यह है चुनाव के रंग
अपने ही अंदाज में चुनाव प्रचार और लुटा दिया मातृत्व का दुलार
यही बच्चे हैं हमारा आपका समाज का और देश का भविष्य
अपने बच्चों को सभी अभिभावक यथा समर्थ शिक्षित बनाएं
आज के समय में शिक्षा ही है सबसे हथियार, तैयार होगा भविष्य
फतह सिंह उजाला
देहात से ग्राउंड रिपोर्ट। राज कपूर की एक फिल्म का प्रख्यात गाना है । नन्हे मुन्ने बच्चे तेरी मुट्ठी में क्या है, मुट्ठी में है तकदीर हमारी, हमने किस्मत को बस में किया है, आने वाली दुनिया का सपना सजा है… यही बोल है इस गाने के। वर्ष 2024 की नई विधानसभा के लिए 5 अक्टूबर को होने वाले मतदान से पहले सत्ता का संघर्ष और सत्ता की शतरंज पर अलग-अलग ही रंग दिखाई दे रहे हैं । इसी चुनाव प्रचार के दौरान एक ऐसा उम्मीदवार भी दिखाई दिया जो की अपने ही अंदाज में देहात में गांव-गांव गलियों में रात और दिन घूमते हुए छोटे-छोटे बच्चों पर अपने मातृत्व का दुलार लुटाता चला जा रहा है बिना कुछ कहे विशेष रूप से ग्रामीण महिलाओं और अभिभावकों को बहुत कुछ संदेश देने का काम कर रहा है।
पटौदी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की उम्मीदवार पूर्व विधायक स्वर्गीय भूपेंद्र चौधरी की पुत्री पर्ल चौधरी जो कि स्वयं उच्च शिक्षित हैं और उनकी बेटियां भी उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही है। उनको पता है शिक्षा का आज के प्रतियोगी दौर में क्या और कितना महत्व है । चौधरी के द्वारा गांव नरहेड़ा, ऊंचा, माजरा, नूरपुर, सिधरावली, बड़खा, दिनों कारी, बिलासपुर खुर्द, बिलासपुर कला, लागड़ा, पथरेड़ी, सहित अनेक गांवों में पहुंचकर अपने और कांग्रेस पार्टी के पक्ष में 5 तारीख को हाथ के निशान का बटन दबाकर समर्थन मांगने का सिलसिला जारी है । चुनाव के दौरान देखा गया है चुनावी उम्मीदवार महिला हो या पुरुष उनका केवल एक ही मकसद और ध्यान होता है , लोगों के बीच पहुंचना और अपने लिए वोट की अपील करते हुए अपनी पॉलिटिकल पार्टियों के द्वारा किए गए कार्य और उनकी नीतियों के विषय में बताना।
इस प्रकार के चुनाव प्रचार के विपरीत हरियाणा प्रदेश कांग्रेस एससी सेल की प्रदेश महासचिव और पटौदी आरक्षित विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की उम्मीदवार पर्ल चौधरी को जहां कहीं भी देहात की गलियों में महिलाएं अपने गोद में बच्चों को लिए हुए दिखाई देती हैं । बिना देर किए पर्ल चौधरी बच्चों को अपनी गोद में लेकर मातृत्व का सारा दुलार बच्चों पर ही लूटाने में बिल्कुल भी संकोच करती नहीं दिखाई देती । बच्चों के चेहरे पर मुस्कान देखकर ऐसा लगता है उनकी दिन भर की थकान को बच्चों की मुस्कान का टॉनिक एक नई एनर्जी में बदलने का काम कर रहा है । बच्चों को गोद में लिए हुए बच्चों की दादी हो, नानी हो या फिर मम्मी हो। पर्ल चौधरी की जैसे ही नजर गोद में लिए बच्चों पर जाती है तो वह बेटा है यह बेटी जिज्ञासा बस यह सवाल भी पूछ ही लेती है ? जवाब बेटा हो या बेटी, पर्ल चौधरी के मुंह से एक ही बात निकलती है अपने बच्चों को जितना भी अधिक पढ़ा सको उतना अधिक जरूर पढ़ना है। आधी रोटी कम खाना, लेकिन अपने परिवार अपने समाज और अपने देश के हित और तरक्की के लिए आज के समय में शिक्षा बहुत जरूरी है । विशेष रूप से लड़कियों को उनके अभिभावक अवश्य पढ़ाएं । सरकारी योजनाएं भी ऐसी हैं, लड़कियों को अधिक से अधिक शिक्षा के क्षेत्र में सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही हैं।
बच्ची को गोद में लेकर दुलार करते हुए बच्ची की मम्मी से पूछा, कितना पढ़ी हुई हो ? जवाब सुनने के बाद कहा अपनी बिटिया को उससे भी अधिक पढ़ाई जरूर करवाना । एक पढ़ी लिखी, शिक्षित बेटी , एक नहीं तीन परिवार का भविष्य संवारने का काम करती है । ग्रामीण नुक्कड़ सभा में भी श्रीमती पर्ल चौधरी ने इस बात पर मुख्य जोर देते हुए कहा डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के द्वारा भी कहा गया, शिक्षा वह शेरनी का दूध है, जो जितना अधिक पिएगा दिमागी रूप से उतना अधिक ताकतवर भी बनेगा। डॉ भीमराव अंबेडकर ने शिक्षा को मानव जीवन में सबसे अधिक महत्वपूर्ण बताया है । उन्होंने अपने संपर्क अभियान के दौरान आश्वासन दिया कि पटौदी क्षेत्र में जिसे की शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ा हुआ भी कहा जाता है। विधायक बनने के बाद पटौदी क्षेत्र में उच्चतर और रोजगार परक शिक्षा की सुविधा उपलब्ध करवाना उनकी प्राथमिकता में शामिल रहेगा। पहले से मौजूद सभी शिक्षण संस्थान में शिक्षा की जरूरत के सभी संसाधन भी उपलब्ध करवाए जाएंगे।
Advertisement