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किरण चौधरी ने खोली कांग्रेस में चल रहे खेल की पोल

मोहरा बने अजय माकन की महामूर्खता पर

किरण चौधरी ने खोली कांग्रेस में चल रहे खेल की पोल
अपने फायदे के लिए कांग्रेस को इस्तेमाल करने वाले हुड्डा की तरफ किया इशारा

चंडीगढ़(ATALHIND) राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अजय माकन की हार के बाद मचे बवाल ने कांग्रेस के अंदर चल रहे “गंदे” खेल की परतों को उजड़ने का काम किया है।
अजय माकन ने वोट रद्द होने का ठीकरा किरण चौधरी पर फोड़कर बड़ा धमाका किया था लेकिन किरण चौधरी ने अजय माकन के दावों को तार-तार करते हुए न सिर्फ करारा जवाब दिया बल्कि कांग्रेस में चल रहे बेहद आत्मघाती षड्यंत्रों की तरफ भी खुलकर इशारा कर दिया।
किरण चौधरी ने हरियाणा से राज्यसभा चुनाव में हार को लेकर पार्टी महासचिव अजय माकन की एक टिप्पणी को ‘महामूर्खता’ करार देते हुए कहा कि माकन एक गहरे षड्यंत्र का ‘मोहरा’ हैं तथा उनकी हार की पटकथा उसी दिन लिख दी गई थी जिस दिन कार्तिकेय शर्मा निर्दलीय उम्मीदवार बने थे.
साथ ही चौधरी ने यह भी कहा कि जब दीपेंद्र हुड्डा राज्यसभा चुनाव लड़े तो भारतीय जनता पार्टी ने उम्मीदवार खड़ा क्यों नहीं किया और कोई ‘स्याही कांड’ क्यों नहीं हुआ?
माकन के बयान पर किरण चौधरी ने कहा, ‘ माकन ने महामूर्खता वाली और बचकानी बात कही है. ये स्पष्ट नजर आता है कि उन्हें सिखाकर भेजा जा रहा है. उन्हे यही समझ नहीं आ रहा, जिन्होंने उनके खिलाफ साजिश की है, उन्हीं का वह मुखपत्र बन रहे हैं. वरिष्ठ नेता होने के नाते अच्छा होता कि वह ये बात पार्टी के मंच पर उठाते.’
उन्होंने कहा, ‘हरियाणा में यह कोई पहली बार नहीं, बल्कि तीसरी बार षड्यंत्र हुआ है. ये षड्यंत्र कौन करता है, यह सबको मालूम है. यह सिलसिला 2004 चला आ रहा है. 2004 के राज्यसभा चुनाव में एक वोट रद्द करवाकर मुझे हरवाया गया था. मेरी याचिका आज भी हाई कोर्ट में लंबित है. आज तक मुझे पता नहीं चला कि वो किसका वोट था जो रद्द हुआ. इसी तरह 2016 में ‘स्याही कांड’ हुआ. पेन ही बदल दिया गया. कांग्रेस उम्मीदवार आरके आनंद हर जगह फिर लिए, अभी तक पता नहीं चला कि यह सब किसने किया था.’
उन्होंने सवाल किया, ‘जब तक याचिका के जरिये अदालत आदेश नहीं करे तब तक आप वोट का पता नहीं कर सकते. अगर ऐसा होता तो हमने अब तक 2004 और 2016 के वोट का पता लगा लिया होता. फिर इन लोगों को कैसे पता चला?’
बात यह है कि किरण चौधरी ने 2000 4 से लेकर अभी तक कांग्रेश के अंदर चल रहे बड़े खेल के “किरदारों” पर सवालिया निशान लगाकर बिल्कुल सही काम किया है।
किरण चौधरी का इशारा साफ तौर पर पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा की तरफ है। भूपेंद्र हुड्डा मुख्यमंत्री बनने से पहले ही उस खेल का हिस्सा बन गए थे जिसमें कांग्रेस को कमजोर करना और खुद को बड़ी सियासी ताकत बनने की रोडमेपिंग थी।
किरण चौधरी के दावों में पूरा दम नजर आता है क्योंकि दीपेंद्र हुड्डा के चुनाव के समय भाजपा द्वारा प्रत्याशी खड़ा नहीं करना और बाकी सभी अवसरों पर कांग्रेस प्रत्याशियों की हार यह साबित करती है कि पिछले 18 साल के दौरान भूपेंद्र हुड्डा ने कांग्रेस के साथ न सिर्फ विश्वासघात करने का काम किया बल्कि कांग्रेस के दूसरे नेताओं को पार्टी छोड़ने मजबूर कर दिया।
कांग्रेस में बने रहे नेताओं को भी भूपेंद्र हुड्डा ने हाशिए पर डालने का काम किया। राव इंदरजीत सिंह, बीरेंद्र सिंह, अशोक तंवर, रणदीप सुरजेवाला, कुमारी शैलजा और कुलदीप बिश्नोई के बाद अब किरण चौधरी वह सातवीं बड़ी नेता है जिनके सियासी कैरियर खात्मे के लिए चक्रव्यूह रचा गया है।

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