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पत्रकारों  के  स्कूलों में प्रवेश पर पाबंदी  ,  स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के गणित में कमजोर होने संबंधी खबरें छापी  थी 

पत्रकारों  के  स्कूलों में प्रवेश पर पाबंदी  ,  स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के गणित में कमजोर होने संबंधी खबरें छापी  थी
स्कूलों में पत्रकारों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया, विपक्ष ने कहा- पाबंदी अनुचित

भुवनेश्वर: ओडिशा सरकार के राज्य में कुछ जिलों के स्कूलों में पत्रकारों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के फैसले को लेकर सियासी विवाद शुरू हो गया है.

बीजू जनता दल (बीजद) सरकार ने कुछ समाचार चैनलों द्वारा इन जिलों के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के गणित में कमजोर होने संबंधी खबरें प्रसारित किए जाने के बाद यह कदम उठाया है.

ढेंकनाल के जिला शिक्षा अधिकारी ने शनिवार को खंड शिक्षा अधिकारियों और प्रधानाध्यापकों को निर्देश दिया था कि वे स्कूलों और कक्षाओं में पत्रकारों को अनधिकृत प्रवेश की अनुमति न दें तथा ऐसे मामलों की शिकायत पुलिस से करें. केंद्रपाड़ा जिले के खंड शिक्षा अधिकारियों और प्रधानाध्यापकों को भी समान दिशा-निर्देश जारी किए गए थे.
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, राज्य सरकार ने कुछ समाचार चैनलों द्वारा इन जिलों के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के गणित में कमजोर होने संबंधी खबरें प्रसारित किए जाने के बाद यह कदम उठाया है.

खबरों में दिखाया गया था कि कक्षा पांच के छात्र-छात्राएं साधारण पहाड़ा तक नहीं बता पा रहे थे.

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, अपने पत्र में ढेंकनाल की डीईओ निबेदियाता पाणि ने कहा था, ‘यह देखा गया है कि कैमरे पकड़े कुछ लोग स्कूलों में प्रवेश कर रहे हैं और छात्रों और शिक्षकों को अपमानित करने की दृष्टि से सवाल पूछ रहे हैं. कुछ टीवी चैनल भी इन वीडियो को प्रसारित कर रहे हैं. स्कूल परिसर में इस तरह की गतिविधियों की अनुमति नहीं है. यह अनैतिक है.’

पत्र में बीईओ को सभी प्रधानाध्यापकों को सतर्क रहने और इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए तदनुसार कार्य करने का निर्देश देने के लिए भी कहा गया है. अख़बार द्वारा संपर्क करने पर डीईओ ने स्कूल परिसरों में मीडिया के प्रवेश पर रोक लगाने वाले पत्र को सही ठहराया.

पत्र का समर्थन करते हुए जिला कलेक्टर सरोज सेठी ने कहा कि यह देखा गया है कि कैमरा पकड़े मीडियाकर्मियों ने छात्रों से सवाल पूछे, जो अपमानजनक हैं. उन्होंने कहा कि पत्र सरकार के आदेश के अनुरूप है और इन स्कूलों में कार्रवाई शुरू की जाएगी.

न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, डीईओ के इस आदेश पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए राज्य के वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सेनापति ने इस आदेश को ‘तालिबान शासन’ का प्रतीक बताया. उन्होंने कहा कि यह मीडिया की आवाज दबाने की कोशिश है. उन्होंने आदेश को तत्काल निरस्त करने की मांग की है.

फैसले को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को कहा कि प्रेस लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है और इसे किसी सार्वजनिक प्रतिष्ठान में प्रवेश करने से नहीं रोका जा सकता.

प्रधान ने कहा, ‘स्कूल परिसर में मीडिया के प्रवेश पर पाबंदी लगाना अनुचित है. एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में स्कूल एक सार्वजनिक प्रतिष्ठान हैं. पढ़ाने की प्रक्रिया में मीडिया को कोई बाधा उत्पन्न नहीं करनी चाहिए, लेकिन लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को खबरें एकत्रित करने के लिए परिसर में दाखिल होने से नहीं रोका जा सकता.’

भाजपा की सांसद अपराजिता सारंगी ने कहा कि वह इस दिशा-निर्देश को लेकर हैरान हैं.  उन्होंने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है और संबंधित फैसले को तत्काल वापस लिया जाना चाहिए.’

सारंगी ने कहा, ‘यह कदम बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि जब भी स्कूलों में कुछ अनियमितताएं होती हैं, तो इन्हें दिखाना पत्रकारों का कर्तव्य है. पत्रकारों के उनका कर्तव्य निभाने पर कोई प्रतिबंध नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया बाधित होगी.’

वहीं, कांग्रेस के विधायक सुरेश कुमार राउतरे ने कहा कि यह पहली बार नहीं है, जब पत्रकारों पर इस तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं.

उन्होंने कहा, ‘कोविड-19 के नाम पर पत्रकारों को राज्य विधानसभा में अभी भी प्रवेश नहीं दिया जा रहा है. राज्य सचिवालय में भी बीते दो वर्षों से पत्रकारों को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा रही है. कटक स्थित एससीबी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में भी यही स्थिति है.’

इस बीच, ओडिशा के स्कूल एवं जन शिक्षा मंत्री एसआर दाश ने राज्य सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि प्रेस के पास गलत को उजागर करने का अधिकार है, लेकिन कुछ वेब पोर्टल के पत्रकार बिना अनुमति के स्कूल परिसर में दाखिल हो रहे थे और वहां का माहौल बिगाड़ रहे थे.
उधर, राज्य के विभिन्न पत्रकार संघों ने भी स्कूलों में प्रवेश पर प्रतिबंध संबंधी सरकार के फैसले का विरोध किया है. उन्होंने इस आदेश को तत्काल वापस लेने की मांग भी की है.

इस बीच स्थानीय मीडिया पोर्टल की ख़बरों के अनुसार, ढेंकनाल के कलेक्टर ने निर्देशों में ढील देने की बात कही है. बताया गया है कि ढेंकनाल कलेक्टर सरोज कुमार सेठी ने स्पष्ट किया है कि पत्रकारों के स्कूल परिसर में प्रवेश पर पूरी तरह से रोक नहीं है. उन्होंने मीडियाकर्मियों के लिए कुछ शर्तें रखी हैं.

उन्होंने बताया, ‘मीडियाकर्मियों को स्कूल परिसर में प्रवेश करने से रोका गया है, लेकिन वे स्कूल के समय के बाद ही आ सकते हैं क्योंकि जब  कक्षाएं चल रही होंगी, तो छात्र परेशान होंगे. वे (पत्रकार) स्कूल समय के बाद ही प्रबंध समिति से चर्चा कर सकते हैं.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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