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सरकार को ख़ुद को बेगुनाह साबित करना चाहिए-प्रेस संगठन

पत्रकारों की जासूसी की तीन प्रेस संगठनों ने निंदा कर कहा- सरकार को ख़ुद को बेगुनाह साबित करना चाहिए

नई दिल्लीः वेब पोर्टल द वायर और कई अन्य वैश्विक मीडिया संगठनों की पेगासस प्रोजेक्ट के तहत की गई पड़ताल में कई मंत्रियों, पत्रकारों, अधिकारियों और अन्य के फोन की सर्विलांस और संभावित हैकिंग की कई पत्रकार संगठनों ने निंदा की है.

Three press organizations condemned the espionage of journalists and said – the government should prove itself innocent

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने इसे अप्रत्याशित बताते हुए कहा है कि पहली बार देश में लोकतंत्र के चारों स्तंभों की जासूसी की गई है.

प्रेस क्लब ने कहा, ‘यह इस देश के इतिहास में पहली बार हो रहा है कि हमारे लोकतकंत्र के सभी स्तंभों न्यायपालिका, सांसदों, मीडिया, अधिकारियों और मंत्रियों की जासूसी की गई. यह अप्रत्याशित है और प्रेस क्लब स्पष्ट रूप से इसकी निंदा करता है. यह जासूसी गुप्त उद्देश्यों के लिए की गई है.’

द वायर ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि लीक किया हुआ डेटा दिखाता है कि भारत में इस संभावित हैकिंग के निशाने पर बड़े मीडिया संस्थानों के पत्रकार, जैसे हिंदुस्तान टाइम्स के संपादक शिशिर गुप्ता सहित समेत इंडिया टुडे, नेटवर्क 18, द हिंदू और इंडियन एक्सप्रेस के कई नाम शामिल हैं.

इनमें द वायर के दो संस्थापक संपादकों समेत तीन पत्रकारों, दो नियमित लेखकों के नाम हैं. इनमें से एक रोहिणी सिंह हैं, जिन्हें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह के कारोबार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी कारोबारी निखिल मर्चेंट को लेकर रिपोर्ट्स लिखने के बाद और प्रभावशाली केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के बिजनेसमैन अजय पिरामल के साथ हुए सौदों की पड़ताल के दौरान निशाने पर लिया गया था.

प्रेस क्लब ने केंद्र सरकार से इस खुलासे पर स्पष्टीकरण की मांग करते हुए कहा, ‘परेशान करने वाली बात यह है कि एक विदेशी एजेंसी, जिसका देश के राष्ट्रीय हित से कोई लेना-देना नहीं है, अपने नागरिकों की जासूसी करने में लगी हुई है. यह अविश्वास पैदा करता है और अराजकता को आमंत्रित करेगा. सरकार को इस मोर्चे पर खुद को साबित करना चाहिए और स्पष्टीकरण देना चाहिए. #पेगासस प्रोजेक्ट.’

मुंबई प्रेस क्लब ने इस मामले में स्वतंत्र जांच की मांग की है.

मुंबई प्रेस क्लब ने ट्वीट कर कहा, ‘हम 40 भारतीय पत्रकारों और अन्य के फोन की जासूसी करने की कड़ी निंदा करते हैं. हालांकि, सरकार ने जासूसी के इन आरोपों की न ही पुष्टि की है और न ही इससे इनकार किया है. पेगासस स्पायवेयर सिर्फ सरकारों को ही बेचा जाता है. इस पूरे मामले की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए.’

 

पेगासस प्रोजेक्ट द्वारा केंद्र सरकार को भेजे गए सवालों पर पूरी प्रतिक्रिया यहां मिल सकती है.

मुंबई प्रेस क्लब के ट्वीट के बाद से पूर्व केंद्रीय आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इन रिपोर्टों को जारी करने के समय पर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा है कि इनके जरिये सरकारी कामकाज में विशेष रूप से देरी करने के प्रयास किए जा रहे हैं.

वहीं, इंडियन वीमेन प्रेस कॉर्प्स ने कहा, ‘किसी भी परिस्थिति में मीडिया की स्वतंत्रता से समझौता नहीं किया जाना चाहिए. इस तथ्य की निंदा की गई कि भारत में पत्रकारों को सिर्फ अपना काम करने के लिए इस तरह की निगरानी से गुजरना पड़ता है.’

https://twitter.com/iwpcdelhi/status/1417073806531731460?s=20

बयान में कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत जैसे लोकतंत्र में पत्रकारों को अपने काम के दौरान कुछ इस तरह के हालातों से गुजरना पड़ता है. स्वतंत्र पत्रकारिता संविधान के अधिकारों को बनाए रखने के लिए सबसे महत्वपूर्ण साधनों में से एक है.’

इस बात का खुलासा होने के बाद कि इस लीक हुई सूची में 40 पत्रकारों के नाम हैं, जिनकी या तो जासूसी हुई है या उन्हें संभावित टारगेट के तौर पर लक्षित किया या है. द वायर ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, तृणमूल कांग्रेस के नेता अभिषेक बनर्जी जैसे विपक्षी नेता और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के नाम भी इस सूची में शामिल थे.

इस निगरानी सूची में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर सैयद अब्दुल रहमान गिलानी, सीजेआई रंजन गोगाई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला, मोदी सरकार के दो मंत्री अश्विनी वैष्णव और प्रह्लाद पटेल, पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा, चुनाव सुधार पर काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के संस्थापक जगदीप छोकर आदि भी शामिल हैं.

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बीच में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के फोन को इजरायल स्थित एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पायवेयर के जरिये हैक किया गया था. एमनेस्टी इंटरनेशनल के सिक्योरिटी लैब द्वारा कराए डिजिटल फॉरेंसिक्स से ये खुलासा हुआ है.

Government must prove its innocence – Press Organization

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द वायर और 16 मीडिया सहयोगियों की एक पड़ताल के मुताबिक, इजराइल की एक सर्विलांस तकनीक कंपनी के कई सरकारों के क्लाइंट्स की दिलचस्पी वाले ऐसे लोगों के हजारों टेलीफोन नंबरों की लीक हुई एक सूची में 300 सत्यापित भारतीय नंबर हैं, जिन्हें मंत्रियों, विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, न्यायपालिका से जुड़े लोगों, कारोबारियों, सरकारी अधिकारियों, अधिकार कार्यकर्ताओं आदि द्वारा इस्तेमाल किया जाता रहा है.

इस प्रोजेक्ट के हिस्से के तौर पर इन नंबरों से जुड़े फोन के एक छोटे-से वर्ग पर की गई फॉरेंसिक जांच दिखाती है कि पेगासस स्पायवेयर के जरिये 37 फोन को निशाना बनाया गया था, जिनमें से 10 भारतीय हैं. फोन का तकनीकी विश्लेषण किए बिना निर्णायक रूप से यह बताना संभव नहीं है कि इस पर सिर्फ हमले का प्रयास हुआ या सफल तौर पर इससे छेड़छाड़ की गई है.

दुनियाभर में पेगासस की बिक्री करने वाली इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप का कहना है कि इसके ग्राहक ‘प्रमाणित सरकारों’ तक सीमित हैं. हालांकि, यह अपने ग्राहकों की पहचान करने से इनकार करता है, लेकिन इसका इस हफ्ते दोहराया गया यह दावा, इस संभावना को खारिज कर देता है कि भारत में या विदेश में कोई निजी संस्था उस सेंधमारी के लिए जिम्मेदार हो सकती है, जिसकी पुष्टि द वायर और इसके सहयोगियों ने की है.

https://thewire.in/tag/pegasus-project

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