तुगलकी फरमानों के विरोध में 5 जून को शिक्षा सदन पर करेंगे जोरदार प्रदर्शन – हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ
चंडीगढ़ 29 मई/अटल हिन्द ब्यूरो
हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ (Haryana School Teachers Association)संबद्ध सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा(Sarva Karamchari Sangh Haryana) एवं स्कूल टीचर फेडरेशन ऑफ़ इंडिया(School Teachers Federation of India) के राज्य प्रधान प्रभु सिंह, राज्य महासचिव रामपाल शर्मा, कैशियर संजीव सिंगला, वरिष्ठ उपप्रधान गुरमीत सिंह, उप महासचिव कृष्ण नैन, संगठन सचिव सुखदर्शन सरोहा व प्रेस प्रवक्ता निशा ने संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि केंद्र व राज्य सरकार शिक्षा व शिक्षकों के हितों पर लगातार हमला कर रही है और शिक्षा नीति 2020 को लागू करने की आड़ में भारतीय भाषा शिक्षण के नाम पर गर्मी की छुट्टियों में 2 से 8 जून तक विद्यार्थियों और भाषा अध्यापकों को 50 डिग्री के आसपास तापमान होने बावजूद स्कूलों में आने का फरमान सुना दिया गया है। दूसरी तरफ प्राथमिक अध्यापकों के सेमिनार भी छुट्टियों में ही लगाने की तैयारी चल रही है,जिसे किसी भी सूरत में सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अवकाशीय विभाग माने जाने की वजह से स्कूलों में कार्यरत अध्यापकों को एक वर्ष पूर्ण होने पर केवल 10 अर्जित अवकाश दिए जाते हैं, जबकि कार्यालयों व अन्य विभागों में सेवा काल के आधार पर वर्ष में 15 से 30 तक अर्जित अवकाश देय है। एक तरफ तो अवकाशीय विभाग मानते हुए शिक्षकों को वर्ष में नाममात्र अर्जित अवकाश देय है, दूसरी तरफ किसी न किसी बहाने से ग्रीष्मकालीन छुट्टियों में अध्यापकों को अपने परिवारों से दूर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह के तुगलकी फरमानों व जन शिक्षा को बचाने और अध्यापकों की लंबित मांगों को लेकर शिक्षा विभाग कर्मचारी तालमेल कमेटी के आह्वान पर शिक्षा सदन पंचकूला पर 5 जून के मास डेपुटेशन में पूरे प्रदेश से हजारों की तादाद में अध्यापक भाग लेंगे।
उन्होंने बताया कि कि रूल 2012 के अनुसार हरियाणा सरकार 50% अंकों की आड़ में अध्यापकों को एसीपी प्रदान नहीं कर रही है, जबकि काफी शिक्षकों की नियुक्ति इन नियमों के लागू होने से पहले की है। अतः स्पष्ट है कि इन नियमों की आड़ में हरियाणा सरकार एसीपी नहीं देना चाहती जो कि अध्यापकों के साथ सरासर अन्याय है । एक तरफ तो भाजपा सरकार पारदर्शिता का ढोल पीट रही है दूसरी तरफ कोई ना कोई बहाना लेकर अध्यापकों को लाभ प्रदान नहीं करती है।उन्होंने कहा कि तर्कसंगत ढंग से राशनलाइजेशन करते अप्रैल माह तक सभी अध्यापकों के तबादले किए जाने चाहिए थे, परन्तु तारीख पर तारीख देकर तबादलो पर सरकार का टरकाऊ रवैया जारी है। उन्होंने कहा कि अतिथि अध्यापकों को भी ट्रांसफर ड्राइव में साथ ही शामिल किया जाए और उससे पहले अध्यापकों के सभी वर्गों की पदोन्नति सूचियां जारी की जाए। टीजीटी आर्ट क्राफ्ट पर पदोन्नत सभी अध्यापकों को अतिशीघ्र स्टेशन अलॉट किए जाए और विद्यालय में पीजीटी फाइन आर्ट का पद सृजित करने में 300 विद्यार्थियों की व पीजीटी फिजिकल एजुकेशन का पद सृजित करने में संबंधित विषय के 40 विद्यार्थियों की शर्त को हटाया जाए। कक्षा 6 से 12 तक सप्ताह में किसी भी विषय के पीरियड 6 से कम नहीं होने चाहिए और प्राथमिक स्तर पर प्रत्येक कक्षा के विद्यार्थियों को अध्यापक उपलब्ध करवाया जाए।
उन्होंने कहा कि सेवा सुरक्षा का ढिंढोरा पीटने के बावजूद कौशल के अध्यापकों के रोजगार से बार बार खिलवाड़ किया जा रहा है।उन्होंने आगे बताया कि एक तरफ तो अध्यापकों को छुट्टियों में दाखिले बढ़ाने के अभियान चलाने की बात की रही है, दूसरी तरफ चिराग के माध्यम से सरकारी स्कूलों के बच्चों का एक सोची समझी चाल के तहत पलायन करवाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को विभिन्न प्रकार के ऑनलाइन ट्रेनिंग और गैर शैक्षणिक कार्यों में उलझाकर शिक्षा विभाग के आला अधिकारी सरकारी स्कूलों के अध्यापकों को विद्यार्थियों से दूर रखना चाहते है। सरकारी स्कूलों को बदनाम करके स्कूलों का निजीकरण करना सरकार का मुख्य उद्देश्य है।अध्यापक संघ ने बार-बार उच्च अधिकारियों और सरकार के संज्ञान में लाया है कि अध्यापकों के प्रशिक्षण अप्रैल से सितंबर तक संपूर्ण हो जाने चाहिएं। लेकिन सरकार प्राइवेट कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए स्कूली बच्चों की पढ़ाई को दरकिनार करते हुए पूरे सत्र प्रशिक्षण जारी रखना चाहती है। इसलिए इन तुगलकी फरमानों के विरोध में 5 जून को शिक्षा सदन पंचकूला पर मास डेपुटेशन के माध्यम से सरकार को चेताया जाएगा।
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