-वर्ष 2015 में डकैती डालने की साजिश रचने व आम्र्स एक्ट के तहत बलौंगी थाने में हुआ था मामला दर्ज
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रोहित गुप्ता
जीरकपुर 30,अगस्त
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9 साल पुराने एक मामले में नामजद काली शूटर सहित छह गैंगस्टरों को मोहाली की एक अदालत ने बरी कर दिया है। आरोपियों के खिलाफ वर्ष 2015 में डकैती डालने की साजिश रचने व आम्र्स एक्ट के तहत मामला दर्ज हुआ था। यह मामला अतिरिक्त जिला एवं सेशन जज की अदालत में विचाराधीन था। आरोपियों में रविंदर सिंह उर्फ काली शूटर निवासी बलौंगी, हर जीवनजोत सिंह उर्फ समरा निवासी वार्ड नंबर-4 कोटकपूरा जिला फरीदकोट इंदरप्रीत सिंह पैरी निवासी सेक्टर-33सी चंडीगढ़, अमनदीप सिंह जोशी निवासी बलौंगी, चरनजीत सिंह निवासी सेक्टर-56 चंडीगढ़, जुगराज सिंह निवासी सेक्टर-41 चंडीगढ़ शामिल थे।
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काली शूटर के वकील कर्ण सौफत ने अदालत को बताया कि साक्ष्य से ऐसा कोई सबूत सामने नहीं आया जिससे यह पता चले कि आरोपी डकैती करने वाले थे। वकील सोफत ने कहा कि कहानी यह है कि मुखबिर ने इंस्पेक्टर हरभजन सिंह को सूचना दी थी कि उसने आरोपियों की बातचीत सुनी जिसमें वह डकैती की योजना बना रहे थे। अदालत को बताया गया कि यह बात झूठ है क्योंकि डकैती की योजना बनाने वाला कोई भी व्यक्ति खुले स्थान पर एक दूसरे से बातचीत नहीं करता।
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दूसरा यह कि आरोपी दो कारों में थे और एक कार यानी स्विफ्ट कार को आरोपी इंद्रप्रीत सिंह और रविंदर सिंह काली भगाकर ले गए। लेकिन फाइल पर ऐसा कोई सबूत नहीं है कि पुलिस पार्टी ने कार से भागने वाले व्यक्तियों पर गोली चलाई थी और यहां तक कि पुलिस पार्टी ने आरोपी इंद्रप्रीत सिंह पैरी व रविंदर सिंह द्वारा छीनी गई कार का पीछा करने की हिम्मत जुटाई हो। यह तथ्य भी इस बात को पुख्ता करता है कि कार को पुलिस ने नहीं छोड़ा था। अभियोजन पक्ष के गवाहों ने जिरह में कहा कि पुलिस पार्टी आरोपियों से 15-20 फीट की दूरी पर थी और पुलिस पार्टी ने उन्हें पकड़ लिया। यह तथ्य भी अभियोजन पक्ष की कहानी को झूठा बनाता है क्योंकि अगर उनके पास घातक हथियार थे तो पुलिस पार्टी को देखकर आरोपी मौके से क्यों नहीं भागे। पुलिस पार्टी द्वारा यह स्वीकार किया गया है कि कथित घटना का स्थान पालकी पैलेस बलौंगी है। यह भी स्वीकार किया गया है कि यह मुख्य मार्ग है और मौके पर कई दुकानें हैं। अभियोजन पक्ष के गवाहों ने कहा कि उस दिन सभी दुकानें बंद थीं, लेकिन चंडीगढ़ से खरड़ तक सडक़ पर घनी आबादी है।
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पुलिस ने किसी भी स्वतंत्र गवाह को शामिल करने की हिम्मत नहीं जुटाई। यह तथ्य भी अभियोजन पक्ष की कहानी को गलत साबित करता है। हैड कांस्टेबल बलविंदर सिंह जो यह साबित करना चाहता था कि आरोपियों से बरामद सभी हथियार और कारतूस चालू हालत में थे, लेकिन जब उससे जिरह की गई, तो उसने कहा कि उसने कारतूसों को फायर करके हथियारों की जांच नहीं की थी। उसने कहा हथियार खिलौना हो सकता है। अदालत ने सभी दलीलें सुनने के बाद कहा कि पुलिस अपनी कहानी साबित करने में विफल रही है इसलिए आरोपियों को केस से बरी किया जाता है।
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आरोप था कि एसआई हरभजन सिंह सीआईए स्टाफ खरड़ को गुप्त सूचना मिली थी कि सूचना मिली कि अमनदीप सिंह, चरणजीत सिंह, जुगराज सिंह, इंद्रप्रीत सिंह और रविंदर सिंह पालकी पैलेस में डकैती डालने की साजिश रच रहे हैं। उनके पास सफेद रंग की स्विफ्ट कार है। उन्होंने नंबर प्लेट को मिट्टी से ढक दिया है। अगर उन्हें पकड़ लिया जाता है तो भारी मात्रा में अवैध हथियार और गोला-बारूद बरामद किया जा सकता है। आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए तीन पुलिस पार्टियां गठित की गई। छापेमारी दौरान आरोपी अमनदीप सिंह, चरणजीत सिंह और जुगराज सिंह को गिरफ्तार किया गया। दो आरोपी मौके से फरार हो गए। आरोपी चरणजीत सिंह के कब्जे से एक देसी पिस्तौल 215 बोर और एक जिंदा कारतूस बरामद किया गया। आरोपी जुगराज सिंह से एक देसी पिस्टल 315 बोर व एक जिंदा कारतूस बरामद किया गया और आरोपी अमनदीप सिंह से एक कट्टा व उसका कवर बरामद किया गया। आरोपियों के खिलाफ बलौंगी थाने में मामला दर्ज किया गया।
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