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भाजपा के  रामराज्य में पटौदी अस्पताल फिर बना सुर्खियां, डॉ योगेंद्र का ट्रांसफर तो एसएमओ रूम पर नेम प्लेट का क्या काम

भाजपा के  रामराज्य में पटौदी अस्पताल फिर बना सुर्खियां,  डॉ योगेंद्र का ट्रांसफर तो एसएमओ रूम पर नेम प्लेट का क्या काम

…बड़ा सवाल, निवर्तमान एसएमओ डॉ योगेंद्र छुट्टी पर या ट्रांसफर !

यदि छुट्टी ली गई तो कहां आवेदन किया और कितने दिन की मंजूर हुई

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और डॉ योगेंद्र का ट्रांसफर तो एसएमओ रूम पर नेम प्लेट का क्या काम

बीते 3 सितंबर से लेकर  14 सितंबर तक कहां है डॉक्टर योगेंद्र सिंह

अटल हिन्द ब्यूरो /फतह सिंह उजाला
गुरुग्राम ।
 जिस विभाग का मुख्यालय जिला मुख्यालय पर मौजूद हो और विभाग का अधिकारी मुख्यालय से ही अपने अधीन जिला के सभी उप केंद्र पर नियंत्रण करता हो। तो ऐसे में जवाबदेही भी विभाग के जिला मुख्यालय पर बैठने वाले अधिकारी की होने से इनकार नहीं किया जा सकता। सितंबर में आरंभ होते ही पटौदी का नागरिक अस्पताल और यहां के निवर्तमान एसएमओ डॉ योगेंद्र की कथित मनमानी और कार्यप्रणाली को लेकर चर्चा का केंद्र ही नहीं , स्वास्थ्य विभाग के मंत्री अनिल विज और जिला प्रशासन तथा स्वास्थ्य विभाग के चंडीगढ़-पंचकूला में कार्यरत अधिकारियों के लिए भी कहीं ना कहीं अबूझ पहेली बनी महसूस की जा सकती हैं ।

सबसे बड़ा विवाद बीते 2 सितंबर को आरंभ हुआ और यह विवाद 3 सितंबर को पटौदी नागरिक अस्पताल में पहुंची दो प्रसूता महिलाओं की सिजेरियन डिलीवरी के समय अपने चरम पर पहुंच गया । अधिक कुछ फिर से दोहराने की जरूरत नहीं, जो कुछ भी घटना घटित हुई वह मीडिया के माध्यम से शासन-प्रशासन और यहां तक की विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों तथा मंत्री अनिल विज के संज्ञान तक पहुंचने की जानकारी भी उपलब्ध हो रही है । इसी दौरान 5 सितंबर को सीएमओ डॉ वीरेंद्र यादव सुबह 8 बजे के लगभग पटौदी नागरिक अस्पताल सरप्राइज विजिट के लिए पहुंचे, यहां उनसे पूछे जाने पर पत्रकारों से केवल मात्र इतना ही कहा गया कि एसएमओ डॉक्टर योगेंद्र अवकाश पर हैं और अस्पताल में ही मौजूद डॉक्टर गुरिंदर सिंह को उन्होंने आज 5 सितंबर से ही बतौर एस एम ओ की जिम्मेदारी मौखिक रूप से सौंपने के निर्देश भी दिए । इसके बाद वह सवालों का जवाब देने से बचते हुए, गाड़ी में बैठ रवाना हो गए।

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सवाल यह है कि 3 सितंबर से लेकर 14 सितंबर आ गई, आखिरकार निवर्तमान एसएमओ डॉ योगेंद्र सिंह आखिर है तो कहां है ? क्या इस विषय में सीएमओ डॉ वीरेंद्र यादव और उनके कार्यालय को कोई सूचना है या नहीं है ? या फिर डॉक्टरयोगेंद्र सिंह के द्वारा स्वास्थ्य विभाग के चंडीगढ़ या फिर पंचकूला संबंधित अधिकारियों से छुट्टी ली हुई है ? यदि पटौदी अस्पताल से रीलीव भी हो गए तो कब हुए ? यह सब ऐसे सवाल हैं , जोकि अपने आप में रहस्य बने हुए है । इस विषय में जानकारी प्राप्त करने के प्रयास किए गए, लेकिन कोई भी ठोस जानकारी स्वास्थ्य विभाग की तरफ से उपलब्ध नहीं हो सकी । सूत्रों के मुताबिक 3 सितंबर को जिस दिन सिजेरियन ऑपरेशन के दौरान ऑपरेशन थिएटर में पैरामेडिकल स्टाफ और आउटसोर्स कर्मचारियों के द्वारा ऑपरेशन में बाधा डाल हंगामा काटा गया, कथित रूप से उसी दिन से ही निवर्तमान एसएमओ डॉक्टर योगेंद्र के द्वारा छुट्टी के लिए अप्लाई किया जाना सूत्रों के द्वारा बताया गया । यदि यह बात सच है तो स्पष्ट होना चाहिए कि कितने दिन की छुट्टी उनके द्वारा ली गई है ? दूसरी ओर सीएमओ डॉ वीरेंद्र सिंह की कही गई बात पर ध्यान दें तो भी सबसे बड़ा सवाल यह है कि पटौदी नागरिक अस्पताल के एसएमओ के ऑफिस के बाहर निवर्तमान एसएमओ डॉक्टर योगेंद्र सिंह की नेम प्लेट आखिर क्यों लगी हुई है ? और यदि यह भी मान लिया जाए निवर्तमान एसएमओ डॉक्टर योगेंद्र सिंह का किसी अन्य जिला ट्रांसफर हो गया है, तब भी उनकी नेम प्लेट का पटौदी नागरिक अस्पताल में एसएमओ कक्ष के बाहर लगे रहना इतना उचित है ?

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि 13 सितंबर 1 दिन पहले ही पटौदी नागरिक अस्पताल में एसएमओ के पद के लिए डॉक्टर नीरू यादव के ट्रांसफर के आर्डर हो चुके हैं। कथित रूप से 3 सितंबर जिस दिन ऑपरेशन थिएटर में सिजेरियन ऑपरेशन के दौरान बवाल काटा गया, कथित रूप से उसी दिन ही डॉ योगेंद्र के द्वारा अपनी छुट्टी के लिए क्यों और किसे अप्लाई किया गया ? सूत्रों की माने तो डॉक्टर योगेंद्र सिंह के द्वारा स्वास्थ्य विभाग को ईमेल के माध्यम से अपनी छुट्टी के लिए अप्लाई किया गया, छुट्टी मंजूर हुई या नहीं हुई , इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है । इसी पूरे प्रकरण में स्वास्थ्य विभाग के ही सूत्रों की माने तो इतने संवेदनशील मामले में और वह भी जिस दिन घटना हुई एक जिम्मेदार अधिकारी के तौर पर निवर्तमान एसएमओ डॉ योगेंद्र सिंह की छुट्टी स्वीकार होना संभव ही नहीं है । उस समय जो हालात बने हुए थे , वह बेहद ही संवेदनशील-चुनौतीपूर्ण हालात बने हुए थे और पूरे हालात पर नियंत्रण रखना तथा अपने विभाग के और जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों को पूरे घटनाक्रम के विषय में अवगत कराना निवर्तमान एसएमओ डॉक्टर योगेंद्र सिंह की ही जिम्मेदारी भी थी। यहां इस बात का जिक्र करना भी बहुत जरूरी है जाट आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के बीच कथित रूप से पड़ोसी जिला के डीसी अचानक लीव अप्लाई कर छुट्टी पर चले गए थे ? इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच हुई तो यह बात निकलकर सामने आई कि डीसी महोदय की छुट्टी किसी भी स्तर पर मंजूर नहीं की गई थी और इसका स्पष्टीकरण सरकार के द्वारा मांगा गया था। पूरे प्रकरण को देखें तो ऐसा लगता है कि जो कुछ भी घटनाक्रम पटौदी नागरिक अस्पताल में घटा, इस पूरे मामले को कहीं ना कहीं कथित रूप से दबाने और जवाबदेय अधिकारियों को बचाने का भी प्रयास किया जा रहा है।

नर्सिंग स्टाफ का पलवल ट्रांसफर

पटौदी नागरिक अस्पताल में कार्यरत नर्सिंग स्टाफ रेण का ट्रांसफर पलवल जिले के ही सीएचसी सौंध में करने के 7 सितंबर को ही आदेश जारी हो चुके हैं । गौरतलब है कि 2 सितंबर को पैरामेडिकल स्टाफ तथा आउटसोर्स कर्मचारियों के द्वारा की गई हड़ताल के अगले दिन पटौदी नागरिक अस्पताल के ही ऑपरेशन थिएटर में सिजेरियन ऑपरेशन के दौरान हंगामा करने सहित बाधा डालने के गंभीर आरोप इसी स्टाफ नर्स रेनू के ऊपर लगे हैं, जो कि अपने साथ में अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों को लेकर सिजेरियन ऑपरेशन के दौरान ऑपरेशन थिएटर में घुसकर हंगामा कर बाधा डाली गई थी । मामले की गंभीरता को देखते हुए ट्रांसफर के आदेश जारी हो चुके हैं।

डॉ नीरू यादव पटौदी की एसएमओ
मौजूदा समय में सीएचसी फर्रूखनगर में बतौर एसएमओ अपनी सेवाएं दे रही डा नीरू यादव अब पटौदी नागरिक अस्पताल में बतौर एसएमओ एक बार फिर से जिम्मेदारी संभालेंगी। 13 सितंबर मंगलवार को ही डॉक्टर नीरू यादव के पटौदी नागरिक अस्पताल में आदेश के मुताबिक रिक्त हुए एस एम ओ के पद पर नियुक्ति के आर्डर जारी हो चुके हैं । गौरतलब है कि डॉक्टर नीरू यादव इससे पहले पटौदी नागरिक अस्पताल में बतौर एसएमओ अपनी सेवाएं दे चुकी हैं । कोरोना महामारी के समय डा नीरू यादव के द्वारा निभाई गई जिम्मेदारी और किए गए कार्य उस समय के हालात को देखते हुए जिला गुरुग्राम ही नहीं पूरे हरियाणा में स्वास्थ्य जगत के लिए एक मिसाल साबित हुए। जिला गुरुग्राम में मुख्यालय से बाहर सबसे पहला कोरोना कॉविड सेंटर 25 बेड का पटौदी के नागरिक अस्पताल में डॉ नीरू यादव एसएमओ की देखरेख में ही तैयार होकर रोगियों की सेवा के लिए उपलब्ध हो गया था।

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