कैथल जिले में पढ़ाई-लिखाई छोडक़र बाल मजदूरी की भट्ठी में सुलग रहा बचपन,
खाने के लिए सर्दी के मौसम में गंदे तालाबों से मछली पकड़ रहे ईट भट्ठा मजदूरों के बच्चे,
श्रम विभाग अनजान, नहीं मिल रही सुविधा
कलायत(अटल हिन्द ब्यूरो )
सरकार द्वारा बच्चों के उत्थान के लिए लाखों दावे किए जा रहे हो लेकिन धरातल पर तस्वीर कुछ और ही नजर आ रही है। नगर कलायत के आसपास मौजूद ईट भट्टों पर रहने वाले मजदूरों के मासूम बच्चे आज भी पेट भरने के लिए कडक़ड़ाती ठंड में मछली पकडऩे को मजबूर हैं। लेकिन श्रम विभाग अधिकारियों को शायद यह सब दिखाई नहीं पड़ रहा है। कोई हादसा ने हो इसे देखते हुए गंदे तालाब से छोटे-छोटे मछली पकड़ रहे बच्चों को मौजूद लोगों द्वारा बाहर निकाल कर उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया। बच्चों ने बताया कि उनके माता-पिता ईट भट्टों पर काम करते हैं। ईट भट्टे पर उनके पढऩे लिखने की कोई सुविधा नहीं है। वे अक्सर गांव के आसपास मौजूद तालाबों से मछली पकड़ कर उन्हें बेच देते हैं। मछलियों से मिलने वाली राशि से खाने पीने की चीजें लेकर आते हैं। वहीं कुछ बच्चे ऐसे भी हैं जो बस स्टैंड के आसपास भीख मांगते देखे जा सकते हैं।
सरकार कर रही करोड़ों खर्च फिर भी नहीं मिल रही बच्चों को सुविधा:
समाजसेवी रामपाल, सोनू व ईश्वर सिंह ने बताया कि ईंट भट्टों पर काम करने वाले मजदूरों के बच्चों के लिए प्रतिवर्ष सरकार द्वारा बड़ा बजट खर्च किया जा रहा है लेकिन अधिकारियों की उदासीनता के चलते हजारों बच्चे शिक्षा से वंचित हो बाल मजदूरी करने को विवश हैं। भट्ठा मालिकों और ठेकेदारों को भी प्रोत्साहित किया जाता है कि वे ईंट बनाने में बच्चों को शामिल न करें और अपने भट्ठों को बाल श्रम मुक्त कार्यस्थल घोषित करें। राज्य सरकार के सख्त दिशानिर्देश के बावजूद, केवल कुछ भट्ठा मालिक इसका पालन करते हैं। बहुत से और प्रवासी बच्चे हैं। जो सरकार की तरफ से मिलने वाली सुविधाओं से वंचित है ।
नियमानुसार की जाएगी कार्रवाई: एसडीएम
एसडीएम सुशील कुमार ने बताया कि बच्चों के गंदे तालाब से मछली पकडऩे का मामला उनके अभी संज्ञान में आया है। पूरे मामले की जांच कर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
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