कैथल /18 मई /अटल हिन्द/राजकुमार अग्रवाल
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) द्वारा जिले के ऐतिहासिक गांव पोलड़ को खाली करने के आदेश दिए जाने के बाद गांव में तनाव का माहौल बन गया है। विभाग ने गांव के 206 घरों को नोटिस भेजकर जल्द से जल्द मकान खाली करने के निर्देश दिए हैं। इसी टेंशन में गांव की एक आंगनवाड़ी वर्कर महिला की मौत हो गई।
मृतक महिला की पहचान गुरमीत कौर (65) पत्नी महेंद्र सिंह के रूप में हुई है। परिजनों के अनुसार शनिवार को जब उन्हें मकान खाली करने का नोटिस मिला, तब से वे मानसिक रूप से काफी परेशान थीं। आज सुबह करीब 3 बजे उन्हें हार्ट अटैक आया और उन्होंने दम तोड़ दिया। गांव में इस घटना को लेकर शोक और रोष का माहौल है।
गांव के घर खाली करने का नोटिस :
ग्रामीणों ने बताया कि पुरातत्व विभाग उनके गांव में अपनी जमीन होने का दावा कर रहा है. उनके गांव में 78 एकड़ जमीन पुरातत्व विभाग की बताई जा रही है, जिस पर पूरा गांव बसा हुआ है. हालांकि अभी तक केवल कुछ परिवार को ही नोटिस मिला है, लेकिन पूरे गांव को ही खाली करने के आदेश दिए गए हैं. पुरातत्व विभाग के द्वारा 2005 से उनके पास नोटिस भेजे जा रहे हैं कि ये पुरातत्व विभाग की जमीन है, लेकिन मामला कोर्ट में विचाराधीन था. वहीं जानकारी के अनुसार 2018 से ग्रामीणों ने जो कोर्ट में केस किया था, वहां पर वकील ने उनका पक्ष नहीं रखा और अब पुरातत्व विभाग उन्हें घर खाली करने का नोटिस भेज रहा है.KAITHAL POLAD VILLAGE VACATE NOTICE

ग्रामीणों का विरोध, कहा– पूर्वजों की जमीन नहीं छोड़ेंगे
ग्रामीणों का कहना है कि वे भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय यहां बसे थे और तभी से गांव में रह रहे हैं। अब तक गांव में पुरातत्व विभाग द्वारा तीन बार खुदाई की जा चुकी है, पर कोई ऐतिहासिक अवशेष नहीं मिले। इसके बावजूद उन्हें बेघर करने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिसे वे अन्यायपूर्ण मानते हैं।KAITHAL POLAD VILLAGE VACATE NOTICE
गांव में करीब 2000 वोट
ग्रामीणों का कहना है कि जब गांव की अपनी खुद की जमीन नहीं है, लेकिन उसके बावजूद भी यहां पर गांव बसा हुआ है जहां पर 2000 के करीब वोट है और करीब 8000 आबादी यहां पर रह रही है. 78 एकड़ पुरातत्व की जमीन यहां पर बताई जाती है.

गांव में है पंचायत, सरकार दे रही सुविधा :
ग्रामीणों का ये भी कहना है कि जब ये जमीन उनकी खुद की नहीं है और पुरातत्व विभाग की है लेकिन फिर भी उनके गांव को ग्राम पंचायत का दर्जा मिला हुआ है. हालांकि पिछले प्लान में गांव पंचायत को छोड़कर सीवन नगर पालिका में शामिल किया गया था जहां पर अब सीवन नगर पालिका के अंदर ये गांव आता है. इतना ही नहीं गांव वालों के वोटर कार्ड, आधार कार्ड, फैमिली आईडी और सभी प्रकार के दस्तावेज बने हुए हैं और गांव में सरकारी स्कूल भी है. ऐसे में सवाल ये भी उठता है कि जब ये गांव पुरातत्व विभाग की जमीन पर बसा हुआ है तो यहां पर ग्राम पंचायत कैसे बनी और इन लोगों को सरकार की ओर से कैसे सारी सुविधाएं मिल रही है.

ग्रामीण लगा रहे गुहार :
ग्रामीणों को नोटिस मिलने के बाद अब गांव वाले इकट्ठा होकर अपने स्तर पर प्रशासनिक लोगों से बातचीत कर रहे हैं तो वहीं राजनीतिक लोगों से मुलाकात कर रहे हैं ताकि उनको अपना गांव ना छोड़ना पड़े. इस बारे में जब हमने कैथल जिला उपायुक्त से बात की तो उन्होंने कैमरे पर आने से मना कर दिया. लेकिन उन्होंने कहा कि हमारे पास किसी भी प्रकार का कोई नोटिस या आदेश नहीं आया है और ना ही हमारे पास ग्रामीण आए हैं. इसलिए इस पर कुछ नहीं कहना चाहती. लेकिन ग्रामीण आज कुरुक्षेत्र के सांसद नवीन जिंदल से मिलने के लिए गए हुए हैं. अब देखने वाली बात ये होगी कि ग्रामीण यहां से गांव छोड़कर जाते हैं या फिर सरकार उनके लिए कोई समाधान निकाल लेती है.
धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व से जुड़ा है गांव पोलड़
गांव पोलड़ को धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इतिहासकारों के अनुसार, यह स्थल रावण के दादा पुलस्त्यमुनि की तपोस्थली रहा है। मान्यता है कि पुलस्त्यमुनि ने यहां सरस्वती नदी के किनारे स्थित इक्षुपति तीर्थ पर तपस्या की थी। ग्रामीण यह भी मानते हैं कि रावण का बचपन इसी स्थान पर बीता। गांव में स्थापित सरस्वती मंदिर और सैकड़ों वर्ष पुराना शिवलिंग इसकी ऐतिहासिकता को दर्शाते हैं। मंदिर की देखरेख कर रहे नागा साधु महंत देवीदास के अनुसार, मंदिर का निर्माण महंत राघवदास ने एक स्वप्न के आधार पर करवाया था। अब यह क्षेत्र सीवन नगरपालिका के अधीन है।
पुरातत्व विभाग करवा चुका है खुदाई, कोर्ट में दायर की थी याचिका
गांव पोलड़ की जमीन को ऐतिहासिक घोषित करते हुए पुरातत्व विभाग ने पूर्व में कई बार खुदाई करवाई है। विभाग का कहना है कि यहां अति प्राचीन व दुर्लभ वस्तुएं मिल सकती हैं, इसलिए संरक्षित किया जाना जरूरी है। कोर्ट में विभाग की याचिका के बाद ही गांव को खाली करने की प्रक्रिया शुरू की गई है।

पोलड़ थेह एक प्राचीन नगर था
इतिहासकार प्रो. बीबी भारद्वाज बताते हैं कि यह स्थान एक प्राचीन नगर था जो प्राकृतिक आपदा के कारण उजड़ गया। बाद में इसे पुनः बसाया गया और इसका नाम ‘थेह पोलड़’ पड़ा। “थेह” का अर्थ होता है वह स्थान जहां कभी कोई बस्ती रही हो।
ग्रामीणों का संघर्ष जारी, न्यायालय जाने की चेतावनी
गांववासियों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांग नहीं मानी गई, तो वे कानूनी और लोकतांत्रिक तरीके से संघर्ष करेंगे। प्रदर्शन, धरना और न्यायालय तक जाने की योजना बनाई जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार यदि वाकई संरक्षण चाहती है, तो पहले उन्हें बसाने की योजना पेश करें।
Add A Comment