गवर्नमेंट कॉलेज जटौली- हेली मंडी कि इस हालत की कौन जिम्मेदारी लेगा ?
बुधवार को प्रदेश और देश में आरंभ किया गया स्वच्छता पखवाड़ा
गवर्नमेंट कॉलेज के 60 प्रतिशत हिस्सा सीवरेज के पानी से लबालब
युवा छात्र वर्ग की शारीरिक और शैक्षणिक क्षमता पर पड़ रहा बुरा प्रभाव
बीते वर्ष से छात्र वर्ग के वोट से विजेता जनप्रतिनिधि कॉलेज में नहीं पहुंचा
युवा वर्ग न तो पढ़ेना न ही खेलेगा और सरकार का मोटा पैसा भी बचेगा
सीवरेज का तालाब बने गवर्नमेंट कॉलेज जटौली की जवाब देही किसकी
फतह सिंह उजाला
जाटोली । हरियाणा सरकार के खजाने में सबसे अधिक राजस्व देने वाले जिला गुरुग्राम के नवगठित पटौदी जाटोली मंडी परिषद सीमा क्षेत्र में मौजूद पांच दशक से अधिक पुराने गवर्नमेंट कॉलेज जटौली अपनी मौजूदा हालात के लिए निश्चित रूप से पूरे हरियाणा प्रदेश में अन्य सभी कॉलेज या शिक्षण संस्थान के लिए एक चुनौती और आदर्श कहा जा सकता है । इतना सा ही पढ़ कर किसी को हैरान परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है ? केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह और हरियाणा प्रदेश को दूसरा मुख्यमंत्री देने वाले पटौदी विधानसभा क्षेत्र के गवर्नमेंट कॉलेज जटौली की मौजूदा समय में बद से बदतर हालात के लिए अपनी जिम्मेदारी लेने वाला एक भी ईमानदार जनप्रतिनिधि शायद ही साहस दिखाने का साहस कर सके। गवर्नमेंट कॉलेज जटौली के प्रति वर्तमान में कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह का प्रेम किसी से छुपा हुआ नहीं है, फिर भी इस कॉलेज तक उनका ध्यान नहीं आना अपने आप में सवाल बना हुआ है।
बुधवार 17 सितंबर को प्रदेश और पूरे देश में स्वच्छता और सेवा पखवाड़ा को ऐतिहासिक बनाने के लिए शासन प्रशासन में एक प्रकार की होड़ सी दिखाई दी। लेकिन हैरानी इसी बात को लेकर है शिक्षण संस्थान जहां पर देश का भविष्य और होनहार खिलाड़ी जो कि विभिन्न अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तथा एशिया और ओलंपिक गेम्स में मेडल जीतने की देहात की मिट्टी को रोंदते रहते हैं। ग्रामीण अंचल के युवा छात्र और छात्रों के लिए कॉलेज केंपस पूरी तरह से नरक बन चुका है । गवर्नमेंट कॉलेज जटौली के बराबर में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया गया है। इस सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का अधिकांश मल मूत्र और विभिन्न प्रकार के केमिकल युक्त गंदा पानी 60 प्रतिशत गवर्नमेंट कॉलेज जटौली के परिसर में अपना कब्जा जमाए हुए हैं। इस हालत में सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है क्या छात्र पूरी तरह से एकाग्रचित होकर अपनी शिक्षा ग्रहण कर पा रहे होंगे? दूसरा महत्वपूर्ण विषय अपने आप को स्वस्थ रखने के लिए यहां आने वाले सैकड़ो छात्रों को उनके खेलकूद के मौलिक और मूल अधिकार से भी सिस्टम ने पूरी तरह से वंचित कर दिया है।

बुधवार को गवर्नमेंट कॉलेज जटौली का दौरा किए जाने पर यहां शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों ने एक के बाद एक परेशानियां झेलने के लिए अपने आप को मजबूर बताया बदबू के कारण सांस लेना दुश्वार है। विभिन्न प्रकार के कीट पतंगे मच्छर सांप घवेरा अन्य जहरीले जीव बीमारी गिफ्ट में दे रहे हैं । छात्रों ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा स्टूडेंट यहां फीस तो अपनी पढ़ाई और खेलकूद के लिए भुगतान कर रहे हैं । लेकिन विभिन्न प्रकार की दिमागी मानसिक और शारीरिक बीमारियां और परेशानियां सिस्टम की तरफ से निशुल्क उपलब्ध करवाई जा रही है। बड़ी हैरानी हुई यह बात जानकर कि पिछले दो-तीन वर्ष से गवर्नमेंट कॉलेज जटौली में वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिताएं तक नहीं हो पा रही है । इसका मुख्य कारण यही है कि कॉलेज के बराबर में बने हुए एसटीपी का सारा का सारा मल मूत्र युक्त गंदा पानी स्पोर्ट्स ग्राउंड पर कब्जा किए हुए हैं । यहां के जिस प्रकार के हालात बने हुए हैं, एसटीपी के मलमूत्र और केमिकल युक्त गंदे पानी के कारण हजारों की संख्या में मानव के स्वास्थ्य के लिए ऑक्सीजन उपलब्ध करवाने वाले पेड़ों की हत्या हो चुकी है। यही परिसर में ही मिले एक अभिभावक ने साफ-साफ कहा कि कम से कम नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल या फिर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण को भी एक बार यहां के हालात का जायजा लेना चाहिए।
इसी कड़ी में यह सवाल भी बना हुआ है कि जलापूर्ति एवं अभियांत्रिकी विभाग, लोक निर्माण विभाग, हरियाणा पुलिस हाउसिंग बोर्ड, क्षेत्र के विधायक, जनता के चुने हुए सांसद सहित अन्य संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों को आखिर इस जाटोली गवर्नमेंट कॉलेज में आने से क्या और किस प्रकार की एलर्जी है ? कथित रूप से करीब 60 वर्ष पुराने इस ऐतिहासिक गवर्नमेंट कॉलेज जटौली को धीरे-धीरे बंद करने की किसी योजना पर दूरगामी काम तो नहीं चल रहा ? अक्सर यह सवाल भी लोगों के बीच में चर्चा बन जाता है। क्योंकि लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर एक नया कॉलेज को एजुकेशन का खुल चुका है । यह कॉलेज भी उच्चतर शिक्षा विभाग की अपनी बिल्डिंग में कार्यरत ना होकर नगर परिषद की बिल्डिंग में ही चल रहा है । इस संदर्भ में बातचीत किया जाने पर कॉलेज की कार्यवाहक प्रिंसिपल ज्योत्सना गुलाटी ने बताया कि स्टूडेंट के द्वारा भी विभिन्न प्रकार की समस्याएं जानकारी में लाई जा रही है । सबसे गंभीर और चिंताजनक बात और समस्या यहां पूरी तरह से हेल्थ के लिए खतरनाक हो चुके एसटीपी के गंदे पानी से खतरनाक पर्यावरण की है। संबंधित विभाग, शासन -प्रशासन, जितना जल्द इस समस्या का समाधान करेंगे, उतना ही युवाओं को लाभ भी प्राप्त हो सकेगा।
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