AtalHind
चण्डीगढ़ व्यापार

खाद्य तेल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि किसके इशारे पर -रापड़िया 

खाद्य तेल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि किसके इशारे पर -रापड़िया
चंडीगढ़ (अटल हिन्द ब्यूरो )महामारी के प्रकोप के कारण लंबे समय से लगे लॉकडाउन के कारण जहां आम जनमानस को अपनी रोजमर्रा  की जिंदगी  जीने के लिए  अनेकों मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। हाल के दिनों  में देश में सरसों के  खाद्य तेल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि देखने को मिली  है । पिछले  एक साल में खाने वाले तेल की कीमतों में करीब 50 फीसदी बढोतरी देखी गई है।

सरसों की नई फसल भी कट गई है, इसके बावजूद तेल की कीमतों में लगातार बढोतरी हो रही है। ऐसी स्तिथि  में खाद्यान्न विभाग  या सरकार इसके लिए  जिम्मेदार है खाद्द्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों पर निराशा जाहिर करते हुए पंजाब,हरियाणा हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रदीप रापड़िया ने कहा की सरकार यदि  महामारी और लाकडाउन के बीच राहत नहीं दे सकती तो फिर सरसों के तेल जैसे खाद्य पदार्थ  की सप्लाई बंद करके आम जनमानस के हकों पर कुठाराघात भी नहीं कर सकती है।

रोजगार के छीनने के कारण जहां बहुत से नागरिक  बेरोजगार  के हो गए हैं वहीं आज आर्थिक   तंगी के कारण रसोई गैस में पकने वाला दाल रोटी भी अब परेशानी बन चुकी है,जब बिलखते  बच्चे, रुदन करती मां और दुख से आहा हुए बुजुगों की आंखों से सिर्फ  और सिर्फ  यही देख रहे है की  कहीं ना कहीं उन्हें राहत की खबर मिले । लेकिन  आज मजदूर परिवार , मिडिल परिवार  और अनेकों दलित  शोषित  प्रताड़ित  परिवारों  के चूल्हे की धीमी आचं होने का कारण बढती महंगाई बन चुकी है।

सरकार की यह नैतिक  जिम्मवारी  है की  कोई भूखा ना सोए लेकिन  जब खाने पीने की वस्तुओं ही आटा दाल चीनी तेल की कीमतें ही आसमान को छूएगी आम आदमी की पहुंच से दूर होगी तो बिना   रोजगार कमाएगा  कहां से और बिना  आमदनी घर का खर्चा  चलाएगा कहां से यह बड़ा सोचने का विषय  बन गया है।लेकिन  सरकार मूकदर्शक  बनकर जनता को महंगाई की मार में पीसने के लिए  राम भरोसे छोड़ दिया  है।

 जब सरकारें आम जनमानस की बेहतरीन जिन्दगी बनाना का वायदा करती हैं तो आज इस महामारी के दौर में जहां सरकारों को महंगाई से राहत देनी चाहिए लेकिन उल्टा सरकार और सरकार से जुड़े खाद्य प्रबंधन विभाग  इस प्रकार की कोई कीमतें तय नहीं कर पा रहा है।जिससे से आम आदमी को कोई राहत मिले ।

अब रसोईघर में सरसों के तेल की धार भी आम जनमानस के जलए जानलेवा साबित हो रही हैं। आख़िरकार  सरकार इस प्रकार की कीमतों के ऊपर अंकुश लगाने की बजाए मुख दशक क्यों बनी हुई है। यदि  आम जनमानस के जलए सरकार कोई राहत योजना शुरू नहीं कर सकती तो फिर खाद्द्य पदार्थों की कीमतें  किसके इशारे पर  बढ़ाई जा रही है ।इसलिए मौजूदा कोरोना काल में गरीब जनमानस की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए तुरंत सरसों के तेल की सप्लाई सुचारू रूप से आरम्भ करें! अगर सरसों के तेल के बहाली अगले महीने से सुचारू नहीं की गई तो हमे मजबूरी वश हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाना पड़ेगा !

Advertisement

Related posts

ऐलनाबाद विधानसभा सीट पर उप-चुनाव बारे  चुनाव आयोग को भेजा लीगल नोटिस

admin

चंडीगढ़ मेयर चुनाव लोकतंत्र की हत्या के समान है-सुप्रीम कोर्ट

editor

बड़े राव के दावे 24 घंटे में बेदम, सोमवार को नहीं हुई सरकारी खरीद

admin

Leave a Comment

URL