हरियाणा में बीजेपी की शानदार शिक्षा नीति का शानदार परिणाम 12वीं का रिजल्ट जीरो 18 स्कूलों में एक भी स्टूडेंट नहीं हुआ पास
चंडीगढ़ /अटल हिन्द ब्यूरो
भारतीय जनता पार्टी की शिक्षा नीति के चलते हरियाणा एक बार फिर सुर्ख़ियों में है हरियाणा शिक्षा बोर्ड भिवानी या फिर यूँ कह लीजिये जिस तरह भारत में बीजेपी शिक्षा नीति लागू कर रही है के चलते हरियाणा बोर्ड के 18 स्कूलों में कोई भी स्टूडेंट 12वीं पास नहीं कर सका.
हरियाणा बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन (HBSE) ने 12वीं का रिजल्ट डिक्लेयर किया था। जहां टोटल पासिंग प्रतिशत तो 85 फीसदी से अधिक दर्ज किया गया मगर जिले वाइज अलग-अलग स्कूलों के रिजल्ट ने गंभीर चिंता पैदा कर दी। आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि हरियाणा बोर्ड के 18 स्कूलों में कोई भी स्टूडेंट 12वीं पास नहीं कर सका। इन 18 स्कूलों का पासिंग प्रतिशत जीरो फीसदी रहा है।
गौरतलब है की हरियाणा में बीजेपी के मनोहर लाल खट्टर जब से हरियाणा के वजीर बने थे तब से ही वे हरियाणा की जनता शिक्षा प्राप्त ना कर पाए इसलिए शिक्षा विरोधी मनोहर लाल खट्टर ने लगभग 300 सरकारी स्कूलों पर ताला लगा दिया था ताकि हरियाणा की जनता अनपढ़ रहे और मनोहर लाल खट्टर जैसे लोग जनता की अनपढ़ता का ग=फायदा उठा सके और लूट खसोट का खेल खेल सकें जैसा की कोरोना काल में मनोहर लाल खट्टर और दुष्यंत चौटाला ने मिल कर खेला था।
यही नहीं शिक्षा विरोधी बीजेपी के मनोहर लाल खट्टर ने हरियाणा में 832 सरकारी स्कूलों को मर्ज करने का फैसला लिया था मनोहर लाल ने इसकी फाइल तलब कर ली थी । विपक्ष ने इस फैसले को लागू किए जाने से पहले ही इसे मुद्दा बनाना शुरु कर दिया था।जिसके चलते बीजेपी के हरियाणा में सबसे नाकाम और अलोकप्रिय मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने लोकसभा और फिर विधानसभा चुनाव चुवान को देखते हुए की ऐसे में सरकार के फैसले से कोई सियासी नुकसान न हो फ़ाइल जेब में संभाल कर रख ली थी।
नूंह में ऐसे सबसे अधिक स्कूल
दरअसल, हरियाणा बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन (HBSE) ने प्रदेश के 100 खराब प्रदर्शन करने वाले स्कूलों की लिस्ट जारी की है, जहां इसी लिस्ट में कुल 18 स्कूल ऐसे हैं, जहां का पासिंग प्रतिशत जीरो फीसदी रहा है यानी इन 18 स्कूलों से एक भी स्टूडेंट पास नहीं हुआ। जीरो फीसदी पासिंग प्रतिशत वाले सबसे अधिक स्कूल नूंह के हैं। यहां 6 स्कूलों में पासिंग प्रतिशत जीरो फीसदी रहा है। वहीं ऐसे 4 स्कूल फरीदाबाद में और गुड़गांव, हिसार, झज्जर, करनाल, पलवल, रोहतक, सोनीपत और यमुनानगर के एक-एक स्कूल में रिजल्ट जीरो परसेंट रहा है।
बताया जाता है कि, इन 18 स्कूलों से कुल 59 छात्र 12वीं बोर्ड परीक्षा में शामिल हुए थे, जिनमें से यमुनानगर के एक स्कूल से सबसे ज्यादा 23 स्टूडेंट शामिल थे और सभी के सभी फेल हो गए। इसके अलावा हरियाणा के 22 जिलों के 82 स्कूल ऐसे भी हैं, जिनका पास प्रतिशत 35% से भी कम रहा है। ये 35 प्रतिशत पासिंग अंक का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाए। सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले स्कूलों की लिस्ट में नूंह सबसे ऊपर है। 100 सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले स्कूलों में से 62 स्कूल इसी जिले के हैं, जबकि फरीदाबाद में 12 स्कूल ऐसे हैं, जिनका प्रदर्शन खराब रहा है।
बताया जाता है कि, कई स्कूल तो ऐसे भी रहे हैं, जहां से सिर्फ एक-एक छात्र ने 12वीं बोर्ड की परीक्षा दी। इसके अलावा यह बताया गया कि कई छात्रों की परीक्षा में भागीदारी अंतिम समय पर तय हुई थी। वहीं कई छात्र नियमित रूप से कक्षाओं में नहीं आ रहे थे, जिससे परिणाम प्रभावित हुआ। फिलहाल, इन स्कूलों के रिजल्ट को देख हरियाणा की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। हरियाणा के शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है। अब ये सभी स्कूल जांच के दायरे में आ गए हैं। इन सभी स्कूलों की रिपोर्ट शिक्षा निदेशालय और शिक्षा मंत्रालय को भेजी गई है ताकि सुधारात्मक कदम उठाए जा सकें।
हरियाणा के स्कूलों का रिजल्ट इतना खराब क्यों?
हरियाणा के स्कूलों का रिजल्ट इतना खराब कैसे आया? इसे लेकर तमाम कारण सामने आ रहे हैं। माना जा रहा है कि, शिक्षकों की कमी और छात्रों की अनियमित उपस्थिति भी इसके पीछे बड़ी वजह है। कई छात्र नियमित रूप से कक्षा में नहीं आते, जिससे उनकी पढ़ाई पर गहरा असर पड़ता है। वहीं कई स्कूलों में अंग्रेजी और मैथ जैसे महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षक नहीं होते हैं। इससे छात्रों को विषय को समझने में परेशानी होती है।
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