी की नजरों में वीपी सिंह पिछड़ा समाज के खूनी दुश्मन थे.

इसकी वजह भी थी,जिसकी बुनियाद अस्सी के दशक में उस समय पड़ी थी,जब वीपी सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे.इसी दौरान वीपी सिंह के एक भाई पूर्व न्यायाधीश को डकैतों ने बरगढ़ के जंगल में घेर कर मार दिया था. इसके बाद वीपी ने यूपी को दस्यु मुक्त करने के लिए बड़े स्तर पर ‘दस्यु उन्मूलन अभियान’ छेड़ .इस अभियान के दौरान पुलिस ने दस्यु जनक सिंह,कांता सिंह जैसे डकैतों को मौत के घाट उतार दिया था.

कई डकैतों को जेल जाना पड़ा था.इस अभियान के दौरान कई नामी बदमाशों को भी जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया गया था.जिससे नेताजी मुलायम सिंह काफी नाराज थे.वह साफ कहते थे राजा मांडा दस्यु उन्मूलन अभियान के नाम पर पिछड़ों की हत्याएं करा रहे हैं. मुलायम सिंह यादव ने दस्यु उन्मूलन के नाम पर पिछड़े वर्ग के युवाओं को पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने को ऐसा मुद्दा बनाया कि कांग्रेस को बैकफुट पर आना पड़ा और अंततः वीपी सिंह को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा भी देना पड़ा. वीपी सिंह यूपी की नौकरशाही और कांग्रेस की प्राणघातक आंतरिक गुटबाजी से अज्ञात थे. मुलायम सिंह ने इन्हें अपने औजार के रूप में इस्तेमाल किया था.
वीपी सिंह और मुलायम के बीच कड़वाहट इतनी ज्यादा थी कि वीपी के कांग्रेस छोड़ने के बाद भी उनके मुलायम सिंह के साथ रिश्ते सामान्य नहीं हो पाए. जब अमिताभ बच्चन के त्यागपत्र से रिक्त हुई इलाहाबाद लोकसभा सीट से वीपी सिंह संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार बने तो मुलायम सिंह के नाकारात्मक रुख का एहसास उन्हें निरंतर होता रहता था.इसके पीछे मुलायम सिंह की बड़ी सियासी महत्वाकांक्षा भी काम कर रही थी,

 

मुलायम को लगता था कि मुख्यमंत्री पद के लिए उन्हें(मुलायम सिंह) वीपी सिंह खेमे के अधिकांश विधायकों का समर्थन मिला हुआ है.फिर भी वह सीएम नहीं बन पा रहे हैं. इसी तरह से अयोध्या-राम जन्म भूमि विवाद को सुलझाने के लिए वीपी सिंह द्वारा किए जा रहे प्रयासों को भी मुलायम सिंह संदेह की दृष्टि से देखते थे.

उन्हें हमेशा लगता रहता था कि पर्दे के पीछे वीपी सिंह उन्हें अपदस्थ करने के प्रयासों में लगे हैं. राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का यह भी परिणाम हुआ कि अपनी सियासत बचाने के लिए वीपी सिंह और मुलायम को समझौता भी करना पड़ा,फिर भी समझौते के लिए किए गए सार्थक और पारदर्शी प्रयासों में भी दोनों को षड्यंत्रों की बू आती थी.

 

शायद अब यह बातें समाजवादी पार्टी के मौजूदा नेतृत्व अखिलेश यादव के लिए कोई मायने नहीं रखती होंगी.इसी लिए वोट बैंक की सियासत में उन्हें मंडल की आग में पूरे देश को झुलसा देने वाले पूर्व पीएम वीपी सिंह ओबीसी के रहनुमा नजर आ रहे होंगे.
खैर,पहले बात उत्तर प्रदेश विधान सभा में समाजवादी पार्टी की रवैये की कि जाये तो बजट सत्र के दौरान अखिलेश ने मीडिया से रूबरू होते हुए साफ शब्दों में कहा जातीय जनगणना के बगैर सामाजिक न्याय नहीं हो सकता है. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी यह बड़ा मुद्दा रहेगा.

योगी सरकार नहीं चाहती कि हम जनता के सवाल उठाएं. यह सरकार विपक्ष का सामना नहीं करना चाहती है. इसीलिए शीतकालीन सत्र कम दिनों का रखा गया ताकि सदन में चर्चा न हो सके. सरकार विपक्ष के सवालों से बचना चाहती है.गौर करने वाली बात यह भी रही कि सपा विधायक सत्र के पहले दिन काले कपड़ों में विधानसभा पहुंचे थे.

 

अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि योगी सरकार विपक्ष के सभी सवालों का जवाब दे, जबकि इसी से लोकतंत्र मजबूत होगा. जनता की तमाम समस्याओं के लिए सरकार क्या कर रही है, इससे उन्हें पता चलेगा. अखिलेश ने आरोप लगाया कि यह सरकार युवाओं को रोजगार नहीं दे रही है.बिजली महंगी है. आवारा जानवर सड़क पर घूम रहे हैं. अभी तक धान खरीदने का कोई इंतजाम नहीं किया गया है.

बहरहाल, बात सपा विधायक सत्र के पहले ही दिन काले कपड़ों में विधानसभा पहुंचने की कि जाये तो दरअसल इस बार विधायक विधानसभा में मोबाइल फोन वगैरह साथ नहीं ले पा रहे हैं. इसके विरोध में समाजवादी पार्टी ने योगी सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाया है. सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए ये लोग काले कपड़े पहनकर विधानसभा पहुंच गए.विरोध का यह सिलसिला आगे भी थमने वाला नहीं नजर आता है.बस कुछ तरीका बदल सकता है,परंतु विरोध की आग तो सुलगती रही रहेगी.

 

जातीय जनगणना ऐसा मुद्दा है जिसे हथियाने की होड़ में तमाम क्षेत्रीय दलों के साथ-साथ कांग्रेस भी ताल ठोक रही है.इसी लिए बिहार से लेकर यूपी और तमिलनाडु सहित कई राज्यों में यह ‘आग’ बढ़ती जा रही है. लब्बोलुआब यह है कि भारतीय जनता पार्टी को आम चुनाव में छूल चटाने के लिए समाजवादी पार्टी कोई कोरकसर नहीं छोड़ना चाहती है. अखिलेश यादव वह सभी ऐसे ‘दांव’ अजमा रहे हैं जिससे सपा को लोकसभा चुनाव में फायदा मिल सकता है.कुल मिलाकर सपा द्वारा आम चुनाव के लिए तैयार की जा रही चुनावी स्क्रिप्ट में एक्शन और मसाला दोनों नजर आ रहे हैं.

Advertisement

Related posts

हरियाणा में 21 व पंजाब में 163 वर्तमान और पूर्व सांसद-विधायकों पर चल रहे है केस

admin

Kurukshetra Lok Sabha constituency-कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के इच्छुक 6 मई तक  नामांकन पत्र दाखिल करें

editor

राजपथ कर्तव्य पथ बन गया तो अब एक अधिकार पथ भी बन जाना चाहिए

atalhind

Leave a Comment

URL