कैथल प्रशासन द्वारा निर्धारित खाद्य पदार्थों के दामों में कुछ नहीं सब गोल-माल है
कैथल, 4 मई (अटल हिन्द ब्यूरो ) उपायुक्त सुजान सिंह ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान आवश्यक खाद्य पदार्थों के सामान की खरीद में काला बाजारी रोकने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के तहत रेट निर्धारित किए गए हैं। यदि कोई दुकानदार उपभोक्ता से अधिक रेट पर सामान बेचता है, तो इस संबंध में नजदीकी सहायक खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले अधिकारी (94666-48549), निरीक्षक खाद्य एवं पूर्ति कैथल (98964-98583), निरीक्षक खाद्य एवं पूर्ति कलायत (94165-48549), राजौंद के लिए (94664-19300), चीका के लिए (83077-64502), सीवन के लिए (70152-90434), पूंडरी के लिए (98132-14205), ढांड के लिए (70151-01417) को निर्धारित मूल्य से अधिक लेने बारे तथा वजन कम या ज्यादा देने बारे विधिक मापतोल विभाग में रामफल सिंह(94164-07829) को अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।
पिछले साल मार्च में जब यही हालात बने थे तब एक सवाल खड़ा हुआ था की दालों के भाव में प्रति किलो 10 रूपये का फर्क क्यों ,और कैसे क्या कैथल प्रशासन ने इन सब खाद्य पदार्थों की गुणवता जांची है ,क्या कैथल प्रशासन में जो खाद्य पदार्थों के दाम निर्धारित किये है उन सभी समान की अलग -अलग दाम और क्वालिटी के हिसाब से पैकिंग करवाई है। यही सवाल इस बार भी खड़ा हो रहा है की आखिर खाद्य पदार्थों के दामों में प्रति किलो 5 रूपये से लेकर 10 रूपये का फर्क कैसे आया किस अफसर ने इन खाद्य पदार्थों दामों को निर्धारित किया। प्रशासन को चाहिए की वह जिस तरह गेहूं और चावल की किस्म बता कर दाम प्रकाशित करवा रहा है उसी तरह अन्य सभी बाकी बचे खाद्य पदार्थों के भाव भी किस्म बता कर निर्धारित करे। लेकिन कैथल जिला प्रशासन ऐसा नहीं कर पाएगा ना बीते वर्ष कर पाया उस दौरान जनता को खुल कर लूटा गया प्रशासन की रेट लिस्ट दिखा कर और इस बार भी प्रशासन नाकाम ही रहेगा क्योंकि सूत्रों के अनुसार जो अफसर इन खाद्य पदार्थों के दाम व्यापारियों से मिल कर निर्धारित करते है उनका पहले से ही अपना दसवां-दिसोंद तय होता है। बात यहाँ तक होती तो कोई बात नहीं थी जिस अफसर ने इन खाद्य पदार्थों के दाम निर्धारित किये है उसने खुद कभी बज़ार से ये समानं नहीं खरीदा और ना ही संबधित अफसर कोई खाद्य पदार्थों पर नजर रखने वाला वैज्ञानिक है।
इसलिए जिला प्रशासन द्वारा खाद्य पदार्थों के निर्धारित दामों पर सवाल उठना लाजमी है। क्योंकि यहाँ सब गोलमाल है। प्रशासन को आम जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए सभी खाद्य पदार्थों के दाम एकाध रूपये के फर्क पर निर्धरित करने चाहिए वरना सबसे कम दाम वाली चीज भी ऊपरी दाम पर बिकेगी और आमजन को मजबूरी में लेनी पड़ेगी क्यों जिस अफसर ने व्यापारियों से मिल कर यह रेट प्लान तैयार किया है आखिर इसके पीछे उसका भी तो कोई मुख्य मकसद रहा होगा। दूसरी तरफ कालाबजारी रही तो जब प्रशासन ने पहले ही खुली छूट दे दी हो तो कालाबजारी कहाँ से हुई क्योंकि कैथल प्रशासन ने पहले ही 5 से 10 रूपये प्रति किलो कमाने की इजाजत जो दे दी है।
कैथल डीसी ने जारी प्रेस विञप्ति में बताया की परमल के चावल 30 रुपये किलोग्राम, बीपीडब्ल्यु 343 की गेहू 21 रुपये किलोग्राम, खुला गेहूं का आटा 23 से 26 रुपये किलोग्राम, गरम दाल 69 से 73 रुपये किलो, साबुत मूंग 92 से 105 रुपये, उड़द 501/44 ब्रांड 90 से 100 रुपये, किंग ब्रांड की अरहर दाल 100 से 105 रुपये, खजाना ब्रांड की साबुत मसुर दाल 80 से 89 रुपये, एम 30 चीनी 37 से 39 रुपये, गिनी ब्रांड ग्राउंडनट ऑयल 185 रुपये, सोया ऑयल 155 रुपये तथा पलाम ऑयल 133 से 135 रुपये, शहनाई ब्रांड सरसों का तेल 155 रुपये, फोरच्यून सूरजमुखी का तेल 175 से 180 रुपये, गगन वनस्पति 135 से 140 रुपये, खुली चाय 295 से 320 रुपये, आलू लोकल 15 से 16 रुपये, प्याज लोकल 17 से 20 रुपये, देसी टमाटर 16 से 17 रुपये, टाटा नमक 20 रुपये, देसी गुड़ 39 रुपये, वीटा मिल्क 50 रुपये लीटर/ किलोग्राम निर्धारित किया है।
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