आंखों सुनी और कानों देखी,
… “खतरे में जान” और राज्य सहित केंद्र “सरकार अनजान” !
न ही पुलिस ने लिया संज्ञान और न सरकार का ध्यान
जान को खतरा बयान बन गया राजनीतिक घमासान
बहन-बेटी मंत्री को कहे अपशब्द,महिला आयोग निशब्द
बयानबाजी नहीं अब तो लगानी चाहिए कानून की चाबी

अटल हिन्द ब्यूरो /फतह सिंह उजाला
‘कोई मुझे गोली भी मार सकता है’, ‘केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह (Union Minister Rao Indrajit Singh)ने जताई हत्या की आशंका’, ‘कोई मुझे गोली भी मार सकता है-राव इंद्रजीत सिंह । पॉलिटिक्स में पिटे राजनीतिक विरोधी के समर्थकों से खतरा , समर्थकों के आका का नाम भी खुल कर लिया गया । आन रिकॉर्ड कहा गया, एहतियात बरतना पड़ेगा गोली भी मरवा सकते हैं मुझको। यह दावा और यह बात ऑन रिकॉर्ड कैमरे पर बोलते हुए रिकॉर्ड भी हो चुकी। लेकिन हैरानी इस बात की है कि केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन के कान पर जो भी नहीं रेंगती हुई दिखाई दे रही। यह बेहद गंभीर और संवेदनशील मामला किसी विरोधी पॉलीटिकल पार्टी के मेंबर का नहीं है। इसका संबंध सीधे और सीधे पार्टी में पावरफुल और केंद्र सरकार के नेता ( मंत्री) का है । जान को खतरा है, गोली भी मरवा सकते हैं । जैसे शीर्षक और सनसनीखेज हेडिंग के साथ मीडिया में खबरें भी चली । लेकिन संज्ञान लेते हुए कानून की कलम नहीं चली ? इस पूरे प्रकरण और पृष्ठभूमि में प्रस्तावित जलघर और अस्पताल है । बताया जाता है जब बड़ी परियोजनाएं हो तो निश्चित रूप से अपने ही चुने हुए बड़े नेताओं के माध्यम से परियोजनाएं साकार होती है। कई बार ऐसे कार्य और बड़ी परियोजनाओं के लिए स्थानीय लोगों और स्थानीय सरकार का भी सहयोग, समर्थन, कभी मौखिक, कभी विश्वास या फिर कभी लिखित रूप से भी होता है।

किन्ही कारण से यह मामला इतना तूल पकड़ गया कि विरोध, धरना, प्रदर्शन और महापंचायत तक पहुंच गया। इसके बाद नेता जी को अपने ही तरीके और अपने ही अंदाज में विरोधियों को जवाब देने के लिए आगे आना पड़ा। नेताजी ने साफ-साफ अपने चुनावी प्रतिद्वंदी का नाम लेते हुए, उनके समर्थकों के द्वारा अपने घर में जबरन घुसने का दावा किया। इसके साथ ही यह भी कहा मंच से बदतमीज लोगों के द्वारा उनकी पुत्री( मंत्री ) के लिए अनर्गल बातें कही गई । नेता जी ने यहां तक कहा विरोध प्रदर्शन और धरना सहित महापंचायत में केवल और केवल चुनाव में हारे हुए राजनीतिक प्रतिद्वंदी ही या विरोधी ही शामिल है । ऐसे लोगों के द्वारा ही पुत्री के विषय में अशोभनीय बातें कही गई । नेताजी ने अपनी बात में दो टूक शब्दों में साफ-साफ कहा ऐसे बदतमीज लोगों और विरोधियों के खिलाफ मानहानि का दावा सहित मुकदमा दर्ज होना चाहिए।
मानहानि का दावा अथवा मुकदमा और आपराधिक मामला अवश्य दर्ज होना चाहिए । लेकिन इसके विपरीत मामला बयान बाजी के ट्रैक पर तेजी से दौड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। पिछले तीन-चार दिनों से केवल और केवल नेताजी की पुत्री का हवाला देते हुए उसके विषय में कह गए शब्दों का हवाला देते हुए, बोलने वालों का सामाजिक बहिष्कार या उनके खिलाफ आंदोलन की बातें दोहराई जा रही हैं । सवाल यह है कि सार्वजनिक मंच से नेताजी की पुत्री या फिर किसी महिला के लिए अभद्र , अशोभनीय अथवा अनुचित कुछ भी कहा गया है । तो फिर महिला आयोग को इस पूरे मामले में संज्ञान ले लेना चाहिए। महिला आयोग के द्वारा संज्ञान नहीं लिया जाने पर भी नेताजी के समर्थकों को महिला आयोग से भी सवाल पूछने चाहिए ? नेताजी की पुत्री के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई या फिर नोटिस जारी क्यों नहीं किए गए ?

इसी कड़ी में और भी बेहद विचारणीय चिंताजनक विषय यह भी है कि जब नेताजी के द्वारा अपने राजनीतिक विरोधियों का नाम लेकर गोली मारे जाने तक की आशंका जाहिर की जा चुकी । तो फिर केंद्र की और राज्य की सरकार या फिर राज्य की पुलिस और केंद्र की पुलिस ने संज्ञान क्यों नहीं लिया ? गोली मारे जाने का बयान और कही गई बात विभिन्न मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से सार्वजनिक है। नेताजी निश्चित रूप से बेहद बड़े कद के नेता हैं। उनके प्रदेश ही नहीं पूरे देश में समर्थक भी मौजूद हैं। केंद्र सरकार में तीसरी बार नेताजी की सीधी हिस्सेदारी भी है। जानकार लोगों का कहना है और मानना है कि अनेक ऐसे उदाहरण मौजूद है । जब किसी बहुत बड़े नेता केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के द्वारा अपनी जान को खतरा बताया गया, तो बिना देरी किए प्राथमिकता के साथ सुरक्षा बड़ा दी गई। इतना ही नहीं नेताजी की प्रोफाइल और उनके सरकार में नेतृत्व को देखते हुए संज्ञान लेकर अपराधिक मामले भी दर्ज किए जाते रहे हैं । या फिर नेताजी अथवा उनके किसी भी निजी कर्मचारी सहायक और समर्थक के माध्यम से भी आपराधिक मामला दर्ज करवा दिया जाता है।

उपरोक्त मामले में अस्पताल के मुद्दे को लेकर 13 जुलाई को महापंचायत प्रस्तावित है । पिछले तीन-चार दिनों के घटनाक्रम को देखें तो यही महसूस होता है कि आंदोलन से अधिक बयान बाजी का दौर चलाया जाएगा। लोगों में चर्चा और जिज्ञासा यह भी है कि क्या यह आंदोलन महिला आयोग के खिलाफ भी चलेगा ? जो की अभी तक नेताजी की पुत्री और मंत्री के खिलाफ बोले गए अपशब्दो पर निशब्द है? क्या आंदोलन प्रदेश और केंद्र सरकार के खिलाफ भी होगा ? जिसके द्वारा अभी तक नेताजी की सुरक्षा भी नहीं बढ़ाई गई। इसी कड़ी में पुलिस प्रशासन भी शामिल है। जिसने स्वतः संज्ञान लेकर अभी तक कोई मामला दर्ज नहीं किया ? नेताजी के द्वारा साफ-साफ अपने राजनीतिक विरोधियों का नाम लेकर अपनी जान को खतरा बताया क्या चुका है। जानकारी लोगों का मानना है बयान बाजी से केवल और केवल सामाजिक तनाव और लोगों के बीच में दूरियां ही बढ़ेगी । इसका एकमात्र विकल्प यही है किसी न किसी को आगे आकर आपराधिक मामला दर्ज करवाना चाहिए। पुलिस जांच करेगी और जो कोई भी दोषी होगा, उसे सजा मिलेगी। इसके साथ ही बदतमीज और बेलगाम जुबान बोलने वाले लोगों को भी सबक मिलेगा।
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