सुरक्षा बलों की बढ़ोतरी से लोगों में भय का माहौल, कहा- ऐसा लगता है जंग होने वाली है
BY जहांगीर अली
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नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर में एक बार फिर सुरक्षाबलों की संख्या में बढ़ोतरी की जा रही है. प्रशासन ने श्रीनगर में सैनिकों के रहने का इंतजाम करने के लिए विवाह हॉल को भी बैरकों में तब्दील करना शुरू कर दिया है.
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कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षा बलों को तैनात करने का निर्णय केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पिछले महीने श्रीनगर में सुरक्षा समीक्षा बैठक करने के बाद आया है. शाह के राष्ट्रीय राजधानी लौटने के बाद सूत्रों ने कहा कि जम्मू कश्मीर प्रशासन को सेना के लिए स्थानों की पहचान करने के लिए कहा गया था.
जम्मू कश्मीर प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि केंद्र सरकार कश्मीर के कुछ हिस्सों में केंद्रीय रिजर्व अर्धसैनिक बलों (सीआरपीएफ) की अतिरिक्त 50 कंपनियों और सीमा सुरक्षा बलों (बीएसएफ) की 25 कंपनियों की तैनात कर रही है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर अर्धसैनिक बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है.
सूत्रों ने कहा कि सीआरपीएफ और बीएसएफ से ली गईं 30 कंपनियां अकेले श्रीनगर शहर में तैनात की जा रही हैं, जो पिछले महीने प्रवासी श्रमिकों और अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों की हत्याओं से प्रभावित हुआ था. इन मृतकों में एक सिख स्कूल की महिला प्रिंसिपल और एक प्रमुख कश्मीरी पंडित केमिस्ट शामिल थे.
एक सूत्र ने कहा, ‘(श्रीनगर) जिला प्रशासन ने शत्रशाही, बर्बर शाह, नौशेरा, इलाही बाग, माल बाग और अन्य इलाकों में विवाह हॉल चिह्नित किए हैं, जिन्हें जल्द ही सैनिकों द्वारा उनके कब्जे में ले लिया जाएगा.’
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हालांकि इस तरह सुरक्षाबलों की बढ़ोतरी के चलते कश्मीर के निवासियों में भय की स्थिति उत्पन्न हुई है.
श्रीनगर के चानपोरा इलाके के निवासी आदिल अहमद, जो कि मोबाइल रिपेयरिंग का काम करते हैं, ने कहा, ‘ऐसा लगता है जैसे हम जेल में रह रहे हैं. लाल चौक में मेरे कार्यालय के रास्ते में, जो मेरे घर से मुश्किल से तीन किलोमीटर की दूरी पर है, मुझे तीन चौकियों को पार करना पड़ता है.’
वहीं शत्राशाही निवासी शाबिर अहमद ने डरते हुए हुए कहा, ‘यह अच्छा है कि सीआरपीएफ की तैनाती की जा रही है. हम इस फैसले के खिलाफ नहीं हैं.’
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हालांकि इसके साथ उन्होंने यह भी कहा, ‘लेकिन हमारा क्षेत्र भीड़भाड़ वाला इलाका है, जिसकी वजह से उन्हें (सीआरपीएफ के जवानों को) काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. उनके वाहन घंटों जाम में फंसे रहते हैं, जिससे उन्हें परेशानी होती है. हम केवल शांति से रहना चाहते हैं और हम चाहते हैं कि वे भी शांति से रहें.’
शत्राशाही श्रीनगर की सबसे पुरानी कॉलोनियों में से एक है, जो सिविल सचिवालय, पुलिस नियंत्रण कक्ष, कश्मीर के शीर्ष पुलिस अधिकारी विजय कुमार के कार्यालय, जिला पुलिस लाइन और अग्निशमन सेवा मुख्यालय जैसे अत्यधिक सुरक्षित प्रतिष्ठानों के आसपास स्थित है.
शत्राशाही मोहल्ला कमेटी के अध्यक्ष अहमद का मानना है कि मैरिज हॉल सीआरपीएफ को सौंपने से पहले प्रशासन को निवासियों से सलाह-मशविरा करना चाहिए था. उन्होंने कहा, ‘हमने अधिकारियों से बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने हमें बताया कि मामला उनके हाथ में नहीं है.’
नाम न लिखने की शर्त पर एक अन्य निवासी ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि शादी या शोक सभा जैसे मौके पर स्थानीय लोग इन हॉल का इस्तेमाल करते थे, लेकिन अब वे कहां जाएंगे.
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उन्होंने कहा, ‘श्रीनगर एक बड़ा शहर है. कई खाली भवन हैं. प्रशासन पहले से ही भीड़भाड़ वाले इलाके को जाम करने के बजाय इन जवानों को वहां क्यों नहीं शिफ्ट कर रहा है.’
द वायर से बात करने वाले श्रीनगर में प्रभावित इलाकों के कम से कम एक दर्जन निवासियों ने शिकायत की कि उनके बीच सैनिकों की मौजूदगी ने उन्हें और अधिक असुरक्षित महसूस कराया है.
उन्होंने कहा, ‘पूरा इलाका घेराबंदी में जी रहा है. यह ऐसा है जैसे कोई युद्ध छिड़ने वाला हो. भगवान न करे कुछ गलत हो जाए, नहीं तो हमें ही इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. ’
कश्मीर में सीआरपीएफ के प्रवक्ता अभिराम पंकज ने द वायर को बताया कि अर्धसैनिक बलों को राज्य सरकार के अनुरोध पर कानून-व्यवस्था की ड्यूटी के लिए जहां भी जरूरत होती है, वहां तैनात किया जाता है.
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उन्होंने कहा, ‘पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ परामर्श के बाद स्थानीय प्रशासन द्वारा आवास और अन्य व्यवस्था प्रदान की जाती है. इसमें हमारी कोई भूमिका नहीं है.’
कश्मीर के संभागीय आयुक्त पीके पोल, जिनका कार्यालय घाटी में अर्धसैनिक बलों की तैनाती की सुविधा प्रदान कर रहा है, से टिप्पणी के लिए संपर्क नहीं किया जा सका है.
श्रीनगर के मेयर जुनैद अजीम मट्टू ने कहा कि श्रीनगर नगर निगम, जो शहर के मैरिज हॉल का प्रबंधन करता है, के साथ इस मामले को लेकर परामर्श नहीं किया गया था.
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उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘ये सामुदायिक हॉल सामाजिक और सामुदायिक कार्यों के अभिन्न अंग हैं और ये उन क्षेत्रों में बनाए गए हैं, जहां लोगों के पास बड़े घर और लॉन नहीं हैं. इसलिए, ये एक सामुदायिक आवश्यकता हैं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘मैं इस बात का पुरजोर समर्थन करता हूं कि श्रीनगर में तैनात सीआरपीएफ कर्मियों के पास अच्छी आवास सुविधाएं होनी चाहिए, लेकिन मैं दृढ़ता से आग्रह करता हूं कि सामुदायिक हॉल सामुदायिक सेवाओं के लिए छोड़ दिए जाएं. यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है और इसे इस तरह विकृत नहीं किया जाना चाहिए.’
मालूम हो कि पिछले महीने जम्मू कश्मीर प्रशासन ने पहलगाम स्वास्थ्य रिसॉर्ट सहित दक्षिण कश्मीर के जिलों में 500 से अधिक कनाल भूमि को स्थानांतरित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी, ताकि इन क्षेत्रों में सीआरपीएफ के लिए अपने सैनिकों के लिए स्थायी आवास बनाने का मार्ग प्रशस्त हो सके. पूर्ववर्ती राज्य से अनुच्छेद धारा 370 को हटाए जाने के बाद यह इस तरह का पहला स्थानांतरण है.
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि अर्धसैनिक बल दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग, शोपियां और पुलवामा जिलों में 10 और ठिकानों का निर्माण करेगा, जिसके लिए 524 कनाल 11 मरला राज्य भूमि सीआरपीएफ को हस्तांतरित कर दी गई है.
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बयान में कहा गया है, ‘2021 के लिए अधिसूचित स्टांप शुल्क दरों के अनुसार भुगतान पर भूमि हस्तांतरित की जाएगी. यह सीआरपीएफ कर्मचारियों और उनके परिवारों को सुरक्षित और उचित आवास प्रदान करेगी.’
कश्मीर में आतंकवाद से संबंधित हिंसा में बीते कुछ दिनों में तेजी देखी गई है. आतंकवादियों ने सुरक्षा बलों पर सीधे हमले शुरू करने के बजाय अपनी रणनीति को स्पष्ट रूप से बदलाव करते हुए ‘आसान निशानों’ (Soft Targets) पर हमला कर रहे हैं.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस साल सत्ताधारी भाजपा के राजनीतिक कार्यकर्ताओं सहित तीन दर्जन से अधिक नागरिकों की आतंकवादियों ने हत्या की है. सिर्फ अक्टूबर महीने में कम से कम 12 नागरिक मारे गए हैं, जो अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से यह सबसे घातक महीना है.
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