AtalHind
क्राइम (crime)चण्डीगढ़ (Chandigarh)टॉप न्यूज़हरियाणा

Haryana News-हरियाणा बीजेपी सरकार के दस करोड़ी शराब घोटाले में राजनीतिज्ञ, Excise विभाग और पुलिस विभाग के अधिकारी संलिप्त-एसईटी

हरियाणा बीजेपी सरकार के दस करोड़ी शराब घोटाले में राजनीतिज्ञ, Excise विभाग और पुलिस विभाग के अधिकारी संलिप्त-एसईटी

 SIT की रिपोर्ट में कई बड़े खुलासे हुए हैं– प्रदीप रापड़िया

चंडीगढ़ (अटल हिन्द ब्यूरो )
दिल्ली के सौ करोड़ शराब घोटाले में दिल्ली सरकार तिहाड़ जेल में बंद कर दी लेकिन हरियाणा कर चर्चित दस हजार करोड़ के शराब घोटाले की जिम्मेवार हरियाणा की पूर्व मनोहर लाल खटटर वाली  बीजेपी सरकार  लोकसभा चुनाव मैदान में है। यानी ED और सीबीआई को अपनी नौकरी प्यारी है इसलिए बीजेपी सत्तारूढ़ राज्यों के घोटाले दिखाई नहीं दे रहे। लेकिन हरियाणा की बीजेपी सरकार में हुआ यह दस हजार का शराब घोटाला बेशक दबा दिया गया लेकिन घीमी सांसों के सहारे अब भी यह शराब घोटाला अपनी जाँच ED  और सीबीआई से करवाना चाहता है  ताकि दोषियों को सजा मिल सके। लेकिन पूर्व मनोहर सरकार ने  हरियाणा में लॉकडाउन के दौरान हुए शराब घोटाले पर सरकार ने SIT की रिपोर्ट पर कार्रवाई नही की तो हाई कोर्ट में SIT की रिपोर्ट रखकर अपील करेंगे। चंडीगढ़ हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रदीप रापड़िया ने कहा की दरअसल घोटाला कई राज्यों में फैला हुआ है और राजनितिक लोग और बड़े अधिकारी घोटाले के सूत्रधार हैं, इसलिए CBI और ED ही मामले की जांच करने में सक्षम है।सोनीपत के इस शराब कांड ने व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है और हालात को देखते हुए कहने में कोई दो-राय नहीं कि लॉकडाउन की आड़ में मनोहर लाल खटटर सरकार ने यहां अवैध शराब को लेकर बड़ा खेल खेला गया है जिसकी गहराई से छानबीन जरूरी है.हरियाणा में करीब 10 हजार करोड़ के शराब घोटाले को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के वकील प्रदीप रापड़िया ने सरकार को पत्र लिखा और  शराब घोटाले  की SIT की रिपोर्ट पर सीबीआई या ईडी से कार्रवाई की मांग की यही नहीं इस मामले में प्रदीप रापड़िया ने मुख्यमंत्री ,मुख्य सचिव औऱ एसीबी प्रमुख को पत्र लिखा है प्रदीप रापड़िया ने कहा सरकार की ही गठित SIT हरियाणा का 9519.98/- करोड़ रुपए का शराब घोटाला: 5 IPS अधिकारियों की रिपोर्ट में CBI और ED से जांच करवाने की सिफारिश  की थी जिसमे SIT में 5 आईपीएस अधिकारी शामिल थे प्रदीप रापड़िया ने कहा इस मामले में शराब घोटाले के मामले में हाई कोर्ट में याचिका पहले से विचारधीन है और इस मामले की सुनवाई 23 मई को होगी
Advertisement
—–
संलग्न रिपोर्ट पढ़ें।
SIT रिपोर्ट में मुख्य खुलासे:
Advertisement
1. SIT ने कहा जहरीली शराब पीने से हुई 50 मौतों के लिए शराब माफिया, एक्साइज विभाग और पुलिस विभाग की मिलीभगत जिम्मेदार
2. शराब घोटाले से हरियाणा सरकार को 9519.98/- रुपए का नुकसान।
3. गुजरात में 70-80% तक शराब की तस्करी हरियाणा से।
4. पिछले 3 सालों में हरियाणा से दिल्ली में शराब की तस्करी बढ़ी।
4. बिहार में 43.52% शराब की तस्करी हरियाणा से।
5. उत्तर प्रदेश में हरियाणा से शराब की तस्करी।
6. जांच में IAS/HCS अधिकारियों ने जांच में नहीं दिया सहयोग। SIT को गलत और भ्रामक जानकारी दी।
7. राजनीतिज्ञ, Excise विभाग और पुलिस विभाग के अधिकारी घोटाले में संलिप्त।
8. शराब के कारोबार पर अपराधियों का वर्चस्व।
9. पुलिस कभी भी अवैध शराब के मूल स्रोत तक नहीं पहुंच पाई।
10. लोगों की जान बचाने, राजस्व हानि को रोकने और राजनेताओं-अपराधियों-शराब व्यापारियों-भ्रष्ट अधिकारियों के NEXUS को तोड़ने के लिए CBI/ED से जांच जरूरी।
हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई 23 मई को
एसईटी की 15 से 20 किलो पन्नों की रिपोर्ट में दब गई बड़े घोटालेबाजों की करतूत
मुख्यमंत्री कार्यालय ने एसआइटी बनाने की बजाय एसईटी के गठन की अधिसूचना जारी कर पल्ला झाड़ने की कोशिश की थी । लेकिन अनिल विज अपने पसंदीदा अधिकारी अशोक खेमका से इस घोटाले की जांच कराना चाहते थे, मगर पूर्व  मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस काम के लिए टीसी गुप्ता को चुना। एसईटी में आबकारी एवं कराधान विभाग के एडीशनल  कमिश्नर विजय सिंह और एड़ीजीपी रैंक के आइपीएस अधिकारी सुभाष यादव को शामिल किया।
Advertisement
एसईटी प्रमुख टीसी गुप्ता का कुछ कहने से इंकार
एसईटी प्रमुख टीसी गुप्ता ने गृह सचिव जयवर्धन हरियाणा में लॉकडाउन के दौरान हुए शराब घोटाले की 80 दिन की जांच के बाद सरकार के हाथ कुछ खास नहीं लगा। सीनियर आईएएस अधिकारी टीसी गुप्ता के नेतृत्व वाले विशेष जांच दल (एसईटी) ने करीब दो हजार पन्नों की अपनी जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है गृह सचिव विजयवर्धन और मुख्यमंत्री कार्यालय को सौंपी गई इस जांच रिपोर्ट का वजन करीब 15 से 20 किलो है रिपोर्ट सौंपने के बाद इस बारे में कुछ भी बताने से इनकार कर दिया, लेकिन सूत्रों का कहना है कि रिपोर्ट भले ही काफी मोटी है, लेकिन इसमें कुछ भी ऐसा नहीं है, जिसमें शराब माफिया, राजनेताओं और पुलिस व आबकारी तथा कराधान विभाग के अधिकारियों के गठजोड़ को उजागर किया गया है। रिपोर्ट में सामान्य तौर पर छोटी-मोटी सिफारिशें की गई है और निचले स्तर के अधिकारियों पर कार्रवाई की सिफारिश की गई है, लेकिन बड़े मगरमच्छ और घोटाले के बड़े खिलाड़ियों व सफेदपोश नेताओं के साथ अधिकारियों को बचाने के संकेत मिल रहे हैं।
मनोहर सरकार में सबसे बड़ा शराब घोटाला
हरियाणा में सबसे पहले सोनीपत के खरखौदा में शराब घोटाला पकड़ा गया, जहां गोदाम से आबकारी एवं कराधान विभाग तथा पुलिस की रखी हुई शराब लॉकडाउन में ही बेच दी गई। धीरे-धीरे फतेहाबाद, सोनीपत, गुरुग्राम, अंबाला, फरीदाबाद, यमुनानगर, झज्जर, हिसार और सिरसा समेत विभिन्न जिलों में लॉकडाउन के दौरान अवैध रूप से शराब की बिक्री के मामले उजागर होने लगे।शराब ठेकेदारों का स्टाक नहीं मिला, जिसे भारी कीमतों पर दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में बेच दिया गया। इस काम में आबकारी व पुलिस विभाग के अधिकारियों की भूमिका काफी संदिग्ध रही। पुलिस ने शराब घोटाले के मास्टर माइंड भूपेंद्र सिंह को चंडीगढ़ से गिरफ्तार कर उससे काफी पूछताछ की। तब उसको राजनीतिक संरक्षण की बातें भी सामने आई।
कैसे चला लॉकडाउन में शराब घोटाले का घटनाक्रम
Advertisement
23 मार्च       हरियाणा में लॉकडाउन
25 मार्च       शराब ठेके बंद करने के आदेश
31 मार्च       शराब ठेकेदारों का कार्यकाल समाप्त
Advertisement
20 अप्रैल     खरखौदा में शराब घोटाला उजागर
1 मई         प्रदेश के कई जिलों के मालखाने से शराब गायब
11 मई        आईएएस टीसी गुप्ता की अध्यक्षता में एसईटी का गठन
Advertisement
30 मई        आईपीएस सुभाष यादव सेवानिवृत
31 मई        मोहम्मद अकील एसआईटी में शामिल
31 मई        एसईटी का कार्यकाल 31 जुलाई तक बढ़ाया
Advertisement
31 जुलाई     एसईटी प्रमुख ने एसीएस होम को अपनी रिपोर्ट सौंपी।
अभय चौटाला ने उठाया था सवाल
अभय ने सवाल उठाया था कि रिपोर्ट में उप-निरीक्षक पर एफआईआर दर्ज की गई, इसके अलावा 7 एईटीओ व 15 आबकारी निरीक्षक को चार्जशीट किया गया, लेकिन इस अवधि के दौरान परमिट स्वीकृत किए थे जबकि सभी डिस्टलरी और शराब की दुकानों को बंद कर दिया गया था। उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई, उसका भी कहीं जिक्र नहीं किया गया है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कैग की रिपोर्ट में साफ-साफ लिखा है कि प्रदेश के राजस्व को 106.76 करोड़ रुपये की चपत लगाई गई है।
Advertisement
Advertisement

Related posts

बीजेपी सरकार जन संसद में किस-किसको करेगी निलंबित !-पर्ल चौधरी

editor

73 करोड़ 09 लाख रुपए की ठगी

editor

आर्थिक तबाही से गुज़रती दुनिया के बीच मस्त मौला बना हुआ है भारत

atalhind

Leave a Comment

URL